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ग्वालियर की सियासत में 15 दिसंबर यानी आज होने वाला जीवाजी राव सिंधिया की प्रतिमा का अनावरण कार्यक्रम "सिंधिया बनाम कुशवाह" का अखाड़ा बन गया है। जब निमंत्रण पत्र छपा, तो उसमें हर बड़ा नाम मौजूद था- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से लेकर राज्यपाल मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव तक। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी चमचमाते अक्षरों में दर्ज है, लेकिन, अरे भाई! ग्वालियर के अपने सांसद भारत सिंह कुशवाह का नाम तो ऐसा गायब हुआ, जैसे वो ग्वालियर के सांसद ही नहीं हों!
बड़ा सवाल- चूक हुई या फिर…
अब सवाल यह है कि क्या यह केवल एक प्रिंटिंग मिस्टेक है, या फिर "राजनीतिक महाभारत" का नया अध्याय? स्थानीय गॉसिपर्स का कहना है कि यह कोई गलती नहीं, बल्कि एक "कला" है- सियासी कला। दरअसल इस सियासी ड्रामे में एक और मजेदार ट्विस्ट है। कुशवाह को बीजेपी के "तोमर गुट" का वफादार सिपाही माना जाता है। अब जब ग्वालियर में सिंधिया का जलवा है, तो तोमर के करीबियों को साइडलाइन करना शायद "सियासी शतरंज" की चाल है। हालांकि, खुद तोमर का नाम निमंत्रण पत्र में है। यानी, "राजनीति में दोस्ती स्थायी नहीं होती, बस मौके के हिसाब से गठजोड़ बदलते रहते हैं।"
पुराने घाव और नई राजनीति
सिंधिया और तोमर के बीच की खींचतान कोई नई बात नहीं है। याद कीजिए वो समय जब रामनिवास रावत को बीजेपी में लाने पर सिंधिया ने नाराजगी जताई थी। यहां तक कि उन्होंने विजयपुर उपचुनाव में प्रचार तक नहीं किया। उस वक्त बयानबाजी ऐसी हुई कि ग्वालियर-चंबल की राजनीति में "नया मसाला" तैयार हो गया। यह विवाद तब और उभरकर आया, जब रावत चुनाव हार गए। और सिंधिया के एक बयान ने भाजपा की अंदरूनी कलह को सड़क पर ला दिया। हालांकि समय रहते इस विवाद को संभाल लिया गया।
सियासी भविष्य की पटकथा
तो, यह सवाल बरकरार है—क्या कुशवाह को आमंत्रण पत्र से गायब करना महज एक इत्तेफाक है, या फिर सिंधिया के राजनीतिक किले को मजबूत करने की "मास्टर प्लानिंग"? जवाब तो वक्त ही देगा, लेकिन ग्वालियर की जनता इस पूरे ड्रामे को बड़े चाव से देख रही है।
क्या ये अंदरूनी कलह?
मध्य प्रदेश की राजनीति में 15 दिसंबर को ग्वालियर में होने वाला जीवाजी राव की प्रतिमा का लोकार्पण कार्यक्रम चर्चाओं में है। खास यह है कि जहां इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और अन्य बड़े नेताओं को आमंत्रित किया गया है, आमंत्रण पत्र में उनके नाम भी हैं, वहीं ग्वालियर के स्थानीय सांसद भारत सिंह कुशवाह का नाम आमंत्रण पत्र से गायब है। इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
सिंधिया-कुशवाह के रिश्तों में खटास?
जीवाजी राव सिंधिया की प्रतिमा का अनावरण केवल एक सांस्कृतिक या ऐतिहासिक कार्यक्रम ही नहीं, बल्कि यह सिंधिया परिवार की विरासत और ग्वालियर की सियासत का अहम मोड़ भी है। ऐसे में ग्वालियर के सांसद भारत सिंह कुशवाह का नाम निमंत्रण न होना सीधे तौर पर उनके और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच अंदरूनी खटास को उजागर करता है।
डॉ. मोहन यादव के व्यस्त कार्यक्रम
आपको बता दें कि ग्वालियर में 15 दिसंबर को जीवाजी राव की प्रतिमा के अनावरण के साथ तानसेन संगीत समारोह, युवा संसद और करोड़ों के विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण भी होगा।
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