सावन के पहले सोमवार महाकाल के दरबार में उमड़ा भक्तों का सैलाब, ऐसी है दर्शन व्यवस्था

सावन मास के पहले सोमवार पर महाकाल के भक्तों का उमड़ा सैलाब उज्जैन में दिखाई दे रहा है। देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु महाकाल के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

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Amresh Kushwaha
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सावन के पहले सोमवार पर महाकाल के भक्तों का जमावड़ा उमड़ पड़ा और देशभर से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचे। रात के 11 बजे से ही भक्त महाकाल के दर्शन और आरती में सम्मिलित होने के लिए लाइन में खड़े हो गए।

मंदिर परिसर में महाकाल के जयकारे गूंजते रहे और भक्तों का उत्साह लगातार बढ़ता ही जा रहा। रात करीब 2:30 बजे महाकाल मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए।

इसके बाद, सभा मंडप में वीरभद्र जी के कान में स्वस्ति वाचन किया गया और भगवान से आज्ञा प्राप्त करने के बाद चांदी का पट खोला गया। इसके साथ ही कर्पूर आरती का आयोजन किया गया। नंदी हॉल में नंदी जी का स्नान, ध्यान और पूजन हुआ, जिससे पूरे वातावरण में एक गहरी भक्तिमय आभा फैल गई।

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जानें सावन के पहले सोमवार की पूजा प्रक्रिया

सावन के पहले सोमवार की शुरुआत तड़के 2:30 बजे मंदिर के कपाट खोलने से हुई। इसके बाद, वीरभद्र जी के कान में स्वस्ति वाचन किया गया। साथ ही, भगवान महाकाल से आज्ञा लेकर चांदी का पट खोला गया। इसके बाद, कर्पूर आरती का आयोजन हुआ। इसमें भगवान महाकाल का अभिषेक जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से किया गया। इसके बाद, भगवान महाकाल का रजत चंद्र, त्रिशूल, मुकुट और आभूषण के साथ श्रृंगार किया गया। भस्म आरती के बाद, श्रद्धालु भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में पहुंचे।

महाकाल के भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था

इस बार सावन माह के दौरान महाकाल मंदिर में 80 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जल चढ़ाने के लिए विशेष पात्र लगाए है। इसके अलावा, कांवड़ियों के लिए विशेष प्रवेश द्वार और जल अर्पण की व्यवस्था की गई है। कांवड़ यात्री शनिवार, रविवार और सोमवार को छोड़कर अन्य दिनों में द्वार संख्या 4 से प्रवेश पा सकते हैं।

सावन के सोमवार पर महाकाल मंदिर की खास बातें...

  • सावन के पहले सोमवार का महत्व: हर साल सावन के पहले सोमवार को महाकाल मंदिर में विशेष पूजा होती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन करने आते हैं।

  • पूजा प्रक्रिया: तड़के 2:30 बजे मंदिर के कपाट खोलकर महाकाल की पंचामृत से अभिषेक, रजत श्रृंगार और भस्म आरती होती है।

  • विशेष व्यवस्था: इस वर्ष 80 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना, जल चढ़ाने के लिए विशेष पात्र, और कांवड़ियों के लिए विशेष प्रवेश व्यवस्था।

  • महाकाल की सवारी: सवारी शाम 4 बजे निकाली जाती है, जिसमें महाकाल को रजत पालकी में नगर भ्रमण पर ले जाया जाता है। सवारी का मार्ग प्रमुख स्थानों से होकर मंदिर लौटता है।

  • सवारी की थीम: इस वर्ष सवारी की थीम वैदिक उद्घोष पर आधारित है, जिसमें जनजातीय समूह सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे। सवारी का लाइव प्रसारण भी किया जाएगा।

  • नई चांदी की पालकी: इस बार महाकाल की सवारी में एक नई चांदी की पालकी का इस्तेमाल होगा, जिसे एक भक्त ने दान में दी है।

  • सवारी की तारीखें:

    • 14 जुलाई: श्री मनमहेश पालकी में।

    • 21 जुलाई: श्री चंद्रमौलेश्वर पालकी में।

    • 28 जुलाई: श्री शिव तांडव गरुड़ रथ पर।

    • 4 अगस्त: नंदी रथ पर श्री उमा महेश।

    • 11 अगस्त: श्री होलकर स्टेट के दर्शन।

    • 18 अगस्त: राजसी सवारी के रूप में भगवान के दर्शन।

  • सांस्कृतिक संध्या: 13 जुलाई से 16 अगस्त तक महाकाल महालोक में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन, जिसमें 47 कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जाएंगी।

महाकाल की निकलेगी भव्य सवारी

शिव भक्तों के लिए सावन के पहले सोमवार पर महाकाल की सवारी एक प्रमुख आकर्षण होती है। इस दिन भगवान महाकाल की सवारी शाम 4 बजे निकली जाती है। सवारी के दौरान भगवान महाकाल को रजत पालकी में विराजमान कर नगर भ्रमण पर निकाला जाएगा। इस दौरान, महाकाल के जयकारे पूरे शहर में गूंजेंगे। सवारी का मार्ग महाकाल रोड, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, रामघाट, और कई प्रमुख स्थानों से होते हुए मंदिर लौटेगा।

वैदिक उद्घोष पर आधारित है सवारी की थीम

सवारी की थीम इस बार वैदिक उद्घोष पर आधारित है। रामघाट और दत्त अखाड़ा पर बटुकों द्वारा वैदिक उद्घोष किया जाएगा। इस दौरान जनजातीय समूहों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे। सवारी का लाइव प्रसारण मंदिर समिति के फेसबुक अकाउंट पर किया जाएगा। इससे दुनिया भर के श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे।

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महाकाल की सवारी में चांदी की नई पालकी

महाकाल की सवारी में इस वर्ष एक नई पालकी का इस्तेमाल किया जाएगा। इस पालकी को एक भक्त ने गुप्त दान में दी है। यह पालकी भिलाई में तैयार की गई थी और इसमें करीब 100 किलो वजन और 20 किलो 600 ग्राम चांदी का आवरण है।

100 दिन में बनें इस पालकी की लंबाई पांच फीट और चौड़ाई तीन फीट है। नई पालकी को स्टील के पाइप और सागौन की लकड़ी से बनाया गया है।

इस पालकी को उठाने वाले हत्थे पर सिंह मुख की आकृति बनाई गई है, और चांदी के आवरण पर सूर्य, स्वास्तिक, कमल पुष्प और दो शेरों की नक्काशी की गई है।

जानें कब-कब निकलेगी महाकाल की सवारी

प्रथम सवारी (14 जुलाई) में पालकी में श्री मनमहेश विराजित होंगे। द्वितीय सवारी (21 जुलाई) में श्री चंद्रमौलेश्वर पालकी में होंगे और हाथी पर श्री मनमहेश रहेंगे। तृतीय सवारी (28 जुलाई) में पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश और गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव के दर्शन होंगे। चौथी सवारी (4 अगस्त) में पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव और नंदी रथ पर श्री उमा महेश की उपस्थिति होगी।

पंचम सवारी (11 अगस्त) में पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव, नंदी रथ पर श्री उमा महेश और रथ पर श्री होलकर स्टेट के दर्शन होंगे। राजसी सवारी (18 अगस्त) में पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव, नंदी रथ पर श्री उमा महेश, रथ पर श्री होलकर स्टेट और रथ पर श्री सप्तधान मुखारविंद के रूप में भगवान के दर्शन होंगे।

इस प्रकार, महाकाल की सवारियां श्रद्धालुओं को हर दिन अलग-अलग रूपों में भगवान की आराधना और दर्शन का अवसर प्रदान करती हैं।

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महाकाल महालोक में सांस्कृतिक संध्या

सावन माह के दौरान महाकाल महालोक में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। 13 जुलाई से लेकर 16 अगस्त तक हर शाम सांस्कृतिक संध्या आयोजित की जा रही है। इस दौरान 47 कलाकारों के जरिए विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी जाएंगी।

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