उज्जैन के महाकाल मंदिर में सावन महीने में पूजा अर्चना करने का अपना एक विशेष महत्व है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक सोमवार यानी 22 जुलाई से सावन महीना की शुरुआत होगी। पुजारी भगवान महाकाल की भस्म आरती करेंगे। सोमवार शाम चार बजे भगवान महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में मनमहेश रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे।
सावन-भादो महीने में इतने बजे खुलेंगे मंदिर के पट
महाकाल मंदिर के पुजारी के मुताबिक ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा अनुसार सावन-भादो महीने में प्रत्येक रविवार को रात 2.30 बजे और सोमवार से शनिवार तक छह दिन रात 3 बजे मंदिर के पट खुलेंगे। इसके बाद भगवान महाकाल की भस्म आरती होगी। मंदिर समिति द्वारा दर्शनार्थियों के लिए सुगम दर्शन व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं।
भगवान महाकाल के जलाभिषेक का विशेष महत्व
सावन मास में भगवान महाकाल के जलाभिषेक का विशेष महत्व है। इसी धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंदिर समिति ने कार्तिकेय व सभा मंडप में जल पात्र लगाए हैं। देश-विदेश से आने वाले दर्शनार्थी जल पात्र के माध्यम से भगवान का जलाभिषेक कर सकेंगे।
मंदिर में इन द्वारों से मिल सकेगा प्रवेश
सामान्य दर्शनार्थी महाकाल महालोक के नंदी द्वार से मंदिर में प्रवेश करेंगे। शीघ्र दर्शन के लिए 250 रुपए के टिकट वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश गेट नंबर-1 और गेट नंबर-4 से होगा। वीआइपी दर्शनार्थी बेगम बाग मार्ग पर स्थित नीलकंठ द्वार से प्रवेश करेंगे।
भस्म आरती दर्शन
भस्म आरती दर्शन के लिए नंदी व गणेश मंडपम की अनुमति धारी श्रद्धालुओं का प्रवेश मानसरोवर फैसिलिटी सेंटर के गेट नंबर-1 से रहेगा।
वीआइपी दर्शन पर प्रतिबंध
भीड़ को देखते हुए वीआइपी दर्शन पर प्रतिबंध रहेगा। सुबह नौ बजे तक ही भगवान को सीधे जल और फूल-बेलपत्र चढ़ सकेगा। दिन में इंदौर-इच्छापुर राजमार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित रहेगी।
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