SSR फर्जीवाड़े में छात्रों की नाराजगी के बाद RGPV से कुलगुरु का इस्तीफा

RGPV की SSR रिपोर्ट में हेराफेरी का मामला बढ़ा। लगातार हो रहे प्रदर्शनों के कारण कुलगुरु प्रो. राजीव त्रिपाठी ने इस्तीफा दिया। छात्र संगठन ने तकनीकी शिक्षा मंत्री के सामने गड़बड़ियां उजागर की।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. नैक की A++ रैंक हासिल करने के लिए RGPV की SSR में हेराफेरी का मामला अब गरमा गया है। RGPV की धांधली पर लगातार हो रहे प्रदर्शनों के चलते कुलगुरु प्रो. राजीव त्रिपाठी ने गुरुवार शाम अपना इस्तीफा राजभवन भेज दिया है। ABVP नैक की रैंकिंग हथियाने के लिए RGPV प्रबंधन की गड़बड़ी को लेकर लगातार हमलावर है।

छात्र संगठन ने तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के सामने SSR रिपोर्ट में गलत तथ्यों को उजागर किया। परिषद के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को छात्रों के साथ आरजीपीवी कैंपस में मोर्चा खोला। घंटों तक कुलगुरु और रजिस्ट्रार के सामने नारेबाजी हुई। प्रदर्शन के दौरान नैक को-ऑर्डीनेटर प्रो. अर्चना तिवारी गायब रहीं।

राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय दो साल से अनियमिताओं के आरोपों से घिरा हुआ है। डेढ़ साल पहले कुलगुरु सुनील कुमार 19 करोड़ रुपए की हेराफेरी के मामले में जेल जा चुके हैं। छात्रों के कल्याण के लिए जमा फंड से कुलगुरु ने अन्य अधिकारियों की साठगांठ से करोड़ रुपए निजी खातों में जमा कराए थे।

इस गड़बड़ी के बाद उन्हें फरार भी रहना पड़ा था। उनकी गिरफ्तारी और पद से हटाए जाने के बाद आरजीपीवी में करोड़ों रुपए के निर्माण कार्यों में भी गड़बड़ी उजागर हुई थी। छात्रों के लिए अध्ययन सुविधाएं, संसाधन और उपकरणों की खरीदी के लिए मिले 20 करोड़ रुपए का हिसाब अब तक उच्च शिक्षा विभाग को नहीं मिला है। 

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रिपोर्ट उजागर करने में की आनाकानी

गड़बड़ियों के बावजूद आरजीपीवी को नैक से A++ ग्रेड मिला है। इस रैंकिंग पर ABVP ने संदेह जताते हुए कुलगुरु प्रो. राजीव त्रिपाठी से शिकायत की थी। एबीवीपी के प्रदेश मंत्री केतन चतुर्वेदी ने विश्वविद्यालय के पोर्टल पर एसएसआर रिपोर्ट अपलोड न करने पर भी आपत्ति जताई थी।

चतुर्वेदी का कहना था कि एसएसआर रिपोर्ट अपलोड ही नहीं की गई फिर कैसे नैक की सर्वेक्षण टीम ने विश्वविद्यालय द्वारा पेश की गई जानकारी का सत्यापन किया है। छात्रों द्वारा कई बार कुलगुरु, रजिस्ट्रार कार्यालय और आईक्यूएसी चेयरपर्सन प्रो.अर्चना तिवारी से एएसआर रिपोर्ट की  मांग की गई। बार- बार विश्वविद्यालय प्रबंधन की आनाकानी के बाद एबीवीपी ने इसे धांधली बताकर मोर्चा खोला था।

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दो माह 7 दिन में ही देना पड़ा त्याग पत्र 

कुलगुरु प्रो.राजीव त्रिपाठी ने 13 सितम्बर को आरजीपीवी की कमान संभाली थी। हालांकि, उन्हें पूर्व की अनियमितताओं के बीच कार्यभार मिला था। एक के बाद एक अनियमितता सामने आने और छात्रों के विरोध की वजह से त्रिपाठी नया कुछ कर ही नहीं पाए। बीते 15 दिनों से एसएसआर रिपोर्ट की धांधली का मामले में आरजीपीवी में छात्र विरोध जारी है। 

लगातार हो रहे प्रदर्शनों की वजह से आखिर गुरुवार 20 नवम्बर को प्रो.राजीव त्रिपाठी को कुलगुरु के पद से त्याग पत्र देना पड़ा। उन्होंने अपना त्याग पत्र राजभवन भेजा है। आरजीपीवी में नियुक्ति के बाद उनका कार्यकाल फिलहाल 2 माह 7 दिन रहा है। हांलाकि अभी राजभवन से उनके इस्तीफे को स्वीकार किए जाने की पुष्टि नहीं हुई है। 

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एसएसआर रिपोर्ट में जमकर धांधली 

आरजीपीवी ने जिन बिंदुओं को आधार बनाकर नैक से A++ ग्रेड हासिल किया था उनमें से अधिकांश की जानकारी गलत है। एबीवीपी के प्रदेश मंत्री केतन चतुर्वेदी के अनुसार काफी प्रयास और तकनीकी शिक्षा मंत्री से शिकायतों के बाद विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट पर एसएसआर रिपोर्ट अपलोड की है। 

117 पेज की इस रिपोर्ट में नियमित शिक्षकों से लेकर विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध संसाधनों की जानकारी गलत दी गई है। विश्वविद्यालय ने संबद्धता वाले कॉलेजों की संख्या भी ज्यादा बताई है। वेबसाइट पर अपलोड रिपोर्ट और एसएसआर में कई बिंदुओं में अंतर है। 

विश्वविद्यालय ने एसएसआर के पेज 80 पर कैंपस में छात्र परिषद होने का दावा किया है जबकि ऐसी कोई परिषद है ही नहीं। खेल परिसर का निर्माण अधूरा है और कई सुविधाएं उपलब्ध नहीं है लेकिन एसएसआर में झूठी जानकारी दर्ज की गई है। 

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इन बिंदुओं पर भी  NAAC को दी गलत जानकारी 

1. नैक से मान्यता प्राप्त 300 कॉलेजों की संबद्धता का दावा पेश किया जबकि रिकॉर्ड से इसका मेल नहीं होता।  

2.SSR में उत्कृष्ट इंटरनेट कनेक्टिविटी का दावा है जबकि कैंपस में नेट स्पीड बेहद कमजोर है। 

3. गैर शैक्षणिक स्टॉफ में अधिकारी- कर्मचारियों की संख्या 750 बताई गई है जो वास्तविक से कहीं अधिक है। 

4.कैंपस को ग्रीन और क्लीन बताया है। यहां प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध, सप्ताह में एक दिन नो व्हीकल डे होने का दावा है जो कि पूरी तरह झूठ है।

5. सरकार से 620 करोड़ का ग्रांट मिलने कादावा भी गलत है क्योंकि संस्थान स्वशासी है और ऐसा कोई अनुदान नहीं मिलता। 

6. एसएसआर में प्रोफेसरों की संख्या 40, एसोसिएट प्रोफेसर की संख्या 16 और असिस्टेंट प्रोफेसरों का आंकड़ा 15 बताया गया है। रिकॉर्ड में प्रोफेसर केवल 20, एसोसिएट प्रोफेसर 12 और असिस्टेंट प्रोफेसर 14 हैं।

7.SSR में उत्कृष्ट हॉस्टल सुविधाओं का दावा है, जबकि वास्तविकता इसके विपरीत है।

8.पूर्व वीसी सुनील कुमार को भ्रष्टाचार और गबन के मामले में हटाया गया है फिर भी एसएसआर में उनके कार्यकाल को सराहा गया है।

9.SSR के पेज 1 में  भूमि 247 एकड़ बताई गई है, जबकि पेज 7 पर 241.14 एकड़ दर्ज है। यानी 5.53 एकड़ भूमि को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।

10. बोर्ड ऑफ स्टडीज़ का फर्जी प्रस्तुतिकरण दिया गया जबकि बीते 5 साल में बैठक ही नहीं हुई। 

11.SSR में बहुविषयक शिक्षा, ABC प्रणाली, मल्टीपल एंट्री-एक्जिट जैसे प्रावधान लागू होने का दावा तो है लेकिन कैंपस में NEP पूरी तरह लागू नहीं है।

12. रिपोर्ट में पेटेंट संख्या बढ़ाकर दिखाई गई है।  पेटेंट नंबर 201921029356 पहले से MITS में दर्ज है जिसका दावा RGPV ने किया है।

13. महिला प्रकोष्ठ सिर्फ कागज़ों पर है। 

14.AQAR रिपोर्टों में भारी विसंगतियां हैं।   2017–18 की रिपोर्ट 3 वर्ष की देरी से जमा की गई जबकि 2020–21 की रिपोर्ट जमा करने में 2 साल का अंतर है। 

15.SSR के पेज 12 में पीएचडी  फैकल्टी की संख्या भी गलत दर्ज है।  कुछ शोधार्थियों को नियम विरुद्ध फेलोशिप दी गई जबकि कुछ फेलोशिप लेकर शोध ही छोड़ चुके हैं। 

16. अकादमिक ऑडिट भी गलत है। क्योंकि इसका प्रमाण ही नहीं दिया गया है। 

17.आईक्यूएसी की बैठकों के मिनट्स सार्वजनिक नहीं किए गए, जो कोर्स यूटीडी और यूटीटी में संचालित ही नहीं उन्हें भी एसएसआर में शामिल किया गया है।

14 महीने में ही देना पड़ा त्याग पत्र 

कुलगुरु प्रो.राजीव त्रिपाठी ने 13 सितम्बर 2024 को आरजीपीवी की कमान संभाली थी। हालांकि उन्हें पूर्व की अनियमितताओं के बीच कार्यभार मिला था। एक के बाद एक अनियमितता सामने आने और छात्रों के विरोध की वजह से त्रिपाठी नया कुछ कर ही नहीं पाए। 

बीते 15 दिनों से एसएसआर रिपोर्ट की धांधली का मामले में आरजीपीवी में छात्र विरोध जारी है। अपने कार्यकाल में प्रो. त्रिपाठी पर भी छात्रहित की अनदेखी के आरोप लगते रहे हैं। 

लगातार हो रहे प्रदर्शनों की वजह से आखिर गुरुवार 20 नवम्बर को प्रो.राजीव त्रिपाठी को कुलगुरु के पद से त्याग पत्र देना पड़ा। उन्होंने अपना त्याग पत्र राजभवन भेज दिया है। 

आरजीपीवी में नियुक्ति के बाद उनका कार्यकाल फिलहाल 14 महीने ही रहा है। हांलाकि अभी राजभवन से उनके इस्तीफे को स्वीकार किए जाने की पुष्टि नहीं हुई है।

ABVP RGPV राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय आरजीपीवी कुलगुरु
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