Student Protest : जबलपुर जिला कलेक्टर के द्वारा 11 निजी स्कूलों के ऊपर अवैध फीस वसूली सहित अन्य धाराओं पर कार्रवाई की गई है, लेकिन अब भी बहुत से ऐसे स्कूल हैं जो इस कार्रवाई से अछूते रह गए हैं। इनमें से ही एक स्कूल है ब्रिटिश फोर्ड फाउंडेशन। इस स्कूल को न जाने किसका वरदहस्त प्राप्त है जो इस पर प्रशासन की नजर टेढ़ी ही नहीं हो रही।
छात्रों ने कैदियों के रूप में सड़क पर प्रदर्शन किया
एमपी स्टूडेंट यूनियन सहित अन्य संगठनों के द्वारा लगातार ब्रिटिश स्कूल फाउंडेशन के खिलाफ शिकायत और सबूत प्रशासन और जिला शिक्षा अधिकारी को दिए जा रहे थे उसके बाद भी कार्यवाही न होने पर आज छात्रों ने कैदियों की वेशभूषा में हथकड़ी में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया। छात्रों ने यह आरोप लगाया कि स्कूल के खिलाफ जिला शिक्षा अधिकारी को अवैध फीस वसूली सहित बिना मान्यता के कई शाखाओं के संचालन जैसे आरोपों के साक्ष्य दिए गए हैं। उसके बाद भी आखिर किस दबाव में जिला शिक्षा अधिकारी इस स्कूल पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
हा.से. के छात्रों को हाई स्कूल के शिक्षक पढ़ा रहे
कांचघर निवासी यश से ठाकुर जो कि इस स्कूल की एक ब्रांच में 11वीं कक्षा का छात्र था उसने लिखित शिकायत देते हुए अपनी मार्कशीट की छायाप्रति भी सौंप थी और यह आरोप लगाया था कि उसने ब्रिटिश फोर्ड फाउंडेशन की की तेवर ब्रांच में एडमिशन लिया था पर पढ़ाई करने के लिए उसे राइट टाउन स्थित शाखा में बुलाया जाता था और इस शाखा में केवल दसवीं कक्षा तक के ही शिक्षक उपलब्ध थे जिसके कारण वह 11वीं की परीक्षा में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाया।
जांच बैठी तो किया मान्यता के लिए आवेदन
शिकायतों के बाद जब इस मामले में जांच शुरू हुई तब इस स्कूल के संचालक ने चार शाखाओं के प्री प्राइमरी संचालन के लिए महिला विकास विभाग को आवेदन दिया। सामने आई जांच रिपोर्ट में भी या साफ लिखा हुआ है कि इनका आवेदन अभी प्रक्रिया में है। उसके बाद भी जांच करने वाले जिम्मेदारों ने बिना मान्यता के इतने सालों से स्कूल के संचालक पर कार्यवाही करने की जरूरत नहीं समझी।
दूसरे संगठन भी खोल चुके हैं पोल
महाकौशल लॉ स्टूडेंट एसोसिशन मध्य प्रदेश ने भी जिला कलेक्टर एवं जिला शिक्षा अधिकारी को पूर्व में ज्ञापन देकर ब्रिटिश फोर्ट फाउंडेशन के छह स्कूलों की मान्यता और मान्यता के मापदंड की जांच की मांग की थी। इसमें आरोप लगाया था कि ब्रिटिश फोर्ट फाउंडेशन के जबलपुर शहर में छह स्कूल संचालित हो रहे हैं, जो की तेवर, अधारताल, राइटटाउन, सिविल लाइंस, धनवंतरी और ग्वारीघाट में स्थित है, लेकिन उसमें से सिर्फ दो स्कूलों की मान्यता मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड से है, बाकी चार की मान्यता की जांच की मांग की गई थी। डीपीसी और डीईओ ने जांच में पाया था कि ब्रिटिश फोर्ट फाउंडेशन के दो स्कूलों की मान्यता है जो की सीबीएसई बोर्ड से कक्षा एक से बारहवीं तक और मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड से क्लास एक से आठवीं तक है, बाकी 4 स्कूलों की मान्यता महिला बाल विकास से प्री प्राइमरी स्कूलों की है जिसके लिए आवेदन दिया गया है। यह आवेदन भी स्कूल के खिलाफ शिकायत देने के बाद किया गया तो इसके पहले तो स्कूल अवैध रूप से ही संचालित हो रहा था। ब्रिटिश फोर्ट फाउंडेशन स्वयं अपने ब्राउजर और विज्ञापनों में भी प्री प्रायमरी की जगह प्राइमरी स्कूल प्रकाशित करता आ रहा है। इसके बाद भी आज जब जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी से जब बात की गई तो वह अब तक जांच पूरी न होने का हवाला दे रहे हैं। जबलपुर के जिला शिक्षा अधिकारी की कार्य प्रणाली पर लगातार सवाल उठते रहे हैं पर जिन मामलों में जिला शिक्षा अधिकारी को स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करना चाहिए उन मामलों में संगठनों के द्वारा जानकारी दिए जाने पर भी कार्यवाही न करना समझ से परे है।