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पूर्व आरटीओ आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले (Saurabh Sharma case) में विधानसभा जानकारी दी गई। सौरभ शर्मा ने वीआरएस (वॉलेंट्री रिटायरमेंट) लेने से पहले 12 अलग-अलग दफ्तरों और चेक पाइंट पर 18 अफसरों और कर्मचारियों के साथ काम किया। इसके बाद विपक्ष ने परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की भी तैयारी कर रहा है।
विधानसभा में फिर उठा मुद्दा
दरअसल यह जानकारी सोमवार को विधानसभा में परिवहन मंत्री ने दी। कांग्रेस विधायक ने सोमवार को फिर ये मुद्दा उठाया था। विधायक महेश परमार ने परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह से जवाब मांगा। उन्होंने काहा कि सौरभ शर्मा की पोस्टिंग कहां-कहां की गई थी? उनकी रिपोर्टिंग किन अधिकारियों के अंतर्गत रही? उनकी नियुक्ति के दौरान प्रदेश में परिवहन आयुक्त कौन-कौन रहे?
12 अलग-अलग दफ्तरों रही पोस्टिंग
परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने जवाब दिया कि सौरभ शर्मा ने वीआरएस लेने से पहले 12 अलग-अलग दफ्तरों और चेक पाइंट पर 18 अफसरों और कर्मचारियों के साथ काम किया था। इसमें परिवहन आयुक्त से लेकर प्रधान आरक्षक कैडर तक के कर्मचारी शामिल हैं। सौरभ शर्मा दो बार ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के दफ्तर में पदस्थ रहे। जिनमें से एक बार डॉ. शैलेंद्र श्रीवास्तव और दूसरी बार अरविंद सक्सेना के कार्यकाल में हुई।
भ्रष्टाचार पर लगे सवालिया निशान
विधानसभा (MP vidhansabha) में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान यह भी सवाल उठाया गया कि आखिर इतने सालों तक परिवहन विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार की निगरानी क्यों नहीं हुई? यह स्पष्ट करता है कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत के कारण यह भ्रष्टाचार फल-फूल रहा था।
परिवहन मंत्री ने दिया जवाब
परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने अपने लिखित जवाब में कहा कि पहले परिवहन जांच चौकियों पर स्थायी रूप से तैनात कर्मचारियों द्वारा वाहनों की जांच की जाती थी। लेकिन अब चेकिंग पॉइंट्स का कोई स्थायी स्थान नहीं होता, जिससे गड़बड़ियों पर नजर रखना आसान नहीं होता। उन्होंने आश्वासन दिया कि अवैध वसूली की शिकायतों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
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सुप्रीम कोर्ट जाएगा विपक्ष
कांग्रेस विधायक दल ने परिवहन चेकपोस्ट पर अवैध वसूली के घोटाले और पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की घोषणा की है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने कहा कि लोकायुक्त के प्रभारी डीजी जयदीप प्रसाद का अचानक तबादला इस बात का संकेत है कि राज्य सरकार इस मामले को दबाना चाहती है।
बता दें सौरभ शर्मा लोकायुक्त पुलिस द्वारा की गई छापेमारी के बाद से चर्चा में है। उसके पास से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये कैश बरामद हुआ था।
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