सांची विश्वविद्यालय ( Sanchi Buddhist University ) मनमानी का शिकार हो गया है। यहां नियमों को ताक पर रखकर भर्तियां की जा रही हैं। जिन विषयों का विश्वविद्यालय में एक भी विद्यार्थी नहीं है, उसके लिए गेस्ट फैकल्टी की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया है। यह पूरी प्रक्रिया भी महज पांच दिन में पूरी कर ली गई है, लिहाजा इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सांची विश्वविद्यालय की स्थापना के वक्त इसे ज्ञान और शिक्षा का अंतरराष्ट्रीय केन्द्र बनाने के दावे किए गए थे, लेकिन अब यहां मनमानी का खेल चल रहा है। तीन बार सांची विश्वविद्यालय में भर्ती का विज्ञापन निरस्त हो चुका है।
पिछले विज्ञापन पर तो संस्कृति विभाग ने जांच कमेटी बनाकर दोषियों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब एक बार फिर भर्ती की तैयारी है। हालिया की जा रहीं भर्तियों को लेकर 'द सूत्र' ने कुलपति प्रो.वैद्यनाथ लाभ से उनके नंबर पर संपर्क किया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
अपनों को उपकृत करने की तैयारी
आरोप है कि इस बार गेस्ट फैकल्टी के नाम पर कुलपति अपने लोगों को उपकृत करना चाहते हैं, इसलिए महज छह दिन पहले 9 अगस्त को विज्ञापन जारी कर 14 अगस्त को इंटरव्यू रखा गया है। इसमें भी आरक्षण और दूसरे नियमों को ताक पर रख दिया गया है।
विश्वविद्यालय ने शिक्षा, भारतीय दर्शन, हिन्दी, अंग्रेजी, चीनी भाषा, भारतीय चित्रकला और संस्कृत में गेस्ट फैकल्टी पद का विज्ञापन निकाला है, लेकिन विश्वविद्यालय में वैकल्पिक शिक्षा, भारतीय दर्शन, हिन्दी, अंग्रेजी और भारतीय चित्रकला के पदों पर सहायक प्राध्यापक यानी अस्सिटेंट प्रोफेसर पहले से हैं। अव्वल तो इसके लिए दूसरी गेस्ट फैकल्टी की जरूरत ही नहीं है। फिर भी यदि भर्तियां की जानी है तो दूसरी बार विज्ञापन जारी करते समय आरक्षण रोस्टर का पालन किया जाना था, लेकिन सभी पद सामान्य रखे गए हैं।
प्रो.वैद्यनाथ लाभ
आरक्षण का ध्यान नहीं रखा
वर्ष 2021 में जारी हुए भर्ती विज्ञापन में भी पदों को आरक्षण के अनुसार मांगा गया था। आरोप है कि इस बार कुलपति ने एक कदम आगे जाते हुए विश्वविद्यालय की स्थापना के उद्देश्यों से ही छेड़छाड़ कर दी है। इस बार के विज्ञापन में Education शिक्षा शास्त्र के पद की भर्ती निकाली है, जबकि ऐसा नहीं किया जा सकता है।
अभी भी विश्वविद्यालय में एक अस्सिटेंट प्रोफेसर वैकल्पिक शिक्षा विषय में पदस्थ है। इसी साल 14 मार्च 2024 के गेस्ट फैकल्टी के विज्ञापन में वैकल्पिक शिक्षा (Alternative Education) का पद दिया गया था, लेकिन इसे अब कुलपति ने बदल दिया है।
शिक्षा शास्त्र का कोई पद ही नहीं
सांची विश्वविद्यालय के गेस्ट फैकल्टी, विजिटिंग फैकल्टी और एड-हॉक अपॉइनटमेंट नियमों में गेस्ट फैकल्टी पर केवल मंजूर पदों के विरुद्ध ही भर्ती का नियम है, लेकिन इसे भी धता बता दिया गया है। 23 सितंबर 2013 में संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश शासन के सांची विश्वविद्यालय के पदों के आदेश में वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली केन्द्र के अंतर्गत ही प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्राध्यापक के पद दिए गए हैं, इसमें शिक्षा शास्त्र का कोई पद नहीं है।
इसलिए खड़े हुए सवाल
- आलम यह है कि इस बार वैकल्पिक शिक्षा में एक भी छात्र ने एडमिशन नहीं लिया है। पिछले सत्र से भी सिर्फ एक छात्र है।
- भारतीय चित्रकला में भी इस वर्ष किसी छात्र का एडमिशन नहीं हुआ है। पिछले साल के तीन छात्र ही हैं। फिर भी गेस्ट फैकल्टी की भर्ती की जा रही है।
- इन दो मामलों से सीधे तौर पर समझा जा सकता है कि इन विषयों के लिए गेस्ट फैकल्टी की भर्ती करना किसी कृपापात्र को उपकृत करना भर है।
शोधार्थियों से पढ़ाई क्यों नहीं करा सकते?
एक बड़ा सवाल तो यह है कि विश्वविद्यालय में सभी विभागों में जेआरएफ और पीएचडी शोधार्थी हैं, जिन्हें विश्वविद्यालय छात्रवृत्ति भी देता है। ऐसे में पीजी छात्रों को पढ़ाने का काम इन शोधार्थियों से कराया जा सकता है। अब आरोप है कि कुलपति अपनों को उपकृत करना चाहते हैं, इसलिए बिना छात्र के विभागों में भी गेस्ट फैकल्टी की भर्ती कर रहे हैं।
कौन हैं कुलपति वैद्यनाथ लाभ
सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.वैद्यनाथ लाभ हैं। वे मूलत: बिहार से आते हैं। उन्हें 4 वर्ष या 70 वर्ष की सेवा अवधि तक के लिए सांची विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया है। इससे पहले सांची विश्वविद्यालय में वे बतौर डीन अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय और जम्मू विश्वविद्यालय में भी काम किया है। वे पालि अध्ययन के लिए विख्यात विश्वविद्यालय नव नालंदा महाविहार के कुलपति भी रह चुके हैं।
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