हाईकोर्ट ने एक अजीबोगरीब मामले में कटनी जिले के एक इंजीनियरिंग छात्र, उत्सव राय को अग्रिम जमानत दे दी है। मामला एक प्लॉट पर कब्जे को लेकर हुए विवाद से जुड़ा है, जिसमें एक अधिवक्ता की उंगली काट लेने के बाद छात्र पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 326 के तहत गंभीर आरोप लगाए गए थे। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए छात्र को जमानत दी कि पुलिस नाइस मामले में गलत धाराएं लगाई हैं।
कटनी का है मामला
घटना 10 जून 2024 की है, जब कटनी जिले के रंगनाथ चौकी के अंतर्गत आने वाले एक प्लॉट पर दो पक्षों के बीच कब्जे को लेकर विवाद हुआ। उत्सव राय की मां ने यह प्लॉट खरीदा था। जिससे लगी हुई दीवार पर विवाद था। बात बढ़ने के दौरान दोनों पक्षों में कहासुनी बढ़कर हाथापाई में तब्दील हो गई। घटनास्थल पर मौजूद अधिवक्ता ने छात्र उत्सव राय का मुंह पीछे से पकड़ लिया, जबकि अन्य लोग उसे पकड़े हुए थे। खुद को बचाने की कोशिश में उत्सव ने अधिवक्ता की उंगली पर दांतों से काट लिया और अनजाने में उसे निगल लिया। घायल अधिवक्ता को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाया गया, वहीं छात्र को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
पुलिस ने किया धारा 326 का गलत इस्तेमाल
कटनी पुलिस ने उत्सव राय के खिलाफ आईपीसी की धारा 326 के तहत मुकदमा दर्ज किया, जो गंभीर चोट पहुंचाने से संबंधित है। धारा 326 उन मामलों में लागू होती है, जहां किसी धारदार या जानलेवा हथियार से गंभीर चोट पहुंचाई गई हो। अदालत में छात्र के वकील ने तर्क दिया कि उत्सव ने केवल खुद को बचाने के प्रयास में अधिवक्ता को काटा था और दांत से कटकर चोट पहुंचाने को गंभीर हथियार से चोट पहुंचाने के मामले की तरह नहीं देखा जा सकता । इस स्थिति में छात्र का इरादा जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाने का नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि घटना में किसी हथियार का प्रयोग नहीं हुआ था, जिससे धारा 326 का इस्तेमाल गैर-उचित माना जा सकता है।
कोर्ट ने उठाया पुलिस पर सवाल
जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस मनिंदर एस भट्टी ने मामले की सुनवाई करते हुए कटनी पुलिस द्वारा लगाए गए आरोपों की कानूनी वैधता पर सवाल उठाए। अदालत ने माना कि घटना के तथ्यों के आधार पर धारा 326 का आरोप प्रमाणित नहीं हो सकता। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस ने बिना पर्याप्त साक्ष्यों के ही गंभीर धारा का इस्तेमाल किया है। जिससे आरोपी छात्र पर अनावश्यक दबाव बनाया गया।जस्टिस भट्टी ने छात्र को अग्रिम जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी रखीं, जिनके तहत उत्सव राय को नियमित अंतराल पर अदालत में हाजिरी देनी होगी और जांच में सहयोग करना होगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पुलिस द्वारा लगाए गए आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की गलत धाराओं का प्रयोग न हो।
क्या है धारा 326
भारतीय दंड संहिता ( IPC ) की धारा 326 "खतरनाक हथियारों या साधनों से गंभीर चोट पहुँचाना" से संबंधित है। इस धारा के अंतर्गत किसी व्यक्ति पर आरोप तब लगाया जाता है जब वह किसी अन्य व्यक्ति को जानबूझकर गंभीर चोट पहुँचाता है, और इस चोट के लिए किसी खतरनाक हथियार या साधन का उपयोग किया गया हो। इस धारा के तहत 10 साल तक की सजा का प्रावधान है इसलिए इसमें पुलिस थाने से जमानत भी नहीं मिलती है।
इस मामले का होगा व्यापक प्रभाव
यह मामला बताता है कि कैसे कभी-कभी बिना पूरी जांच और प्रमाण के गंभीर धाराओं का उपयोग कर दिया जाता है, जिससे निर्दोष लोग कानूनी परेशानियों में फंस सकते हैं। यह निर्णय पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि कानून का दुरुपयोग न हो और आरोप तय करने में सतर्कता बरती जाए। एक अधिवक्ता के घायल होने के बाद से इस मामले ने कानूनी बिरादरी में काफी चर्चा बटोरी थी। वहीं, उत्सव राय के वकील मनीष दत्त ने फैसले का स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत बताया है।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक