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मध्य प्रदेश के टीटी नगर क्षेत्र में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कई प्रोजेक्ट्स को 10 साल हो चुके हैं। यह मिशन 2015 में शुरू हुआ था। अब इसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्मार्ट सिटी के लिए आवंटित 342 एकड़ भूमि पर बनने वाले प्रोजेक्ट्स के खिलाफ रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) ने हाल ही में रोक लगा दी है। यह रोक स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स के लिए एक नई अड़चन बनकर सामने आई है, जो पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रही है।
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प्रोजेक्ट्स की मंजूरी पर उठे सवाल
स्मार्ट सिटी एरिया में हाउसिंग बोर्ड के जरिए बिजनेस पार्क के लिए प्लॉट लिया गया था। वहीं रेरा ने उसे मंजूरी देने से इंकार कर दिया। इसी तरह स्मार्ट सिटी कंपनी, जो बुलेवर्ड स्ट्रीट पर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स का निर्माण करना चाहती थी, उसे भी रेरा से अनुमति नहीं मिली। रेरा का कहना है कि स्मार्ट सिटी कंपनी के पास टीटी नगर की 342 एकड़ जमीन के मालिकाना हक के पुख्ता दस्तावेज नहीं हैं। इससे जमीन पर किसी भी प्रॉपर्टी का नामांतरण नहीं हो सकेगा।
जमीन की रजिस्ट्री में 300 करोड़ की समस्या
स्मार्ट सिटी कंपनी को 342 एकड़ जमीन कैबिनेट के आदेश पर 2017 में आवंटित की गई थी। अब यदि कंपनी इस जमीन की रजिस्ट्री कराती है तो उसे 300 करोड़ रुपए का शुल्क चुकाना होगा। यह राशि वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर तय की गई है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का कहना है कि यह राशि इतनी बड़ी है कि इसे चुकाने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बन पाई है।
सरकार और रेरा के बीच समन्वय की कमी
रेरा और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी के कारण स्मार्ट सिटी के कई प्रोजेक्ट्स फंसे हुए हैं। स्मार्ट सिटी कंपनी पहले ही 60 करोड़ की राशि के साथ वित्तीय संकट का सामना कर रही है। इसके अलावा, स्मार्ट सिटी के कुछ प्रोजेक्ट्स में काम पूरा नहीं हो पाया है। वहीं कुछ को रखरखाव की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
10 साल पहले शुरू हुई योजना
टीटी नगर स्मार्ट सिटी की योजना 10 साल पहले शुरू हुई थी। इसमें 60 हजार लोगों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं का निर्माण करना था। लेकिन हकीकत यह है कि अब तक इस परियोजना में बुनियादी सुविधाएं भी पूरी तरह से नहीं बन पाई हैं। एबीडी (Area-Based Development) क्षेत्र में अधूरी परियोजनाओं का काम ठप है। वहीं स्मार्ट सिटी कंपनी के पास आने वाली आय का कोई ठोस तरीका नहीं है।
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हाईकोर्ट में दाखिल है याचिका
स्मार्ट सिटी के सीईओ अंजू अरुण कुमार ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। सीईओ ने कहा है कि उन्होंने रेरा अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील की है और हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की है। उन्होंने यह भी बताया कि कंपनी के पास जमीन के मालिकाना हक के पुख्ता दस्तावेज नहीं होने के कारण रेरा ने प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाई है। सीईओ का कहना है कि प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए लैंड मोनेटाइजेशन जरूरी है, ताकि कॉन्ट्रैक्टर्स के भुगतान और अधूरे काम पूरे किए जा सकें।
रखरखाव की समस्याएं आई सामने
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जिन प्रोजेक्ट्स का काम पूरा हो चुका था। वहीं अब उनके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भी अनिश्चित है। सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कुछ टॉवर्स तैयार हो गए हैं। साथ ही, बाकी के प्रोजेक्ट्स के रखरखाव के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई जा रही है। वहीं, हाट बाजार और स्मार्ट रोड जैसे प्रोजेक्ट्स में पेयजल और सीवेज जैसी सुविधाएं भी पूरी तरह से उपलब्ध नहीं हो पाई हैं।
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