आर्थिक अपराध एवं भ्रष्टाचार निवारण की स्पेशल कोर्ट में अधिवक्ता धीरज कुकरेजा और स्वप्निल सराफ द्वारा परिवाद (शिकायत ) प्रस्तुत किया गया है। इसमे पूर्व ASP राजेश तिवारी उनकी पत्नी रंजना तिवारी, बेटे राहुल तिवारी सहित बहू मीनल खरे तिवारी पर भी आय से अधिक संपत्ति होने आरोप लगाए हैं।
सेवा में रहते सुर्खियों में रहे हैं राजेश तिवारी
जबलपुर के कुख्यात गैंगस्टर विजय यादव के एनकाउंटर पर खड़े हुए सवालों के बाद राजेश तिवारी पहली बार चर्चाओं में आए। आपको बता दें कि चर्चाओं में आए राजेश तिवारी का विवादों से पुराना नाता है।
जबलपुर में गोरखपुर थाने में थाना प्रभारी पदस्थ रहते हुए राजेश तिवारी पर यह आरोप लगे थे कि उन्होंने अपने कार्यकाल में ही विजय यादव को समर्थन देकर इतना बड़ा गैंगस्टर बना दिया था।
उसके बाद जब वह उनके काबू से बाहर होने लगा तो नरसिंहपुर में उसका एनकाउंटर कर दिया। हालांकि मामले में हुई मजिस्ट्रेट जांच में उन्हें क्लीन चिट दी गई थी।
गैंगस्टर विजय यादव एनकाउंटर केस
गैंगस्टर विजय यादव के एनकाउंटर को 2019 को एएसपी राजेश तिवारी, निरीक्षक प्रभात शुक्ला और उनकी टीम ने अंजाम दिया था। पुलिस के अनुसार विजय बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए जबलपुर जा रहा था।
एनकाउंटर मामले की जांच एसडीएम महेश बमनहा ने की थी। जांच के बाद एसडीएम ने एनकाउंटर को सही ठहराया था।
इस मामले में बयान और सबूत पेश करने के लिए विधिवत इश्तिहार जारी किए गए थे, लेकिन जहां एनकाउंटर हुआ था उस क्षेत्र से कोई भी ग्रामीण बयान देने नहीं आया। मृतक के परिजन ने बयान दर्ज कराए थे, लेकिन उन्होंने कोई सबूत नहीं दिया। समीर की पत्नी, मां और विजय के परिजन ने इसे फेक एनकाउंटर बताया था।
परिजन का कहना था कि सबूत वे कोर्ट में पेश करेंगे। इस मामले में बदमाशों के एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों और अफसरों के भी बयान दर्ज किए गए थे।
बाल मजदूरी करवाने के लगे थे आरोप
पूर्व एएसपी राजेश तिवारी के बेटे राहुल तिवारी भी रेव पार्टी में शराबखोरी में पकड़े जाने के बाद अखबारों की सुर्खियां बने थे। वहीं राजेश तिवारी के चरगवां स्थित फार्म हाउस में मजदूरों को ले जाने वाली बस पलट गई थी। इसके बाद यह सामने आया था कि इस बस में महिलाओं के साथ नाबालिक लड़कियां भी थी।
ऐसे में उन पर बाल मजदूरी करवाने के आरोप भी लगे थे। वहीं अपने ही डिपार्मेंट के रिटायर्ड अधिकारी को बचाने के लिए तुरंत भाग दौड़ की गई और सारा मामला रफा-दफा हो गया था।
हालांकि अब तक राजेश तिवारी पर जो जांच की गई वह सभी विभागीय थी या विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के बयान पर आधारित थी। लेकिन अब उनके विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति की शिकायत के साथ संलग्न किए गए दस्तावेज पेश किए गए हैं। इसे देखते हुए न्यायालय ने सुनवाई के योग्य माना है। तो ऐसे में कम से कम अभी तो पूर्व एएसपी राजेश तिवारी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी होती हुई नजर आ रही है।
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