हाई कोर्ट कर्मचारी के वेतन से जुड़े एक मामले की जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगल पीठ में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि सरकार के द्वारा देश के प्रमुख स्तंभों में से एक ज्यूडिशरी के साथ भेदभाव किया जा रहा है, जिस पर कोर्ट ने सख्त टिप्पणियां की हैं। विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में यदि बजट की बात की जाए तो न्यायपालिका को पूरे बजट का एक प्रतिशत से भी कम हिस्सा दिया जा रहा है जिस पर कोर्ट का रुख सख्त नजर आया।
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जबलपुर हाईकोर्ट के कर्मचारियों को हाई पे स्केल देने का आदेश साल 2015 में आया था लेकिन इसका पालन करते हुए कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ाया गया जिसके बाद हाई कोर्ट कर्मचारी अरविंद दुबे सहित 100 से अधिक कर्मचारियों ने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई के बाद कोर्ट के द्वारा दिए गए आदेश का भी पालन नहीं हुआ और आज तक कर्मचारियों का वेतन बढ़ा कर नहीं दिया गया।
कोर्ट की अवमानना का मामला
इस मामले में कोर्ट के द्वारा दिए गए पिछले आदेश का पालन न करने के बाद अब अवमानना का मामला दायर किया गया है। पिछली सुनवाई में भी कोर्ट के द्वारा शासन के सभी पक्षों को सिरे से नकार दिया गया था और कोर्ट के सख्त लहजे को देखते हुए शासन ने अपने द्वारा दिया गया जवाब भी वापस ले लिया था। इस तरह अब मध्य प्रदेश सरकार पर कोर्ट की अवमानना का मामला चल रहा है। गुरुवार को हुई इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने शासन से यह पूछा है कि कैबिनेट के द्वारा लिए गए फैसले को लेने के दौरान उनके संज्ञान में कोर्ट के क्या-क्या दस्तावेज लाए गए थे। जिसका जवाब शासन को अगली सुनवाई में देना होगा।
न्यायपालिका के लिए 1% से भी कम बजट
हाईकोर्ट कर्मचारी की वेतन वृद्धि को लेकर सरकार की ओर से वित्तीय कारणों का हवाला दिया गया था। जैसे कोर्ट ने सिरे से खारिज करते हुए शासन से यह पूछा की न्यायपालिका को एक प्रतिशत से भी काम का बजट अलॉट क्यों किया जाता है जबकि विधानपालिका और कार्यपालिका के लिए बजट की कोई कमी नहीं होती। इसके बाद संजीव सचदेवा ने कहा कि एक मंत्री का स्टेनो दिन में 6 से 7 चिट्ठियां टाइप करता होगा। जबकि कोर्ट के स्टेनो को घर बुलाकर भी आदेश टाइप करवाए जाते हैं और फोन पर भी। तो कोर्ट के स्टेनो के साथ कम वेतन देकर भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
चीफ सेक्रेटरी होंगे वीसी के माध्यम से पेश
मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को रखी गई है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगली सुनवाई में मध्य प्रदेश सरकार के चीफ सेक्रेटरी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट के समक्ष पेश हों और सरकार का पक्ष रखें।
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