अगर RTE में सिलेक्शन के बाद भी नहीं मिल रहा एडमिशन तो कलेक्टर से करें शिकायत
प्रवेश प्रक्रिया के परीक्षण में पाया गया है कि कुछ जिलों में विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत लॉटरी के माध्यम से चयन किया था। लेकिन प्रथम चरण में चयनित छात्रों को प्रवेश नहीं दिया गया है।
मध्य प्रदेश की शिक्षा विभाग ने आरटीई के तहत राज्य की सभी निम्न वर्ग के बच्चों को शिक्षा देने के लिए आरटीई ACT को लागू किया था। इसमें सभी कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी और सरकारी स्कूल में प्रवेश लेने हेतु 25% आरक्षण प्रदान किया जाता है। लेकिन कुछ जिलों में चयनित छात्रों को विद्यालयों में प्रवेश नहीं दिया गया है। जिसके बाद राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस एक रिमाइंडर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि जो स्कूल बच्चों एडमिशन नहीं देगें उनपर कार्रवाई की जाएंगी
रिमाइंडर जारी
शिक्षा का अधिकार RTE को लागू करवाने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस ने मध्य प्रदेश के कलेक्टरों के नाम एक रिमाइंडर जारी किया है। इस रिमाइंडर में लिखा है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम ( Right to Education Act ) के तहत एडमिशन देने से आनाकानी करने वाले स्कूलों के खिलाफ शिक्षा का अधिकार नियम 11( 7 ) के अनुसार मामला बनाकर कार्रवाई के लिए प्रस्तावित किया जाए।
लॉटरी के माध्यम किया था स्कूलों का आवंटन
प्रवेश प्रक्रिया के परीक्षण में पाया गया है कि कुछ जिलों में विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सत्र 2024-25 में लॉटरी के माध्यम से प्रथम चरण में चयनित छात्रों को प्रवेश नहीं दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक चयनित छात्रों को प्रवेश नहीं देना वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग के छात्रों के अधिकारों का हनन है।
ये निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 (1) (सी) का स्पष्ट उल्लंघन है।
धनराजू एस ने क्या लिखा
धनराजू ने लिखा है कि कलेक्टर अपने एरिया के निजी स्कूलों का तत्काल परीक्षण करवायें। इसी के साथ पता लगाए कि कौन से स्कूल एडमिशन नहीं दे रहे है। इसके बाद उन पर निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम ( Right to Compulsory Education Act ) 2009 के उल्लंघन का मामला दर्ज करें ।