INDORE. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के मालवा प्रांत के घोष वादन कार्यक्रम समापन के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत का प्रेरणादायक उद्बोधन हुआ। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के बाद लोगों को पूछना चाहिए कि संघ की शाखा कहां लगती है, कोई काम है क्या हमारे लिए, हिंदू समाज के लिए जो स्वयंसेवा कर रहा है, इसमें हमारे लिए कोई जगह है क्या?.. यह लोग पूछने लगे तो इनकी तपस्या सफल होगी और यह दोगुने उत्साह से करेंगे।
संघ कार्य में जो आवश्यक होगा वह मैं करूंगा...
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हर अग्रपंक्ति में हमारा देश होना चाहिए। ऐसा भारत संघ के कार्य से खड़ा होगा और इसलिए संघ कार्य में जो करना आवश्यक होगा, वह मैं करूंगा। यह संकल्प है तेरा (देश का) वैभव अमर रहेगा। यह प्रदर्शन केवल दिखाने के लिए नहीं है, यह इसलिए हैं क्योंकि हम सभी इससे सीखें। देशभक्ति प्रेरणा है। यह (संघ) सौ साल में वृक्ष बना है, लोगों को देखना होगा कि इसकी जड़ें कहां-कहां और कितनी गहरी फैली है। स्वयंसेवक इसके लिए कितना प्रयास कर रहे हैं और सभी को ऐसा बनना होगा। पूरे समाज में सद्गुण का विकास होना चाहिए।
लाठी केवल झगड़े के लिए नहीं
उन्होंने कहा कि हम दंड सीखते हैं, लाठी प्रदर्शन से वीरता भी आती है। वह व्यक्ति डरता नहीं है। जब सुशिक्षित के हाथ में लाठी हो तो काफी अहम हो जाता है। हम आगे बढ़कर झगड़ा नहीं करते, लेकिन कोई ऊपर ही गिर जाए तो इलाज नहीं। संघ के यह आयोजन सद्गुणों के विकास के लिए है।
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मुस्लिम गायक को किया याद
सुर, ताल और संगीत की खूबी बताते हुए संघ प्रमुख ने मुस्लिम ध्रुपद गायक मोहनउद्दीन डागर को याद किया। उन्होंने कहा कि वह बताते थे कि यह कितनी कठिन तपस्या है, एक-एक सुर लगना चाहिए।
वादकों ने किया घोष वादन
दशहरा मैदान पर हुए ध्वजारोहण के बाद मालवा प्रांत के 28 जिलों के 870 घोष वादक की प्रस्तुति हुई। वादकों ने वंशी की धुन पर राम आएंगे अवध में राम आएंगे भजन की भी प्रस्तुति दी। घोष दल ने संघ के 100 साल पूरे होने के अवसर पर 100 की आकृति भी बनाई, साथ ही शिवलिंग और स्वस्तिक की आकृति भी बनाई।
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