राजनीतिक जुलूस से लेकर धार्मिक आयोजन हों या किसी जश्न में अपना रुतबा दिखाने की कोशिश हो। आजकल डीजे को तेज आवाज में बजाने का प्रचलन आम हो चुका है। तेज आवाज में डीजे बजने से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। कभी कभी तो लोगों की मौत तक हो जाती है। अब इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है। जिसके बाद नागरिकों को राहत मिलने की उम्मीद है।
डीजे बन चुका है बच्चे की मौत का कारण
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बीते दिनों डीजे की तेज आवाज से 13 वर्षीय समर बिल्लौरे की मौत हो गई। परिवार के लोगों के मुताबिक, दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए जा रहे चल समारोह में तेज आवाज में डीजे बज रहा था। डीजे की आवाज सुनकर समर भीड़ में शामिल हो गया और नाचने लगा। तभी अचानक डीजे का साउंड तेज होने पर समर गिरकर बेहोश हो गया। समर को तुरंत अस्पताल ले जाया गया था जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
हाई कोर्ट में दायर हुई जनहित याचिका
मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट में अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। इसमें उच्च-शक्ति वाले लाउडस्पीकरों की आवाज से हो रही लोगों को बीमारियों से लेकर मौत तक और ध्वनि प्रदूषण सहित साम्प्रदायिक तनाव को रोकने के लिए सख्त आदेश की मांग की गई है। याचिका का उद्देश्य सामाजिक सौहार्द और सार्वजनिक व्यवस्था की रक्षा करना है। जो इन लाउडस्पीकरों के अंधाधुंध उपयोग से लगातार प्रभावित हो रही है।
ध्वनि प्रदूषण से हो रहे हैं कई नुकसान
अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता ने ध्वनि प्रदूषण के मानव स्वास्थ्य और सामाजिक ताने-बाने पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों को उजागर किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ध्वनि प्रदूषण से सुनने की शक्ति कमजोर होती है। वहीं हृदय संबंधी बीमारियों सहित तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर होता है। इसके अलावा, धार्मिक जुलूसों और समारोहों में उच्च-शक्ति वाले लाउडस्पीकरों का उपयोग अक्सर साम्प्रदायिक दंगों और तनाव की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
नियमों और कानून का हो रहा खुलेआम उल्लंघन
याचिका में बताया गया है कि ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000, और मध्य प्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 के प्रावधानों के बावजूद इन नियमों का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है। ये प्रावधान सार्वजनिक स्थानों में ध्वनि की अधिकतम सीमा निर्धारित करते हैं। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक जोरदार संगीत बजाने पर प्रतिबंध लगाते हैं। बावजूद इसके, अधिकारियों द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
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सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालते दे चुकी हैं आदेश
याचिका में सुप्रीम कोर्ट और कई उच्च न्यायालयों के उन फैसलों का हवाला दिया गया है, जिनमें ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण और वैधानिक प्रावधानों के सख्त पालन के निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद, स्थानीय अधिकारियों द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
इस मामले में याचिकाकर्ता द्वारा इन राहतों की मांग की गई हैं:
- 75 डेसिबल से अधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले उच्च-शक्ति वाले लाउडस्पीकरों के उपयोग पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- धार्मिक जुलूसों में उच्च-शक्ति वाले लाउडस्पीकरों के उपयोग पर रोक लगाई जाए।
- ऐसे मामलों को संज्ञेय अपराध मानते हुए पुलिस महानिदेशक को कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं।
- जबलपुर और अन्य जिलों में उच्च-शक्ति वाले लाउडस्पीकरों के उपयोग के उल्लंघनों पर दर्ज मामलों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया जाए।
अदालत से निर्देश जारी करने की मांग
याचिका में यह तर्क दिया गया है कि ध्वनि प्रदूषण न केवल मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करता है। ऐसे में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपेक्षा की है कि वह अपने असाधारण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए आवश्यक निर्देश जारी करें, ताकि ध्वनि प्रदूषण और साम्प्रदायिक तनाव पर प्रभावी रूप से रोक लगाई जा सके।
तेज आवाज में कर दिया है हाल बेहाल
हाल के वर्षों में धार्मिक जुलूसों में तेज लाउडस्पीकरों के उपयोग से साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। मध्य प्रदेश के कई जिलों में इस प्रकार की घटनाएं देखने को मिली हैं, जहां धार्मिक स्थलों के पास तेज आवाज वाले लाउडस्पीकरों का दुरुपयोग तनाव उत्पन्न करने का कारण बना है। इस याचिका में अदालत से सख्त निर्देश की उम्मीद की जा रही है, ताकि ध्वनि प्रदूषण पर काबू करके नागरिकों की सेहत की रक्षा की जा सके और साम्प्रदायिक तनाव पर भी काबू पाया जा सके। यह जनहित याचिका असलियत में जनहित के उठाया गया एक बहुत ही जरूरी कदम है, जो नागरिकों की मानसिक और शारीरिक शांति को बहाल करने के साथ-साथ सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाले मामलों को भी कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। आपको बता दें कि जबलपुर हाईकोर्ट में अधिवक्ता आदित्य संघी के द्वारा भी एक याचिका लगाई गई है जो डीजे से ही जुड़ी हुई है। अब इन मामलों में आने वाले कोर्ट के आदेश के बाद नागरिकों को तेज आवाज से राहत मिलने की उम्मीद है।
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