MP NEWS: मध्य प्रदेश के सागर नगर निगम की महापौर संगीता सुशील तिवारी ने बीजेपी नेतृत्व से औपचारिक रूप से माफी मांगीं। उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि MIC (मैयोर इन काउंसिल) में बदलाव के लिए पार्टी की पूर्व अनुमति जरुरी होती है। रविवार को वह प्रदेश बीजेपी कार्यालय पहुंचीं और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भेंट की। इस दौरान उन्होंने लिखित जवाब प्रस्तुत किया और अपनी गलती के लिए खेद व्यक्त किया।
प्रदेश नेतृत्व से सीधी मुलाकात
महापौर संगीता तिवारी ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री और महामंत्री के साथ बैठक की। यह मुलाकात सागर नगर निगम में हालिया MIC बदलाव के संदर्भ में हुई, जिस पर पार्टी ने आपत्ति जताई थी। संगीता तिवारी ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय जानकारी के अभाव में हुआ और पार्टी की भावना को ठेस पहुंचाना उनका मकसद नहीं था।
ये खबर भी पढ़िए... MP में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद को मिली जान से मारने की धमकी, दर्ज हुई FIR
अनुपस्थित रहने की बताई वजह
महापौर ने बताया कि 26 अप्रैल को भोपाल स्थित प्रदेश कार्यालय में उपस्थित रहने के निर्देश 25 अप्रैल की दोपहर को मिले थे। इस दौरान उनकी समधन पुणे में गंभीर रूप से बीमार थीं और उनका ऑपरेशन होना था। इसलिए वह चाहकर भी समय पर उपस्थित नहीं हो सकीं। उन्होंने इस अनुपस्थिति के लिए भी क्षमा याचना की है।
ये खबर भी पढ़िए... पहलगाम हमले पर बोले सीएम मोहन यादव, सिंधु का बंटवारा था ऐतिहासिक भूल
क्या MIC बदलाव पर फिर से विचार होगा?
पार्टी महापौर की इस माफी को स्वीकार कर उन्हें आगे काम करने की छूट देती है या फिर MIC बदलाव को रद्द कराने की ओर बढ़ती है। फिलहाल संगीता तिवारी का यह कदम स्पष्ट रूप से पार्टी नेतृत्व से सामंजस्य बनाने की दिशा में है।
ये खबर भी पढ़िए... पहलगाम में आतंकी हमला : 22 घंटे पैदल चले आतंकी, विदेशी हथियारों से बरसाई गोलियां
संगीता तिवारी को किया था तलब
बीजेपी सूत्रों के अनुसार, महापौर द्वारा बिना पार्टी से परामर्श लिए MIC में बदलाव करना संगठनात्मक अनुशासन का उल्लंघन माना गया। पार्टी की नाराजगी इसी मुद्दे को लेकर थी और संगीता तिवारी को तलब किया गया था। हालांकि, उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। माना जा रहा है कि पार्टी अब उनके स्पष्टीकरण को विचार कर आगे निर्णय लेगी।
ये खबर भी पढ़िए... सपा सांसद रामजीलाल सुमन के काफिले पर हमला, टायर-पत्थर फेंके, जानें क्या था विवाद