इंदौर में स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने कोरोना में पूरा नहीं दिया क्लेम, उपभोक्ता फोरम ने दिए आदेश

इंदौर के उपभोक्ता फोरम ने स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ आदेश जारी किया है। इसमें कोरोना उपचार के दौरान पॉलिसीधारक को पूरा क्लेम नहीं मिलने पर कड़ी टिप्पणी की गई।

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Sanjay Gupta
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मेडिकल बीमा पॉलिसी की बड़ी कंपनियों में शुमार स्टार हेल्थ एंड अलाइड इंश्योरेंस कंपनी की क्लेम देने के संबंध में पॉलिसीधारकों की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। इसी तरह की एक शिकायत में अब इंदौर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने कंपनी के खिलाफ आदेश जारी किया है और उनकी सेवा में कमी को माना है।

कोरोना में इलाज कराया, पूरा पैसा नहीं दिया

इंदौर के महेश नगर निवासी ललित कचोलिया ने अपने प्रतिनिधि मुकेश अमोलिया के जरिए उपभोक्ता फोरम में केस लगाया। इसमें बताया गया कि कोरोना के समय में वह मोहक परिसर (अरविंदो अस्पताल) में 13 नवंबर 2020 से 20 नवंबर 2020 तक भर्ती रहे।

इस दौरान उनका बिल 3.49 लाख रुपए का बना। लेकिन कंपनी ने 1.56 लाख की कटौती कर ली और यह क्लेम पूरा नहीं दिया। जबकि उनकी पॉलिसी पांच लाख रुपए तक के क्लेम की थी और उन्होंने साल 2015 में ली थी, जिसकी नियमित प्रीमियम भरी जा रही थी।

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कंपनी ने यह बोलकर की कटौती

कंपनी की ओर से तर्क दिए गए कि इसमें कई खर्च स्वीकार नहीं किए गए। विविध 23 हजार रुपए का शुल्क, दवाओं, डिस्पोजेबल आइटम के 81 हजार व अन्य खर्च मंजूर नहीं किए गए। कंपनी ने कहा कि यह मेडीक्लेम में स्वीकृत नहीं थे। इसलिए यह कटौती की गई।

स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के क्लेम मामले पर एक नजर...

  • इंदौर में उपभोक्ता फोरम ने स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ आदेश दिया, कंपनी पर सेवा में कमी का आरोप।

  • ललित कचोलिया ने 2020 में कोरोना इलाज के दौरान 3.49 लाख रुपए का बिल जमा किया, लेकिन कंपनी ने 1.56 लाख रुपए की कटौती कर दी।

  • कंपनी ने दावा किया कि कुछ खर्चों को मंजूरी नहीं मिली, जैसे दवाएं और डिस्पोजेबल आइटम्स, जिनके कारण क्लेम में कटौती की गई।

  • उपभोक्ता फोरम ने कंपनी की कटौती को गलत माना और बाकी 1.56 लाख रुपए 6% ब्याज के साथ देने का आदेश दिया।

  • कंपनी को मानसिक प्रताड़ना के 3,000 रुपए और केस व्यय के 2,000 रुपए भी 45 दिन में देने का निर्देश दिया गया।

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उपभोक्ता फोरम ने माना सेवा में कमी

उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष विकास राय, सदस्य लालजी तिवारी और सदस्य सरोज मिमरोट ने इस मामले में कंपनी की सेवा में कमी मानी। उन्होंने कहा कि कंपनी ने अपनी मेडीक्लेम पॉलिसी में कहीं यह नहीं लिखा कि वह इस तरह की कटौती करेंगे। इसलिए बकाया 1.56 लाख की राशि 6 फीसदी ब्याज के साथ फरियादी को दें। साथ ही मानसिक प्रताड़ना के तीन हजार रुपए और केस व्यय के दो हजार रुपए का भी 45 दिन के भीतर भुगतान करें। उपभोक्ताओं के लिए केस लड़ने वाले मुकेश अमोलिया ने कहा कि इस तरह के केस लगातार सामने आ रहे हैं, लेकिन उपभोक्ता अपने अधिकार के लिए फोरम नहीं आते हैं। वह सामने आएं तो उन्हें पूरा क्लेम मिलेगा।

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