जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर सहित एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर भर्ती आरक्षण के पेंच के चलते 2021 से रुकी हुई है। अब इस मामले का फैसला हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज सहित पांच मेंबरों की कमेटी के लिए फैसले के आधार पर होगा।
साल 2021 में निकली थी बैकलॉग पदों को भरने के लिए भर्ती
जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में साल 2021 में एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर की भर्ती बैकलॉग पदों को भरने के लिए निकाली गई थी। आरक्षण के नियमों का पालन न करने के कारण यह भर्ती भी अबतक कानूनी पचड़े में फंसी हुई है।
भर्ती विज्ञापन में नहीं हुआ नियमों का पालन
साल 2021 में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की भर्तियों के जो विज्ञापन जारी किए गए थे, उसमें आरक्षित वर्ग के साथ ही दिव्यांग जनों के लिए पदों की संख्या निर्धारित नहीं की गई थी। इस भर्ती विज्ञापन की शिकायत डिसेबिलिटी कमिश्नर के पास की गई थी जिसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए उन्हें यह आदेशित किया था कि इस विज्ञापन को संशोधित कर आरक्षित वर्ग सहित दिव्यांगजन एवं ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के पदों की जानकारी दी जाए। 18 अप्रैल 2023 को यूनिवर्सिटी के द्वारा दोबारा संशोधित विज्ञापन निकाला गया जिसमें आरक्षित वर्ग सहित महिलाओं और दिव्यांगजनों के लिए पदों की जानकारी दी गई। इस संशोधित विज्ञापन के जारी करने तक लगभग 50% भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी।
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नए विज्ञापन को भी दी गई चुनौती
कुछ अभ्यर्थियों द्वारा इस नए जारी किए गए विज्ञापन को इस आधार पर चुनौती दी गई की भर्ती नियमों में बदलाव हो चुका है। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया की भर्ती नियमों में कोई भी बदलाव नहीं हुआ है और केवल पदों को कैटिगरीज किया गया है। इस आधार पर यह याचिका खारिज कर दी गई थी। अब दायर की गई याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि नए विज्ञापन को जारी करते हुए रोस्टर को फॉलो नहीं किया गया इसके साथ ही एसटी एससी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण की नीतियों का भी उल्लंघन किया गया है।
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5 मेंबर्स की कमेटी लेगी निर्णय
इस मामले में हाईकोर्ट के द्वारा दिए गए पिछले आदेश के अनुसार पांच मेंबर्स की कमेटी गठित की गई है, जिसे हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज हेड कर रहे हैं। सरकार की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि इस कमेटी के पास पक्ष एवं विपक्ष दोनों तरह की शिकायतें आ रही हैं और इस कमेटी को लगभग चार माह का समय दिया जाए ताकि कमेटी दोनों पक्षों को सुनकर अपना अंतिम फैसला कोर्ट के समक्ष पेश कर सके। हालांकि कोर्ट ने चार महीने के समय को ज्यादा मानते हुए 2 महीने का समय देकर यह आदेश दिया है कि दो महीने के भीतर इस कमेटी को अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी होगी जिस पर अंतिम फैसला हाईकोर्ट लेगा।
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15 सालों से टल रही है भर्ती
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि विभाग के द्वारा साल 2010 में भर्ती निकाली गई थी जो कैंसिल कर दी गई उसके बाद साल 2014 में भी जो भर्ती निकाली गई वह भी पूरी नहीं हो सकी अब 2021 में निकाली गई भर्ती पर भी विभाग 2025 तक टाल मटोल कर रहा है और अब भी कमेटी की जांच के नाम पर इस मामले को टाला जा रहा है, जबकि साल 2021 में ही वाइस चांसलर ने सभी शिकायतों पर संज्ञान ले लिया है। हालांकि कोर्ट ने इस पर यह कहा कि इसके पहले वाइस चांसलर ने संज्ञान लिया है लेकिन अब गठित की गई कमेटी के हेड रिटायर्ड हाईकोर्ट जज है और आपको उनके निर्णय का इंतजार करना चाहिए।
कमेटी को 2 माह का समय
दोनों पक्षों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिविजनल बेंच ने आदेश जारी करते हुए रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को दो माह का समय दिया है। इस अवधि में कमेटी के द्वारा पक्ष एवं विपक्ष में दिए गए तथ्यों के आधार पर अपना फैसला लेकर रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट करनी होगी। हाईकोर्ट ने अभी साफ किया है कि इस मामले में जो भी शिकायतें और आपत्तियां हैं उन्हें कमेटी के समक्ष एक सप्ताह के भीतर रखना होगा। एक सप्ताह के बाद दी गई शिकायतों एवं आपत्तियों पर विचार करने के लिए कमेटी बाध्य नहीं होगी। अब इस मामले की सुनवाई 28 मार्च 2025 को तय की गई है।
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