सरला मिश्रा कांडः फिर खुलेगी केस फाइल, दिग्विजय सिंह पर लगे थे आरोप

28 साल पहले हुए सरला मिश्रा कांड में भोपाल की स्थानीय अदालत ने फिर से जांच के आदेश दिए हैं। इस आदेश से परिजनों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। कांग्रेसी नेता सरला मिश्रा की रहस्यमयी मौत ने देशभर में चर्चा छेड़ी थी।

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The Sootr
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Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. 28 साल पुराना चर्चित सरला मिश्रा कांड अचानक सुर्खियों में आ गया है। 28 साल पहले कांग्रेसी नेता सरला मिश्रा की रहस्यमयी मौत के मामले में पुलिस द्वारा केस खात्मा के पुनः जांच के आदेश स्थानीय अदालत ने दे दिए हैं। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में तेरहवें सिविल जज सीनियर सेक्शन कोर्ट की जज पलक राय ने यह आदेश जारी किए। इस आदेश के आने के बाद एक बार फिर से इस मामले में परिजनों में न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। बता दें कि हादसे के दौरान यह मामला देशभर की सुर्खियों में छाया था। 

सीजेएम को देना होगा स्पष्टीकरण

14 फरवरी 1997 को राजधानी भोपाल में हुआ सरला मिश्रा कांड एक बार फिर से सुर्खियों में है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की विवेक अग्रवाल सिंगल बेंच ने 7 नवंबर 2019 से 21 मई 2024 के बीच भोपाल में पदस्थ सभी सीजेएम को स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह को केंद्रित करते हुए सीबीआई जांच की मांग उठाई जा रही है।

सरला मिश्रा कांड की कहानी

सरला मिश्रा, जो कांग्रेस पार्टी की महिला नेता थीं और होशंगाबाद की निवासी थीं, 14 फरवरी 1997 को गंभीर रूप से जलने की हालत में भोपाल के एक अस्पताल में भर्ती हुईं। उनकी स्थिति इतनी गंभीर थी कि उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया, जहां 19 फरवरी को उनकी मृत्यु हो गई। उस समय भारतीय जनता पार्टी ने पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया, और विधानसभा में लगातार 10 दिनों तक हंगामा जारी रहा।

27 फरवरी 1997 को तत्कालीन गृहमंत्री चरण दास महंत ने इस मामले की सीबीआई जांच की घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद कभी भी सीबीआई जांच का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया।

डाइंग डिक्लेरेशन में सरला का बयान

भोपाल पुलिस ने 27 मार्च 2000 को इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि सरला ने डाइंग डिक्लेरेशन में किसी को भी अपनी मौत का जिम्मेदार नहीं ठहराया। पुलिस का दावा था कि सरला ने 15 फरवरी को सुबह 3.30 बजे दिए गए बयान में कहा था, "मैंने दो ढक्कन घासलेट डालकर आग लगा ली। हर काम में असफल होने के कारण तंग आकर मैंने खुदकुशी की। इसमें किसी का कोई दोष नहीं है। मुझे किसी ने नहीं जलाया, मैं स्वयं जली हूं।"

हाई कोर्ट में पुलिस कमिश्नर की पेशी

सरला मिश्रा के परिवार और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया, और फिर से दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की। 31 जनवरी 2006 को हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि, सरला मिश्रा के भाई अनुराग मिश्रा ने कानूनी लड़ाई जारी रखी और 2018 में कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कहा कि पुलिस ने सही से जांच नहीं की, और इसलिए सीबीआई जांच होनी चाहिए।

पिछली सुनवाई और पुलिस कमिश्नर की पेशी

हाई कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरि नारायण चारी मिश्रा को तलब किया गया था। उन्होंने कोर्ट में बताया कि प्रकरण में खात्मा रिपोर्ट पेश की जा चुकी है, जिससे पुलिस की भूमिका पर एक बार फिर से सवाल उठे हैं।

यह खबर लगातार अपडेट की जा रही है... 

सरला मिश्रा कांड की टाइमलाइन

14 फरवरी 1997 - सरला मिश्रा की मौत

14 फरवरी 1997 को कांग्रेस पार्टी की महिला नेता सरला मिश्रा को भोपाल में गंभीर रूप से जलने की हालत में अस्पताल में भर्ती किया गया। उनकी स्थिति इतनी गंभीर थी कि उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया, जहां 19 फरवरी 1997 को उनकी मृत्यु हो गई। उस समय भारतीय जनता पार्टी ने पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया, और विधानसभा में लगातार 10 दिनों तक हंगामा चलता रहा।

27 फरवरी 1997 - सीबीआई जांच की घोषणा

तत्कालीन गृहमंत्री चरण दास महंत ने 27 फरवरी 1997 को इस मामले की सीबीआई जांच की घोषणा की, लेकिन इसके बाद कभी भी सीबीआई जांच का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया गया।

27 मार्च 2000 - पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट

भोपाल पुलिस ने 27 मार्च 2000 को इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि सरला ने डाइंग डिक्लेरेशन में किसी को भी अपनी मौत का जिम्मेदार नहीं ठहराया था। पुलिस के अनुसार, सरला ने 15 फरवरी 1997 को सुबह 3.30 बजे दिए गए बयान में कहा था, "मैंने दो ढक्कन घासलेट डालकर आग लगा ली। हर काम में असफल होने के कारण तंग आकर मैंने खुदकुशी की। इसमें किसी का कोई दोष नहीं है। मुझे किसी ने नहीं जलाया, मैं स्वयं जली हूं।"

31 जनवरी 2006 - हाई कोर्ट में सीबीआई जांच की याचिका खारिज

सरला मिश्रा के परिवार और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए, और फिर से तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की। 31 जनवरी 2006 को हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

2018 - अनुराग मिश्रा ने कानूनी लड़ाई जारी रखी

सरला मिश्रा के भाई अनुराग मिश्रा ने कानूनी लड़ाई जारी रखते हुए 2018 में फिर से कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने मामले की सही तरीके से जांच नहीं की, और इसलिए सीबीआई जांच होनी चाहिए।

2019 - मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का आदेश

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की विवेक अग्रवाल सिंगल बेंच ने 7 नवंबर 2019 से 21 मई 2024 के बीच भोपाल में पदस्थ सभी सीजेएम को स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। इस मामले में दिग्विजय सिंह और उनके भाई लक्ष्मण सिंह को केंद्रित करते हुए सीबीआई जांच की मांग उठाई जा रही है।

पिछली सुनवाई और पुलिस कमिश्नर की पेशी

हाई कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरि नारायण चारी मिश्रा को तलब किया गया था। उन्होंने कोर्ट में बताया कि प्रकरण में खात्मा रिपोर्ट पेश की जा चुकी है, जिससे पुलिस की भूमिका पर एक बार फिर से सवाल उठे हैं।

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