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Shivam Verma High Court notice Photograph: (thesootr)
विश्वनाथ सिंह, INDORE. बेलेश्वर महादेव मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी में हुए हादसे के बाद कोर्ट ने नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा को शहरभर की बावड़ियों से कब्जे हटाने का कहा था। कोर्ट के आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं करने पर गुरूवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने निगमायुक्त को अवमानना का नोटिस जारी किया है। अब उन्हें अगली पेशी पर अपना जवाब पेश करना है।
यह था मामला
इंदौर में 30 मार्च 2023 को रामनवमी के दिन स्नेह नगर स्थित बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में बावड़ी धंसने से 36 लोगों की मौत हो गई थी। मंदिर प्रबंधन ने इस बावड़ी का भराव किए बगैर ही ऊपर से गर्डर और फर्शियां डाल दी थीं। उसके बाद टाइल्स लगा दी थी। इसके चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु जब यहां अभिषेक व पूजन करने पहुंचे तो बावड़ी भरभराकर गिर गई थी।
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कांग्रेस नेता ने लगाई थी कोर्ट में याचिका
बावड़ी हादसे की घटना से दुखी होकर पूर्व पार्षद महेश गर्ग और कांग्रेस नेता प्रमोद कुमार दिवेदी ने अधिवक्ता मनीष यादव और अधिवक्ता प्रियेश भावसार के माध्यम से जनहित याचिका दायर की थी। इसमें न्यायालय से मांग रखी गई थी कि शहर में जितनी भी पुरानी बावड़ियां हैं उन्हें नगर निगम के द्वारा पुनर्जीवित किया जाए। साथ ही बावड़ियों के ऊपर किए गए कब्जों को भी हटाया जाए।
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सालभर में भी कोई कार्रवाई नहीं की
हाई कोर्ट एडवोकेट मनीष यादव ने बताया कि इस मामले में हाई कोर्ट ने तर्कों से सहमत होकर याचिका स्वीकार करते हुए निगम और स्थानीय प्रशासन को विभिन्न निर्देश पारित किए थे। सुनवाई के बाद जनवरी 2024 में निगम प्रशासन को इसके संबंध में विस्तृत तौर पर आदेश जारी किए थे। इसके बाद निगम प्रशासन ने सालभर में भी कोई कार्रवाई नहीं की। इसकी जानकारी उन्हें एक आरटीआई में लगी।
पुन: हो सकते हैं इस तरह के बावड़ी हादसे
उन्होंने बताया कि प्रशासनिक न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की युगल पीठ के समक्ष उन्होंने तर्क रखे। इसमें कहा कि न्यायालय के द्वारा दोषियों पर कार्यवाही के साथ इंदौर शहर में स्थित पुरातत्व महत्व की बावड़ियों को पुनर्जीवित कर उन्हें कब्जा मुक्त करने के हुए थे। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। कई जगह बावड़ी कुओं पर निर्माण किया हुआ है। पुनः इस प्रकार के हादसे हो सकते हैं, जिससे न्यायालय ने सहमत होकर निगमायुक्त शिवम वर्मा को अवमानना का कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।