एमपी अजब है… वाकई यह पंचलाइन बार-बार सही साबित होती है। अब मामला जुड़ा है मंत्री तुलसीराम सिलावट के करीबी कारोबारी संजय जैसवानी से पीड़ित रशियन नागरिक गौरव अहलावत का। अब मप्र सरकार के मप्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआईडीसी) और औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन विभाग (DIPIP) के एक कदम ने उनके जले पर नमक ही छिड़का है।
यह है मामला
कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी पर आरोप है कि रशियन नागरिक अहलावत को बंधक बनाया, उनकी जीआरवी बिस्किट कंपनी को हड़प लिया और धोखाधड़ी की। इस पर अहलावत डीजीपी, सीपी, डीसीपी, एसीपी, टीआई सभी स्तर पर शिकायत कर चुके हैं और मंगलवार को ही जनसुनवाई में जाकर कलेक्टर को भी आवेदन दे चुके हैं। इस दौरान उनका एक पोस्टर खासा चर्चा में रहा, जिसमें लिखा था कि मैं मप्र में निवेश क्यों करूं, रूस छोडकर यहां निवेश किया। लेकिन मेरी कंपनी हड़प ली, और 200 टुकड़े करने की धमकी देते हैं। मेरी एफआईआर तक नहीं हो रही है।
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अब यह किया सरकारी विभाग ने
23 अक्टूबर को रीवा में रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव हो रहा है। इसमें निवेशकों और उद्योगपतियों को बुलाया जा रहा है कि वह निवेश करें और मप्र में उद्योग लगाएं। अब इसी के लिए अहलावत को सरकारी विभाग एमपीआईडीसी और डीआईपीआईपी से न्योता आया है। वह रीवा की इस समिट में शामिल हो और मप्र निवेश करें। द सूत्र के साथ यह न्योता साझा करते हुए अहलावत ने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि मैं क्या कहूं, एक और मैं मुद्दा उठा रहा हूं कि निवेश मप्र में क्यों किया जाए, क्योंकि यहां तो कोई सुरक्षा दी नहीं जाती और ना ही कोई सुनता है। इसके बाद भी निवेश के लिए फिर से आमंत्रण भेजा जाता है।
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