उज्जैन सिंहस्थ कुंभ ( Simhastha kumbh ) 2028 की तैयारियों में इंदौर जिला प्रशासन ( Indore District Administration ) भी जुटा है। दरअसल क्षिप्रा नदी में सतत जल प्रवाह के लिए इंदौर जिला प्रशासन ने कान्ह और सरस्वती नदियों ( Kanh and Saraswati rivers ) के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाने की तैयारी की है। इन दोनों नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में अतिक्रमण कर बनाए गए करीब एक हजार 5 सौ अस्थायी मकानों पर बुलडोजर चलाया जाएगा। यह फैसला क्षिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त ( pollution free ) बनाने के अभियान के तहत किया गया है।
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HC और NGT ने दिए थे हटाने के निर्देश
हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( National Green Tribunal ) ने क्षेत्र में नदियों के किनारों से 30 मीटर तक अतिक्रमण ( Encroachment ) हटाने के निर्देश पहले ही दे दिए हैं। इंदौर प्रशासन ने दोनों नदियों के जलग्रहण क्षेत्र (catchment area ) में करीब 3 हजार अतिक्रमणों को चिन्हित किया है।
क्या कहा इंदौर कलेक्टर ने ?
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक पहले चरण में कान्ह और सरस्वती नदियों ( Kanh Saraswati rivers ) के जलग्रहण क्षेत्र ( catchment area ) में अतिक्रमण कर बनाए गए मकानों को हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले पांच से दस दिनों में इस पर काम शुरू होगा। उन्होंने बताया कि अस्थायी मकानों के अलावा इनमें स्थायी आवासीय और व्यावसायिक इमारतें भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सबसे अधिक प्रदूषण कान्ह और सरस्वती नदी में होता है और ये प्रदूषण नदी के पानी के जरिए बहकर क्षिप्रा में मिल जाता है।
क्षिप्रा नदी का जल दूषित
स्थानीय लोगों की माने तो क्षिप्रा नदी ( Kshipra River ) में प्रदूषण के कारण इसका जल आचमन तक के लिए भी उपयुक्त नहीं है। सिंहस्थ से पहले क्षिप्रा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए इंदौर प्रशासन ( Indore Administration ) ने 600 करोड़ रुपए की कायाकल्प योजना का खाका तैयार किया है। इसमें 11 नए सीवेज उपचार संयंत्र ( STP ) स्थापित करना और 450 किलोमीटर लंबी सीवेज लाइन ( sewage line ) बिछाना शामिल है।
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