मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक दिलचस्प मामला सामने आया है। हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश MA में पढ़ने वाली छात्रा से उसकी पढ़ाई को लेकर सवाल किए, लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी, कोर्ट ने उससे एमए के विषयों के नाम पूछे लेकिन वह विषयों के नाम भी नहीं बता सकी। जिसके बाद कोर्ट ने युवती को पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह दी। इस फैसले में कोर्ट ने युवती की शिक्षा को प्राथमिकता दी, यह संदेश दिया कि युवाओं को अपने भविष्य पर ध्यान देना चाहिए, खासकर शिक्षा के क्षेत्र में।
जानें पूरा मामला
दरअसल, अदालत में पेश हुई युवती ने पढ़ाई की उम्र में घर से भाग कर शादी कर थी, लेकिन कुछ दिनों बाद उसे उसके परिजन उसे अपने घर ले गए थे। इस मामले में पति ने ग्वालियर हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर की थी, जिसमें पति ने बताया कि उसकी पत्नी को ससुराल वालों ने मारपीट कर जबरन घर से ले गए हैं, जबकि उनकी शादी रजिस्टर्ड थी।
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हाईकोर्ट में युवती की पेशी
हाईकोर्ट में याचिका दाखिल होने के बाद, पुलिस ने युवती को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने युवती से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वह एमए (MA) के चौथे सेमेस्टर की छात्रा है। इसके बाद कोर्ट ने पढ़ाई से जुड़े सवाल किए लेकिन वह अदालत के सामने संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी। जब कोर्ट ने उससे उसके विषयों के बारे में पूछा, तो वह एमए के विषयों के नाम भी नहीं बता पाई, जिस पर कोर्ट ने युवती को अपनी पढ़ाई पर गंभीरता से ध्यान देने की सलाह दी। ताकि वह अपने भविष्य को बेहतर बना सके।
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युवती का जवाब और कोर्ट का निर्णय
कोर्ट ने युवती से पूछा कि वह किसके साथ रहना चाहती है, तो उसने अपने पति के साथ रहने से मना कर दिया, हालांकि उसने शादी की बात स्वीकार की। युवती ने अपने माता-पिता के साथ रहने की इच्छा जाहिर की। वह पति के साथ जाने को तैयार नहीं थी। इसके बाद, हाईकोर्ट ने दायर की गई याचिका को निरस्त कर दिया और युवती को अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह दी।
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