नौकरी मिली नहीं... चयनित शिक्षकों में से कोई उठा रहा गोबर, कोई कर रहा मजदूरी

मध्यप्रदेश में आलम यह है कि आधा सैकड़ा से अधिक शिक्षक सुबह से चौराहों पर रोजगार की तलाश में खड़े हो जाते है और दूसरों के यहां मजदूरी कर रहे हैं। वहीं चयनित महिला शिक्षक घर चलाने के लिए किराना दुकान खोलकर सामान बेचने को मजबूर हैं...

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Arvind Sharma
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सरकारी स्कूलों में शिक्षा की अलख जगाने का सपना देखने वाले मध्यप्रदेश के 882 युवाओं ने एक साल पहले यानी वर्ष 2023 में भर्ती परीक्षा तो पास कर ली, लेकिन आज तक इन चयनित युवाओं को नौकरी नहीं मिली है। अब इनमें से कई युवा मजदूरी करने को मजबूर हैं। हालात यह है कि बेरोजगार युवा खेतों में काम कर परिवार की गुजर-बसर कर रहे हैं। इतना ही नहीं, कई शिक्षक दूसरों के घर का गोबर उठाकर खेतों में डाल रहे हैं। आलम यह है कि आधा सैकड़ा से अधिक शिक्षक चौराहों पर रोजगार की तलाश में सुबह खड़े होकर दूसरों के घरों में मजदूरी करने जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर महिला चयनित शिक्षक घर चलाने के लिए किराना दुकान खोलकर सामान बेचने को मजबूर हैं। 

स्कूलों का भी चयन, पर आदेश नहीं

ओबीसी आरक्षण के तहत प्राथमिक शिक्षक वर्ग तीन के 882 शिक्षकों का चयन करने के बाद जिला आवंटन कर स्कूलों का चयन करा लिया गया। यह शिक्षक पिछले एक साल से नियुक्ति आदेश के लिए मंत्रियों के बंगलों से लेकर मंत्रालय और डीपीआई के चक्कर काट रहे हैं, इसके बाद भी इन्हें न्याय नहीं मिल सका है। 

काम न आया मंत्री का आश्वासन

हालांकि, स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने शिक्षकों को आश्वासन दिया था कि मंत्रालय में आयुक्त शिल्पा गुप्ता के साथ बैठक कर उनकी समस्या का हल कराएंगे। मंत्रालय में चर्चा भी हुई, लेकिन युवाओं की आस अब भी अधूरी है। आपको बता दें कि एक वर्ष में कई बार शिक्षकों की बैठक मंत्रियों के बंगलों से लेकर मंत्रालय में हो चुकी है, लेकिन हर बार यह शिक्षक बैरंग होकर घर लौट जाते हैं। 

आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो मजदूरी करने लगे

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सिवनी के रहने वाले चयनित शिक्षक सौरभ राणा ने द सूत्र से बातचीत में कहा कि एक वर्ष पहले परीक्षा पास कर ली, लेकिन उन्हें नियुक्ति आदेश नहीं मिला। नौकरी नहीं मिलने की वजह से उनके घर की आर्थिक स्थिती बिगड़ गई है। अब वे मजदूरी कर रहे हैं। हर सुबह मजदूरी की तलाश में शहर के चौराहे पर खड़े हो जाते हैं। उसके बाद वह मजदूरी काम मिलने के बाद निकल जाते हैं।

सरकार ने बना दिया चरवाहा

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सीधी निवासी चयनित शिक्षक रामायन प्रसाद यादव ने कहा कि पढ़ाई कर उन्होंने भर्ती परीक्षा पास कर ली। उन्हें नौकरी के लिए जिला आवंटन के बाद स्कूल का चयन करा दिया, लेकिन उसके बाद भी नियुक्ति आदेश नहीं मिला। सरकार ने पढ़ाई लिखाई करने के बाद उन्हें शिक्षक की जगह चरवाहा बना दिया। अब वह दूसरों के पशु चराने का काम कर रहे हैं। उनके घर की स्थिति खराब है। उनका कहना है कि सरकार ने चयनित शिक्षकों के साथ खिलवाड़ किया है। 

कलम की जगह थामना पड़ा फावड़ा

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मुरैना निवासी चयनित शिक्षक रामस्वरूप मीना ने बताया कि उन्होंने सपना देखा था कि छात्रों को स्कूल में पढ़ाकर देश के भविष्य का निर्माण करेंगे, लेकिन नौकरी नहीं मिली। नतीजतन उन्हें कलम की जगह फावड़ा थामना पड़ रहा है। आलम यह है कि अब वह गांव में दूसरों के घरों से गोबर का खाद उठाकर खेतों में डालने का काम करते हैं। इसी से उनके परिवार का भरण पोषण हो रहा है।

नौकरी का एक साल इंतजार किया, अब मजदूरी

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भिण्ड जिले के चयनित शिक्षक कोमल सिंह ने कहा कि सरकार ने उनके साथ खिलवाड़ किया है। वह दूसरों के खेतों में मजदूरी करने को मजबूर हैं। उन्होंने सपना देखा था कि वह स्कूल में जाकर बच्चों को पढ़ाएंगे। इस सपने को साकार करने के लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की, लेकिन सपना पूरा होने की आस में मजदूर बन गए हैं।

दूध बेचकर पाल रहे परिवार

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राजगढ़ जिले के निवासी जितेंद्र यादव ने कहा कि सरकार चुनावी वादे करके रोजगार देने की बात करती है, लेकिन शिक्षक वर्ग तीन की परीक्षा पास करने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं मिली है। ऐसे में उन्हें घर का पालन-पोषण करने के लिए दूध बेचना पड़ रहा है।

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