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JABALPUR. बिजली विभाग के द्वारा लगाए गए नए स्मार्ट मीटर लगातार विवादों में घिरे हुए हैं। ताजा मामले में तो स्मार्ट मीटर पर यह आरोप लग गए हैं कि यह मीटर बिजली की गणना करने के लिए नहीं बल्कि उपभोक्ताओं को लूटने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर डाका
बिजली उपभोक्ताओं की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले बिजली बिल में अनियमितताओं की शिकायतें थीं, अब स्मार्ट मीटर की स्मार्टनेस ही उपभोक्ताओं के लिए सिरदर्द बन गई है। कई उपभोक्ता लगातार यह दावा कर रहे हैं कि स्मार्ट मीटर उनकी वास्तविक खपत से अधिक यूनिट दिखा रहे हैं, जिससे बिल में भारी वृद्धि हो रही है।
स्मार्ट मीटर हटाने और सही बिल देने की मांग
ताजा मामला और भी चौंकाने वाला है। दरअसल, आधार ताल अमखेरा के श्याम श्रीवास्तव के घर तीन महीने पहले लगे स्मार्ट मीटर से बिजली बिल 32 हजार रूपये तक पहुंच गया। शिकायत पर चेक मीटर लगाया गया, लेकिन बाद में हटा लिया गया। समाधान न मिलने पर भी बिना सूचना बिजली काट दी गई, जिससे डेढ़ महीने से घर में अंधेरा है। 20 दिनों के भीतर, जहां स्मार्ट मीटर ने 495 यूनिट की खपत दर्शाई, वहीं चेक मीटर ने मात्र 98 यूनिट की खपत दर्ज की। यानी स्मार्ट मीटर ने पांच गुना ज्यादा बिजली की गणना की। यह मामला सामने आते ही उपभोक्ताओं में रोष फैल गया और उन्होंने इसे एक सुनियोजित लूट करार दिया। उपभोक्ता ने स्मार्ट मीटर हटाकर सही बिल जारी करने की मांग की है।
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जिम्मेदार विभाग नहीं दे रहा कोई जवाब
स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू होते ही उपभोक्ताओं ने संदेह जताया था कि ये मीटर पारदर्शी नहीं हैं। लेकिन बिजली विभाग ने इसे उपभोक्ताओं के हित में बताते हुए जबरन लागू कर दिया। अब जब इन मीटरों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं, तो विभाग ने चुप्पी साध ली है। बिजली विभाग के एक अधिकारी से जब इस विषय में सवाल किया गया, तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। उनका कहना था कि "स्मार्ट मीटर उन्नत तकनीक पर आधारित हैं और इनकी गणना में गलती नहीं होती। फिर भी, अगर कोई उपभोक्ता शिकायत करता है, तो मामले की जांच की जाएगी।" हालांकि, उपभोक्ताओं का कहना है कि शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती। उल्टा विभाग के अधिकारी उपभोक्ताओं को ही गलत ठहराते हैं।
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स्मार्ट मीटर की तकनीक पर उठे सवाल
कांग्रेस के सौरभ नाटी शर्मा के द्वारा बिजली उपभोक्ता संरक्षण के लिए लंबे समय से अभियान चलाया जा रहा है वहीं अगर स्मार्ट मीटर सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं, तो उनकी तकनीकी जांच की जानी चाहिए। उपभोक्ताओं का यह भी कहना है कि मीटर में छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह पूरी तरह से डिजिटल प्रणाली पर निर्भर करता है, जिसे रिमोट के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ मामलों में तो उपभोक्ताओं ने यह भी दावा किया है कि उनके घर की बिजली बंद होने के बावजूद मीटर यूनिट गिनता रहा, जो इस लूट का सबसे बड़ा सबूत है।
उपभोक्ताओं ने की निष्पक्ष जांच की मांग
इस मुद्दे को लेकर अब उपभोक्ताताओ की मांग है कि स्मार्ट मीटर की स्वतंत्र जांच कराई जाए। जहां-जहां गड़बड़ी पाई जाए, वहां दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो। उपभोक्ताओं को अनावश्यक रूप से वसूले गए बिल का रिफंड दिया जाए। स्मार्ट मीटर को पारदर्शी प्रणाली से जोड़ा जाए, जिससे उपभोक्ताओं को उनकी वास्तविक खपत की सही जानकारी मिले।
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बीते दिनों भी हो चुका है स्मार्ट मीटर को लेकर विवाद
स्मार्ट मीटर को लेकर बीते दिनों विवाद खड़ा हो चुका है। उपभोक्ताओं ने अचानक बढ़े बिजली बिलों पर नाराजगी जताई, जबकि कांग्रेस ने बिजली विभाग के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मीटर हटाने की मांग की। कुछ इलाकों में महिलाओं ने विरोध कर मीटर लगाने पहुंचे कर्मचारियों को वापस भेज दिया। उपभोक्ताओं का आरोप है कि बिना सहमति के जबरन मीटर बदले जा रहे हैं, जिससे बिल दोगुना हो गया है। वहीं, बिजली विभाग का कहना है कि स्मार्ट मीटर पारदर्शिता लाने के लिए लगाए जा रहे हैं और शिकायतों की जांच की जाएगी।
सरकार पर टिकी उपभोक्ताओं की निगाहें
अब देखने वाली बात यह होगी कि बिजली विभाग और सरकार इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाते हैं। स्मार्ट मीटरों की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस जांच होगी, या फिर उपभोक्ताओं को लूटने का यह सिलसिला जारी रहेगा यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन बिजली उपभोक्ता अब एकजुट होकर अपनी आवाज उठा रहे हैं।
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