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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयकर विभाग ने बिल्डर्स के खिलाफ छापेमारी की है, जिसके बाद कई नए आरोप सामने आए हैं। इस मामले में खासतौर पर राजेश शर्मा और परिवहन विभाग के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की संपत्ति चर्चा का विषय बन गई है। कांग्रेस पार्टी के नेता लगातार सरकार पर हमलावर हो रहे हैं। उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस पर आरोप लगाए हैं। अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुछ सनसनीखेज आरोप लगाए हैं।
दिग्विजय सिंह के निशाने पर सिंधिया
दिग्विजय सिंह ने कहा कि जब मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार थी, तब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दबाव डाला था कि गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन और राजस्व विभाग का जिम्मा सौंपा जाए। इस बारे में क्यों दबाव था, ये सवाल उन्होंने सीधे सिंधिया से पूछा। दिग्विजय सिंह ने बताया कि हमारी सरकार ने एक बोर्ड बनाया था, जो यह तय करता था कि किसे कहां पोस्टिंग मिलेगी। वहीं इसी मामले में दिग्गी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लेटर लिखा है, जिसमें वो अकूत संपत्ति की जांच कराने की मांग की है।
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कांग्रेस नेता का दावा
दिग्विजय सिंह के अनुसार, जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने, तो सिंधिया ने दबाव डालकर वह बोर्ड भंग करा दिया और गोविंद सिंह राजपूत को फिर से परिवहन विभाग सौंप दिया। इसके बाद से एक नई प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें वसूली करने वाले लोग पदों पर नियुक्त होने लगे।
दिग्विजय ने पीएम को लिखा लेटर
सौरभ शर्मा के पास मिली संपत्ति को लेकर दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की जांच लोकायुक्त से हटाकर ईडी और आयकर विभाग को सौंपी जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पूरे मामले की जांच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की निगरानी में होनी चाहिए।
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'मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत हो कार्रवाई'
दिग्विजय सिंह यहीं नहीं रूके उन्होंने आगे आरोप लगाया कि इस मामले में कुछ गंभीर भ्रष्टाचार हुआ है। उनका कहना था कि इतनी बड़ी संपत्ति और सोने-चांदी की बरामदगी ने सबको चौंका दिया है। सिंह ने कहा कि सौरभ शर्मा, संजय श्रीवास्तव, वीरेश तुमरात और दशरथ सिंह पटेल जैसे लोग नीलामी के नाम पर वसूली करते थे। दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि मनी ट्रेल की पूरी जांच की जानी चाहिए और अगर सब कुछ सही साबित होता है तो उन पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।
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