एमपी के शिक्षा विभाग में सालों से चल रहे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा, नप गए 6 अधिकारी
शिवपुरी जिले के खनियाधाना शिक्षा विभाग कार्यालय में वर्षों से जारी वित्तीय अनियमितताओं का बड़ा खुलासा हुआ है। वर्ष 2018-19 से 2024-25 तक विभागीय फंड से फर्जी खातों में वेतन और भत्तों के नाम पर 81 लाख रुपये का गबन किया गया।
MP News :शिवपुरी जिले के खनियाधाना विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में बड़े स्तर पर आर्थिक अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। वर्ष 2018-19 से लेकर 2024-25 तक शिक्षा विभाग के नाम पर 81 लाख रुपए से अधिक का गबन किया गया। यह रकम फर्जी खातों में वेतन और भत्तों के नाम पर ट्रांसफर की गई थी। मामले के उजागर होते ही कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी ने सख्त कार्रवाई करते हुए जांच समिति गठित की और अब एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है।
चार सदस्यीय जांच समिति का गठन
जैसे ही यह मामला सामने आया, कलेक्टर ने तत्काल जांच के निर्देश दिए। इसके तहत एसडीएम पिछोर शिवदयाल धाकड़ की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय समिति बनाई गई, जिसमें शामिल थे
कलेक्टर के निर्देश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, भारतीय न्याय संहिता 2023, आईटी एक्ट सहित अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज करवाई।
आरोपी अधिकारियों की सूची:-
प्रकाश सूर्यवंशी - विकासखंड शिक्षा अधिकारी
सतीश शरण गुप्ता - प्राचार्य, शासकीय बालक उत्कृष्ट माध्यमिक विद्यालय
सुखनंदन रसगैया - लेखापाल
ओमकार सिंह धुर्वे - सहायक ग्रेड-3
गिरेंद्र कुमार कघारिया - सहायक ग्रेड-2
यशपाल बघेल – माध्यमिक शिक्षक
(इन सभी पर विभागीय जांच और कानूनी कार्रवाई जारी है।)
शिवपुरी में सामने आया यह घोटाला एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की गंभीर आवश्यकता को दर्शाता है। प्रशासन अब सख्त रवैया अपनाए हुए है और सभी आरोपी अधिकारियों पर विभागीय जांच के साथ-साथ कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है।
FAQ
शिवपुरी शिक्षा विभाग में कितनी राशि का घोटाला हुआ है?
जांच रिपोर्ट के अनुसार शिवपुरी के खनियाधाना कार्यालय में ?81,23,728 का घोटाला हुआ है। यह राशि फर्जी खातों में ट्रांसफर की गई थी।
किन-किन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है?
कुल 6 अधिकारियों/कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है, जिनमें प्राचार्य, लेखापाल, सहायक ग्रेड-2 और 3, और एक शिक्षक शामिल हैं।
घोटाले की जांच किस समिति ने की?
जांच समिति का नेतृत्व एसडीएम पिछोर शिवदयाल धाकड़ ने किया। इसमें शिक्षा विभाग और कोषालय से जुड़े तीन अन्य अधिकारी भी शामिल थे।