स्टेट जीएसटी में इंस्पेक्टर और कराधान सहायक के पद में से किसे एसीटीओ (सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी) का प्रभार दिया जाए (क्योंकि पदोन्नित अभी बंद है, उच्च प्रभार दिए जा रहे हैं)।? इसे लेकर विवाद बढ़ गया है। हालत यह है कि मामला हाईकोर्ट पहुंच चुका है और एक- दो नहीं सात याचिकाएं दोनों पक्षों की ओर से दाखिल हो चुकी है।
विभाग खुद असमंजस में हैं कि वह करें तो क्या करें? इसके चलते फिलहाल फाइल को होल्ड किया हुआ है और चर्चाओं का दौर जारी है।
यह है विवाद की मूल जड़
- दरअसल इंस्पेक्टर पद पर भर्ती पीएससी द्वारा होने वाला राज्य सेवा परीक्षा के जरिए होती है, जिसमें प्री, मेन्स और इंटरव्यू शामिल है।
- पीएससी मप्र के 38 शासकीय पदों पर राज्य सेवा परीक्षा के जरिए भर्ती करती है। वहीं कराधान सहायक की भर्ती समय-समय पर जरूरत होने पर विभाग के कहने पर पीएससी करता है, जिसमें मेन्स और इंटरव्यू ही होते हैं। यानी इस पद पर नियमित भर्ती प्रक्रिया नहीं होती है।
- इसके चलते इंस्पेक्टर वर्ग का कहना है कि कराधान सहायक पद अस्थाई है, ऐसे में उन्हें आगे पदभार के लिए रिक्त पदों में 50 फीसदी नहीं दे सकते हैं। यह सभी पदभार के रिक्त पद इंस्पेक्टर वर्ग को मिलना चाहिए।
- वहीं कराधान सहायक वर्ग का कहना है कि हम भी पीएससी से आए हैं और साल 2008 में सिविल रूल के मुताबिक विभगीय अधिसूचना के अनुसार हम भी पदभार ग्रहण के लिए पात्र है।
बघेल समिति का भी दिया गया हवाला
इंस्पेक्टर वर्ग द्वारा विभाग ने साल 2007 में जीएस बघेल की कमेटी विभागीय पुनर्गठन के लिए बनाई थी का भी हवाला दिया जा रहा है। साथ ही याचिकाओं में और विभाग के सामने सवाल उठाए हैं कि दोनों पदों को यदि मर्ज कर दिया तो फिर इन दोनों पदों की अलग-अलग भर्ती अभी भी क्यों हो रही है? एक ही विभाग में समान कार्य करने के लिए दो विभिन्न पदों की क्या आवश्यकता है।
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करीब 200 पदों पर मिलना है उच्च प्रभार
विभाग में अभी करीब 400 इंस्पेक्टर और 400 ही करीब कराधान सहायक है। इसमें से 200 से ज्यादा को एसीटीओ का उच्च पद प्रभार मिलना है। इसके लिए विभाग में लंबे समय से लड़ाई चल रही है। जहां अन्य विभागों में अधीनस्थों को उच्च प्रभार दे दिए गए हैं।
वहीं स्टेट जीएसटी विभाग में चल रही दो पदों की लड़ाई के चलते अभी तक विभाग कोई फैसला नहीं ले पाया है। विभागीय अधिकारियों ने द सूत्र को बताया विधिक तरीके से मामले को अभी समझ रहे हैं, इसके बाद ही इसमें आगे फैसला होगा।
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