/sootr/media/media_files/2025/07/22/supreme-court-hears-mp-requests-relief-27-obc-reservation-chhattisgarh-2025-07-22-14-57-22.jpg)
मप्र में साल 2019 में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का एक्ट पास हुआ। लेकिन इसके अनुसार अभी भर्तियां नहीं हो रही हैं। मामला हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिकाओं पर मंगलवार 22 जुलाई को अहम सुनवाई हुई। इसमें सबसे अहम मप्र शासन का रवैया रहा। पहली बार सरकार ने 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए राहत मांगी।
यह हुआ सुनवाई के दौरान
इस मामले में मप्र शासन की ओर से मांग की गई कि 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण एक्ट पास है। छत्तीसगढ़ में 58 फीसदी आरक्षण दिया गया है और इसे सुप्रीम कोर्ट ने मान्य किया है। जिस तरह 50 फीसदी से अधिक आरक्षण पर छत्तीसगढ़ को राहत मिली है, उसी तरह मप्र को भी राहत दी जाए, जिससे पूरी भर्ती की जा सके।
इसके पहले मप्र सरकार ने खुलकर यह बात नहीं रखी थी। इसके पहले हमेशा ट्रांसफर याचिकाओं का जिक्र किया कि पहले उनका निराकरण हो जाए। इसके बाद ही यह 27 फीसदी आरक्षण दिया जाना संभव होगा, अभी अंतरिम रोक लगी हुई है। ओबीसी पक्षकार की ओर से भी कहा गया कि एक्ट को लागू किया जाए, इसे बेवजह रोका गया है। मप्र और छत्तीसगढ़ के मामले एक जैसे हैं, वहां भर्ती हो रही है और यहां होल्ड हो रहा है।
खबर यह भी...MP में 27% OBC आरक्षण क्यों अटका, SC ने जिस इंद्रा साहनी केस की बात कही, उसका कितना असर
वहीं दूसरे पक्ष ने किया विरोध
वहीं इस पर अनारक्षित की ओर से अधिवक्ता ने आपत्ति ली और कहा कि मप्र और छत्तीसगढ़ दोनों के मामले एक जैसे नहीं हैं। मप्र में ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया गया है और छत्तीसगढ़ में ओबीसी का आरक्षण पूर्ववत है। वहां एसटी आबादी अधिक होने से उनके लिए आरक्षण बढ़ाया गया है। ऐसे में दोनों केस को एक जैसा नहीं बताया जा सकता है। इस पर करीब 20 मिनट तक सुप्रीम कोर्ट में जिरह चली। जिसके बाद इसे बिना किसी आदेश के अगली सुनवाई के लिए आगे बढ़ा दिया गया।
खबर यह भी...मप्र में 27% OBC आरक्षण लागू करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, अन्य याचिकाओं पर चलेगी सुनवाई
यह है छत्तीसगढ़ का 58 फीसदी आरक्षण केस
एक मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आरक्षण को 58 फीसदी के तहत भर्ती करने पर अंतरिम राहत दी थी। हालांकि यह राहत अंतरिम है, छत्तीसगढ़ सरकार का पक्ष था कि भर्ती और पदोन्नति दोनों रुकी हैं और इसके चलते मैनपावर की कमी से सरकार जूझ रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह राहत दी थी कि जो प्रक्रिया चल रही है वह इसी 58 फीसदी पर चल सकती है लेकिन यह सभी अंतिम आदेश के अधीन होंगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने 2012 में 58 फीसदी आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी, जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण को 50 से बढ़ाकर 58 फीसदी करना असंवैधानिक है। छत्तीसगढ़ राज्य शासन ने आरक्षण नीति में बदलाव करते हुए 18 जनवरी 2012 को अधिसूचना जारी की थी, इसके तहत लोकसेवा (अजा, अजजा एवं पिछड़ा वर्ग का आरक्षण) अधिनियम 1994 की धारा-4 में संशोधन किया गया था। इसके अनुसार अजजा वर्ग को 32 फीसदी, अजा वर्ग को 12 फीसदी और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया था। इससे कुल आरक्षण 58 फीसदी हो गया था।
thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃
🤝💬👩👦👨👩👧👧
Hearing on 27% OBC reservation | 27% reservation | 27% ओबीसी रिजर्वेशन | obc demands 27% reservation in chhattisgarh | मप्र सरकार का फैसला | MP हाईकोर्ट न्यूज | सुप्रीम कोर्ट न्यूज | 27 percent OBC reservation case | 27 percent OBC reservation supreme court order | CG OBC Reservation