पढ़ाई को लेकर तनाव में MP के स्टूडेंट्स, शिक्षा मंत्रालय के सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा

शिक्षा मंत्रालय के सर्वे के मुताबिक, मध्यप्रदेश के छात्रों में स्कूल वर्क के दबाव के कारण मानसिक तनाव बढ़ रहा है। खासकर भोपाल और इंदौर के छात्र इस तनाव से अधिक प्रभावित हैं।

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Kaushiki
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शिक्षा मंत्रालय ने बच्चों को लेकर किए एक सर्वे में कई बड़े खुलासे किए हैं। मंत्रालय के राष्ट्रीय सर्वे परख में सामने आया कि मध्यप्रदेश के पांच प्रमुख जिलों में से भोपाल के छात्र सबसे ज्यादा मानसिक तनाव में हैं। सर्वे के मुताबिक, भोपाल के 59% छात्र तनाव का सामना कर रहे हैं, जो अन्य जिलों की तुलना में सबसे अधिक है।

यह रिपोर्ट 8 जुलाई को जारी की गई, जिसमें 52 जिलों के 1.38 लाख छात्रों की मानसिक स्थिति, पढ़ाई की आदतें और एजुकेशनल रिसोर्सेज का एनालिसिस किया गया। इस सर्वे में छात्रों के प्रेजेंटेशन, उनके सीखने की क्षमता और पढ़ाई पर असर डालने वाले विभिन्न पहलुओं का एनालिसिस किया गया है।

स्टूंडेंट्स में किस चीज का सबसे ज्यादा तनाव?

खासतौर पर, स्कूल वर्क का दबाव, अकेलापन और मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल के कारण तनाव की समस्या और भी गंभीर हो गई है। यह रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा करती है कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरे प्रभाव डालने वाले कई कारण हैं। ये सर्वे संकेत देता है कि राज्य में छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति चिंताजनक हो सकती है। 

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When Homework Stresses Parents as Well as Students - The New York Times

छात्रों में तनाव के मुख्य कारण क्या हैं?

उदासी और तनाव महसूस करना
भोपाल के 59% छात्र इस श्रेणी में सबसे ऊपर हैं। जबलपुर (54%), ग्वालियर (53%) और इंदौर (52%) बारी-बारी से दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। इस सर्वे में ग्वालियर के तीसरी कक्षा के छात्र (45%) को सबसे ज्यादा तनाव का सामना करना पड़ा।

स्कूल वर्क से उत्पन्न तनाव
भोपाल और इंदौर के लगभग 49% छात्र स्कूल वर्क के कारण तनाव में हैं। इंदौर के कक्षा 9वीं के 75% छात्र इस तनाव में सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। भोपाल के 31% और जबलपुर के 45.66% छात्र भी स्कूल वर्क के दबाव से जूझ रहे हैं।

स्कूल जाना पसंद न होना
भोपाल और ग्वालियर के 37% छात्रों को स्कूल जाना पसंद नहीं है। इंदौर (29%) और जबलपुर (35%) के छात्र भी स्कूल जाने में रुचि नहीं रखते। उज्जैन के छात्र इस मामले में अलग हैं, जहाँ 74% छात्र स्कूल जाना पसंद करते हैं।

अकेलापन महसूस करना
इंदौर के 52% छात्र अकेलापन महसूस करते हैं, जबकि जबलपुर (48%) और भोपाल (45%) के छात्र इस श्रेणी में आते हैं। ये आंकड़े स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ाते हैं।

शैक्षणिक दबाव
एक साथ कई विषय और कोर्सेज सीखने का तनाव, जिससे छात्र मानसिक दबाव महसूस करते हैं।

आर्थिक समस्या
माता-पिता की फीस के लिए जद्दोजहद और आर्थिक परेशानियों का छात्रों पर भावनात्मक असर पड़ता है।

मीडियम चेंज
हिंदी से इंग्लिश मीडियम में आने का डर, जिससे छात्र पढ़ाई में पीछे महसूस करते हैं।

क्या कहती है काउंसलिंग साइकोलॉजी

मनोचिकित्सक डॉ. जेपी अग्रवाल का कहना है कि बच्चों में बढ़ता तनाव न्यूक्लियर फैमिली, सोशल मीडिया की अधिकता और पेरेंट्स के झगड़ों से जुड़ा है। जब बच्चे गुमसुम रहने लगें, नींद में बदलाव हो, तो तुरंत संवाद शुरू करना जरूरी है।

इसके अतिरिक्त, बच्चों को तनाव कम करने के लिए दोस्तों और टीचर्स से बात करनी चाहिए और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए काउंसलिंग की मदद लेनी चाहिए।

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स्मार्टफोन और साइकिल की स्थिति

बता दें कि, 65% छात्र स्मार्टफोन से पढ़ाई करते हैं, जिनमें नौवीं कक्षा के छात्र सबसे ज्यादा हैं। सिर्फ 12% छात्र साइकिल का यूज करते हैं, जबकि 47% छात्र पैदल स्कूल जाते हैं।

यहां तक कि इंदौर के तीसरी कक्षा के 33% छात्र स्कूल वर्क के दबाव के कारण तनाव में रहते हैं, जो कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है।

स्थानीय शिक्षक प्रियंका जैन का कहना है कि “मोबाइल जरूरी हो तो सिर्फ एजुकेशनल यूज तक सीमित हो। नौवीं-दसवीं के छात्रों को मोबाइल की जरूरत नहीं होनी चाहिए।”

सर्वे में क्या-क्या पाया गया

Parenting Tips: Are we choking our kids with academic pressure? - Times of  India | - Times of India

  • भोपाल में सबसे ज्यादा तनाव: सर्वे के मुताबिक, भोपाल के 59% छात्र मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं, जो अन्य जिलों से ज्यादा है।
  • स्कूल वर्क का दबाव: 48% छात्र स्कूल वर्क के कारण तनाव महसूस करते हैं, खासकर कक्षा 9वीं के छात्र।
  • स्मार्टफोन का उपयोग: 65% छात्र स्मार्टफोन से पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
  • अकेलापन महसूस करना: 45% छात्र अकेलापन महसूस करते हैं, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है।
  • साइकिल का कम उपयोग: केवल 12% छात्रों के पास साइकिल है, जबकि अधिकांश छात्र पैदल स्कूल जाते हैं, जो उनके दिनचर्या को प्रभावित करता है।

 

Parental pressure, study burden pushing kids in Ludhiana into depression -  Hindustan Times

बच्चों को तनाव से कैसे बचाएं

  • खुलकर बात करें: बच्चों के साथ डेली बात करें और उनके विचार और समस्याओं को समझें। जब बच्चे खुद को समझने की कोशिश करते हैं, तो तनाव कम होता है।
  • समय पर ध्यान दें: बच्चों के लिए एक सुरक्षित और सुखद वातावरण बनाएं, ताकि वे अपने विचार और भावनाओं को बिना डर के व्यक्त कर सकें।
  • प्रेरित करें और समर्थन दें: बच्चों को उनके प्रयासों के लिए सराहें और जब वे किसी कठिन स्थिति का सामना करें तो उनका हौसला बढ़ाएं।
  • स्मार्टफोन और स्क्रीन टाइम की सीमा तय करें: बच्चों को अधिक स्क्रीन टाइम से बचाएं और इसके बजाय उन्हें आउटडोर खेल या अन्य क्रिएटिव एक्टिविटीज में शामिल करें।
  • पॉजिटिव ऐटिटूड डेवेलोप करें: बच्चों को जीवन के पॉजिटिव आस्पेक्ट को देखने और कठिनाइयों का सामना करने के लिए प्रेरित करें। यह उनकी मानसिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा।

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