SC में 27 फीसदी OBC आरक्षण का केस अटका, नए साल से पहले सुनवाई मुश्किल

मध्य प्रदेश में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण केस को लेकर लगी विविध याचिकाएं हाईकोर्ट जबलपुर से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर हो गई हैं। इसमें 25 नवंबर को सुनवाई लिस्टेड हुई थी।

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Sanjay gupta
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मध्य प्रदेश में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण केस को लेकर लगी विविध याचिकाएं हाईकोर्ट जबलपुर से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर हो गई हैं। इसमें 25 नवंबर को सुनवाई लिस्टेड हुई थी। लाखों युवा इस ओर नजरें रखे हुए थे लेकिन इसमें मिली ताजा खबर के अनुसार अब यह सुनवाई नए साल जनवरी 2025 से पहले होना मुश्किल है । 

क्या हुआ और क्यों?

अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने बताया कि कुछ दस्तावेज पेश होने रह गए होंगे, इसके चलते यह सुनवाई अब रजिस्टार के पास लिस्टेड है, यानी जो भी दस्तावेज कम होंगे वहां सभी पक्षकार उनके पास दे सकते हैं। इसके बाद ही बेंच के पास यह सुनवाई के लिए लगेगा। इसमें कम से कम चार सप्ताह तो लगेंगे ही। इसी बीच दिसंबर में विंटर वेकेशन भी लगेंगे। यानी अब सुनवाई जनवरी 2025 से पहले होना मुश्किल है।  

यह केस डायरी और इतने केस लिंक्ड

सुप्रीम कोर्ट केस में एक नहीं बल्कि तीन केस डायरी आपस में जुड़ी हैं, इसमें केस डायरी 16430 के साथ ही 24541 और 23299 भी है, जो सभी साल 2023 की हैं। इन केस डायरियों के साथ लिंक्ड केस की भी जानकारी निकाली तो इसमें साल 2019 से लेकर 2023 तक के दौरान लगे केस शामिल हैं।

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MPPSC ने 87-13 फॉर्मूले के तहत बांटे इस परीक्षा के पद। देखें वीडियो

ये सभी केस भी जुड़े हैं

इसमें रिट याचिका 5901/19 (जो मूल याचिका है 27 फीसदी आरक्षण को लेकर), 16552/19, 10310/19, 11330/19, 15662/19, 3757/20, 542/21, 8750/22, 24847/22, 599/23, 242247/22, 12398/23, 20791/23, 01868/23 व अन्य शामिल है।

27 फीसदी आरक्षण और 87-13 फार्मूले की कहानी

मप्र शासन ने ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया। तब यह मामला हाईकोर्ट में गया तो इसमें 14 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने पर रोक लगा दी गई। शासन ने इसका तोड़ निकाला और सितंबर 2022 में 87-13 फीसदी फार्मूला लागू कर दिया। ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी के हिसाब से 87 फीसदी का रिजल्ट जारी किया और 13 फीसदी पद ओबीसी और अनारक्षित दोनों के लिए अलग रख दिए। कहा गया जब ओबीसी आरक्षण पर अंतिम फैसला होगा, तब यह रिजल्ट जारी होगा। यानी अगर ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी हुआ तो यह 13 फीसदी पद उनके कोटे में नहीं तो अनारक्षित के कोटे में चले जाएंगे। हालांकि, इसके लिए कोई समयसीमा तय नहीं है। साल 2019 के बाद 2020, 2021 के भी अंतिम रिजल्ट हो गए हैं और सभी 13 फीसदी पद रुके हुए हैं। यह हाल पीएससी के साथ ईएसबी व अन्य भर्ती परीक्षा यहां तक की पात्रता परीक्षा रिजल्ट के साथ भी हुआ। 

सुप्रीम कोर्ट में 27 फीसदी OBC आरक्षण का केस 25 नवंबर को संभावित

यह है सबसे बड़ी समस्या

सबसे बड़ी समस्या यह है कि उम्मीदवार जो भी 13 फीसदी में हैं, उन्हें पता ही नहीं है कि उनके अंक कितने हैं। ओबीसी या अनारक्षित कैटेगरी दोनों यह जानना चाहते हैं कि किसी के भी हक में फैसला आए लेकिन क्या वह मेरिट के आधार पर चयन सूची में है भी कि नहीं? नहीं है तो वह भविष्य में आगे की ओर बढ़े, उसे कब तक यह जानने के लिए इंतजार करना होगा। वह चयन सूची के दायरे में आएगा भी या नहीं। वहीं इस केस के चक्कर में साल 2019, 2020, 2021 किसी भी परीक्षा की मेंस देने वालों को अपनी कॉपियां देखने को नहीं मिल रही है और ना ही अंक पता है कि आखिर वह क्या गलती कर रहा है? इसी के चलते हजारों पद और लाखों उम्मीदवार अटके हुए हैं। कॉपियां दिखाने के लिए भी उम्मीदवार आंदोलन कर रहे हैं।

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