संजय शर्मा, BHOPAL. शिक्षक वर्ग-1 में नियुक्ति के लिए पद बढ़ाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों को पुलिस ने खदेड़ दिया। पात्रता और चयन परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थी मंगलवार को मध्य प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे थे और पुलिस द्वारा रोकने के बाद सड़क पर बैठकर रामायण पाठ कर रहे थे। इस बीच तेज धूप में एक महिला बेसुध होकर गिर पड़ी। अभ्यर्थी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा से मिलने की जिद पर अड़े थे। चेतावनी के बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और वाहनों से हबीबगंज और अलग- अलग थानों में ले जाकर बैठा दिया। पुलिस की सख्ती के बाद प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर वादाखिलाफी और जबरदस्ती पाठ बंद कराने पर पवित्र रामायण का अपमान करने का आरोप लगाया है। उधर, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने पात्रता और चयन परीक्षा पास अभ्यर्थियों की हित में पद बढ़ाने की मांग का समर्थन किया है। उन्होंने इसके लिए सीएम डॉ. मोहन यादव के नाम चिट्ठी भी लिखी है।
प्रदेशभर से प्रदर्शन करने पहुंचे थे अभ्यर्थी
प्रदेश में वर्ग-1 में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2018 के 5 साल बाद सरकार ने 2023 में पात्रता और चयन परीक्षा कराई थी। जिसमें 15000 अभ्यर्थी क्वालीफाई हुए थे। आठ महीने तक वे इंतजार करते रहे और अब सरकार ने केवल 8720 पदों पर ही नियुक्ति का आदेश जारी किया है। इसमें भी करीब 2500 से ज्यादा पद बैकलॉग और अन्य वजहों से रिजर्व हैं, तो अन्य राज्यों के अभ्यर्थी भी मानदंड नहीं रखने से कम्पटीशियन में शामिल हो गए हैं। ऐसे में प्रदेश के 15000 चयनित अभ्यर्थियों में से आधे से ज्यादा नियुक्ति से वंचित रह जाएंगे, क्योंकि उन्हें वेटिंग लिस्ट में शामिल किया गया है। इस शंका के कारण चयनित अभ्यर्थियों ने बेरोजगार शिक्षक संघ के माध्यम से बीजेपी सरकार के मंत्रियों सहित जनप्रतिनिधियों तक अपनी बात पहुंचाई थी। सरकार ने पदवृद्धि को अनदेखा कर नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ा दी, जिसके विरोध में चयनित अभ्यर्थी प्रदर्शन में शामिल होने भोपाल पहुंचे थे।
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34 हजार से ज्यादा पद रिक्त फिर वृद्धि क्यों नहीं ?
प्रदर्शन में शामिल अभ्यर्थियों का कहना था की सरकार के नोटिफिकेशन के अनुसार 2022 में ही वर्ग -1 के ही 34000 से ज्यादा पद खाली हैं। इनमें से केवल 8720 पदों के विरुद्ध ही भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें भी कई पेंच हैं। उच्च श्रेणी शिक्षक के लिए 15 सब्जेक्ट में अलग- अलग कैटेगरी तय हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर सब्जेक्ट में वेकैंसी ही नहीं है तो कुछ में दो- चार पद ही रिक्त हैं। इनमें भी किसी में पद sc/st के लिए हैं तो किसी में obc के लिए। इससे भी बड़ा गैप बैक लॉग पदों का है यानी 8720 में से 2500 या इससे भी ज्यादा पदों पर सामान्य अभ्यर्थी प्रतिस्पर्धा ही नहीं कर पाएगा। बीजेपी प्रदेश कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना था की जब इतनी बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं तो सरकार यह पेंच क्यों खड़ा कर रही है। इससे एक ओर शिक्षा का स्तर प्रभावित हो रहा है तो दूसरी ओर योग्य लोग बेरोजगारी का संकट झेल रहे हैं।
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राम और हनुमान के सहारे उठाई मांग
मंगलवार को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे अभ्यर्थी रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर इकट्ठा हुए और नेशनल फ्लैग और भगवान राम की तस्वीरों को लेकर रैली के रूप में प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे। यहां पहले से बेरिकेडिंग कर खड़ी पुलिस ने उन्हें रोक दिया। जिसके बाद अभ्यर्थियों ने सड़क पर ही रामायण लेकर हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया। चिलचिलाती धूप में प्रदर्शन के दौरान एक महिला अभ्यर्थी बेसुध होकर गिर पड़ी। प्रदर्शन में अपने बच्चों के साथ शामिल हुई महिलाओं की तबियत भी बिगड़ने लगी, लेकिन कोई भी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष से मुलाकत के बिना हटने को तैयार नहीं थे। वे सीएम या शिक्षा मंत्री से मिलने और उनके लिखित आश्वासन की मांग कर रहे थे। समझाने के बाद भी जब प्रदर्शनकारी नहीं हटे तो कुछ समय बाद पुलिस ने सख्ती दिखाकर उन्हें वहां से हटा दिया। इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों को वाहनों में भरकर हबीबगंज थाने भी ले जाया गया। प्रदर्शन खत्म कराने की कोशिश के दौरान पुलिस ने रामायण भी छीन ली। जिसको लेकर अभ्यर्थियों और पुलिसकर्मियों के बीच बहस भी हुई।
राम का नाम लेकर बनी सरकार, फिर भी उनका अपमान किया
प्रदर्शन खत्म कराने की सख्ती और थाने ले जाने पर प्रदर्शनकारियों ने सरकार को जमकर कोसा। उनका कहना था बीजेपी ने राम नाम के सहारे प्रदेश में सरकार बनाई है, लेकिन अब नेता और मंत्री उन्हीं राम को भूल गई। अभ्यर्थी सड़क पर अपनी मांग को लेकर शांतिपूर्वक हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे, पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए रामायण की मर्यादा का भी ध्यान नहीं रखा। पुलिसकर्मी पाठ के बीच से ही रामायण छीनकर ले गए। सरकार और उनकी पुलिस ने भगवान राम का अपमान और चयन पात्रता पूरी करने वाले हजारों अभ्यर्थियों से वादा खिलाफी ही है। लोक सभा चुनाव में हजारों बेरोजगार इसका हिसाब करेंगे।