सीहोर में गेल इंडिया कंपनी के प्रोजेक्ट का विरोध, किसान बोले- जान दे देंगे जमीन नहीं

सीहोर में गेल के प्रस्तावित प्लांट के विरोध में किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉली की चार किलोमीटर लंबी रैली निकाली। साथ ही आष्टा तहसील में एक घंटे प्रदर्शन किया। उसके बाद एसडीएम को ज्ञापन भी सौंपा।

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Sandeep Kumar
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नफीस खान @ Sehore.  सीहोर जिले के आष्टा में गुरुवार को गेल इंडिया कंपनी ( GAIL India Company ) के प्रोजेक्ट के विरोध में किसान सड़कों पर उतर गए। किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालकर विरोध जताया। रैली विभिन्न गांवों से होती हुई भोपाल-इंदौर रोड चौपाटी से कन्नौद रोड होते हुए तहसील कार्यालय पहुंची। यहां किसानों ने एसडीएम स्वाति उपाध्याय मिश्रा ( SDM Swati Upadhyay Mishra ) को ज्ञापन सौंपा। दरअसल आष्टा क्षेत्र में गेल कंपनी के 60 हजार करोड़ की लागत से 700 हेक्टेयर से अधिक जमीन ( आधी निजी तो आधी सरकारी ) में लगने वाले प्रस्तावित एथेन क्रैकर प्लांट ( Ethane Cracker Plant ) का विरोध उग्र हो गया है। 

भोपाल-इंदौर हाईवे पर किसानों ने निकाली रैली

भोपाल-इंदौर हाईवे बाइपास चौपाटी से शुरू हुई रैली में महिला-पुरुष ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार थे । प्रदर्शनकारी किसान हाथों में गेल भगाओ, परिवार बचाओ, घातक गेले वापस जाओ जैसे स्लोगन लिखे पोस्टर लेकर  नारेबाजी कर रहे थे। पुराना बस स्टैंड, नया बस स्टैंड, भोपाल नाका, कन्नौद रोड होकर चार किमी का सफर तय कर तहसील पहुंची ट्रैक्टर रैली बड़े विरोध प्रदर्शन में बदल गई। तहसील के अंदर परिसर भराने के बाद हंगामा बड़ा तो पुलिस ने मुख्य गेट बंद कर दिया। इससे किसान भडक़ गए और तहसील के सामने कन्नौद रोड की सड़क पर बैठकर नारेबाजी करने लगे। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि प्लांट में भंवरा, भंवरी, अरनिया दाऊद, बागेर, बापचा गांव के किसानों की सिंचित जमीन जा रही है। इसी जमीन पर खेती कर परिवार का भरण पोषण करते हैं और वही चली जाएगी तो भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। प्लांट लगने से दूसरा नुकसान पर्यावरण को होगा। जहरीली गैस से पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ कई घातक बीमारी उत्पन्न होगी। वहीं, आसपास की दूसरी जमीन भी बंजर हो जाएगी। 

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एक घंटे से ज्यादा चला प्रदर्शन

तहसील में एक घंटे से ज्यादा समय तक किसानों ने प्रदर्शन किया। एसडीएम स्वाति उपाध्याय ( SDM Swati Upadhyay ), तहसीलदार पंकज पवैया ने मौके पर आकर प्रदर्शनकारियों को काफी समझाया, लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं थे। उनका एक ही कहना था कि किसी भी हालत में वह प्लांट लगने अपनी जमीन नहीं देंगे। इसके लिए भले ही उनको अपनी जान क्यों नहीं देना पड़े। प्रदर्शन में कांग्रेस पदाधिकारी, कार्यकर्ता भी शामिल हुए। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ( AICC ) के सदस्य हरपाल ठाकुर ने बताया कि जो प्लांट क्षेत्र (plant area ) में लगना प्रस्तावित है, वह मरुस्थल एरिया में लगाया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। प्लांट लगा तो इसके घातक परिणाम सामने आएंगे। किसानों के साथ कांग्रेस भी इसका विरोध कर रही है।

जरूरत पड़ी तो करेंगे आंदोलन

प्रदर्शनकारियों का गुस्सा बड़ी मुश्किल से शांत हुआ और उन्होंने प्लांट को लगने से रोकने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। इसमें स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो अगला कदम आंदोलन का होगा और जरूरत पड़ी तो अन्य कदम भी उठाया जाएगा। हालांकि, पिछले कुछ समय से गतिविधि पूरी तरह से बंद पड़ी है। आष्टा तहसीलदार पंकज पवैया ( Ashta Tehsildar Pankaj Pawaiya ) ने कहा, क्षेत्र में गेल के लगने वाले प्रस्तावित प्लांट में अभी प्रारंभिक प्रक्रिया में सरकारी जमीन का ही सर्वे हुआ है। उसके बाद आगे कोई गतिविधि नहीं हुई है। उच्च स्तर से जैसे दिशा निर्देश मिलेंगे उस आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

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