सागर में ढाई महीने की मासूम का धर्म परिवर्तन, SP को बाल कल्याण समिति का नोटिस

मध्य प्रदेश के सागर जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहां जिला अस्पताल में भर्ती एक बेसहारा महिला की ढाई महीने की बच्ची को सहायता के नाम पर उससे अलग कर दिया गया। यही नहीं, बच्ची को अवैध रूप से गोद लेकर उसकी पहचान भी बदल दी गई।

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Rohit Sahu
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मध्य प्रदेश के सागर जिले में ढाई महीने की बच्ची का धर्म परिवर्तन करने का मामला सामने आया है। असल बच्ची की मां अस्पताल में भर्ती थी। तभी एक कपल ने बच्ची को मां से अलग कर दिया और बच्ची को अवैध रूप से गोद ले लिया। साथ ही बच्ची की धार्मिक पहचान भी बदल दी। और मासूम का नाम बदलकर फातिमा रख दिया।

अस्पताल में बच्ची को किया अलग

ढाई महीने की मासूम बच्ची का धर्म परिवर्तन में अस्पताल की भी लापरवाही सामने आई है। बताया जा रहा है कि बच्ची की मां बीमार थी और अस्पताल में भर्ती थी। इस दौरान किसी ने बच्ची को चुरा लिया और उसका नाम बदलकर फातिमा रख दिया। हालांकि मामला उजागर होने के बाद बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Child Rights Protection Commission) ने बच्ची को सुरक्षित बरामद कर मातृछाया आश्रम (Matrichhaya Ashram) भेज दिया है। 

मां की मौत के बाद लिया गोद

गुना जिले की रहने वाली विमला धाकड़ गंभीर हालत में रेलवे स्टेशन पर मिली थी। उनके साथ उनका 5 साल का बेटा और ढाई महीने की बच्ची भी थी। किसी ने महिला को देखा और गंभीर स्थिति में जिला अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल में एक अन्य महिला शबाना भी भर्ती थी। उसी ने बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी ले ली। 10 फरवरी को बच्ची को पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया। 17 फरवरी को विमला धाकड़ की मौत के बाद दोनों बच्चों को बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee) के आदेश पर आश्रम (Shelter Home) भेज दिया गया।

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सागर पुलिस अधीक्षक को नोटिस

बाद में जब प्रशासन ने जांच की तो बच्ची के दस्तावेजों (Documents) में चौंकाने वाला खुलासा हुआ। दस्तावेजों में उसका नाम फातिमा (Fatima) दर्ज था और एडॉप्टेड (Adopted) लिखा हुआ था। बाल कल्याण समिति ने सागर पुलिस अधीक्षक को इस मामले में नोटिस (Notice) भेजा है। समिति ने जांच रिपोर्ट (Investigation Report) मांगी है और इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

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मामले में जिला अस्पताल की लापरवाही भी सामने आई

जिला अस्पताल की लापरवाही भी इस मामले में उजागर हुई है। बच्ची के दस्तावेजों में नाम बदलने और एडॉप्टेड लिखे जाने की जानकारी अस्पताल प्रशासन को होनी चाहिए थी। लेकिन, यह गंभीर मामला अब सामने आया है।

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