संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशी डॉ. अक्षय कांति बम ( Akshay Kanti Bomb ) की खुलेआम लूट हो जाने के बाद अब कांग्रेस मंगलवार शाम को अपनी अगली रणनीति का खुलासा कर सकती है। सोमवार को भी गांधी भवन में बंद कमरे में जो बात हुई, इसमें दो मुद्दों पर विचार चल रहा है।
पहला मुद्दा नोटा पर डलवाएं वोट, करें बहिष्कार
कांग्रेस में एक धड़े का मन है कि इस पूरे मुद्दे को लोकतंत्र की हत्या के रूप में ही जनता के सामने लेकर जाएं और उनसे अपील की जाए कि प्रतीकात्मक रूप से अधिक से अधिक नोटा को वोट करें। कांग्रेस का मानना है कि यह एक राजनीतिक बहस और देश में प्रतीकात्मक रूप से अन्य सीटों पर असर डालने वाला साबित होगा। वहीं आमजन को भी यह अपील झंझोड़ने वाली होगी ( indore congress )।
दूसरा मुद्दा खजुराहो की तरह अन्य को दें समर्थन
वहीं कांग्रेस में कुछ अन्य नेताओं का मानना है कि इसकी जगह खजुराहो वाली नीति अपनाई जाए। जहां पर इंडिया गठबंधन के सपा प्रत्याशी का नामांकन खारिज कर दिया गया, इसके बाद अन्य प्रत्याशी को समर्थन देकर वोट देने की अपील की गई। इसके लिए प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने इंदौर चुनाव मैदान में बचे 12 प्रत्याशियों (बीजेपी और बसपा प्रत्याशी को छोड़कर) की लिस्ट ली है, इसमें वह मंथन करेंगे और फिर सभी से चर्चा के बाद इस नाम को घोषित करेंगे। अभी यह प्रक्रिया और नाम को गोपनीय रखा जा रहा है।
बीजेपी प्रत्याशी शंकर लालवानी को छोड़ बाकी यह है 13 प्रत्याशी-
1- संजय सोलंकी- बसपा
2- अजीत सिंह- सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया कम्युनिस्ट
3- पवन कुमार- अखिल भारतीय परिवार पार्टी
4- बसंत गेहलोत- जनसंघ पार्टी
5- अभय जैन- जनहित पार्टी, निर्दलीय
6- अजाय अली- निर्दलीय
7- इंजीनियर अर्जुन परिहार- निर्दलीय
8- अंकित गुप्ता- निर्दलीय
9- परमानंद तोलानी- निर्दलीय
10- पंकज गुप्ते- निर्दलीय
11- मुदित चौरसिया- निर्दलीय
12- रवि सिरवैया- निर्दलीय
13- दिलीप खंडेलवाल- निर्दलीय
तोलानी तो पहले बोल चुके मुझे करे कांग्रेस सपोर्ट
19वें चुनाव के लिए नामाकंन भरने वाले निर्दलीय प्रत्याशी परमानंद तोलानी ने नामांकन फार्म भरने के बाद ही कहा था कि कांग्रेस को मुझे सपोर्ट करना चाहिए, क्योंकि मैं सिंधी हूं और बीजेपी का प्रत्याशी भी सिंधी है तो मैं वोट काट दूंगा। तोलानी 8 बार विधानसभा, आठ बार लोकसभा और दो महापौर चुनाव लड़ चुके हैं। उनके पिता मीठाराम तोलानी भी 25 साल तक लगातार चुनाव लड़ते रहे। वह खुद 1988 से हर चुनाव लड़ते हैं। एक बार महापौर महिला पद होने पर उन्होंने पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा था।