JABALPUR. मध्य प्रदेश में रीवा स्थित अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय ( APSU Rewa ) पिछले 18 सालों से छात्रों का एडमिशन कर उनसे फीस वसूल रहा है। लेकिन अब तक इस कॉलेज से डिग्री लेने वाले छात्रों का भविष्य अधर में है, क्योंकि बार कॉउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) से कॉलेज की मान्यता ही नहीं है। अब मामला जबलपुर हाईकोर्ट ( Jabalpur High Court ) पहुंचा है।
APS यूनिवर्सिटी की छात्रा का नहीं हुआ रजिस्ट्रेशन
रीवा निवासी छात्रा प्रज्ञा मिश्रा ने अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के द्वारा संचालित लॉ कॉलेज में साल 2018 में एडमिशन लिया था। प्रज्ञा की लॉ की डिग्री साल 2023 में पूरी हुई और उसके बाद उन्होंने अधिवक्ता के तौर पर अपना रजिस्ट्रेशन कराने के लिए बार काउंसिल में आवेदन दिया। बार काउंसिल ने यह कहते हुए प्रज्ञा के आवेदन को निरस्त कर दिया कि इस यूनिवर्सिटी ने साल 2006 से ही अपनी मान्यता रिन्यू नहीं कराई है। इस मामले की जबलपुर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि साल 2006 से लेकर 2023 तक इस यूनिवर्सिटी ने लगातार छात्रों को एडमिशन भी दिए हैं और उन्हें डिग्रियां भी बांटी हैं।
हाई कोर्ट में दायर हुई याचिका
यूनिवर्सिटी के मान्यता प्राप्त न होने का सच सामने आने के बाद छात्रा ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका की सुनवाई एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा (Chief Justice Sanjeev Sachdeva) और जस्टिस विनय सराफ (Justice Vinay Saraf) की कोर्ट में हुई। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट भी इस बात से हैरान था कि आखिर 2006 से जिस यूनिवर्सिटी की मान्यता रिन्यू नहीं हुई है वह छात्रों को एडमिशन कैसे दे रही थी।
एमपी सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस
इस मामले में यह सामने आया कि यूनिवर्सिटी के द्वारा बरती गई इतनी बड़ी लापरवाही के कारण सैकड़ो छात्रों का भविष्य खतरे में हो सकता है। कोर्ट ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए मध्य प्रदेश सरकार सहित बार काउंसिल आफ इंडिया और APS यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी करते हुए दो हफ्तों के भीतर जवाब पेश करने का आदेश दिया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस की युगलपीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को तय की है। वहीं इस मामले में स्टेट बार काउंसिल आफ मध्य प्रदेश की ओर से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं था। जिसके बाद याचिकाकर्ता के निवेदन पर इन्हें हमदस्त नोटिस जारी करने का आदेश दिया गया है।
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