TI के बाद अब IPS DCP, SI, ASI की भी हाईकोर्ट में लगी याचिका, ड्रिंक एंड ड्राइव में फर्जी चालान का मामला

ड्रिंक एंड ड्राइव केस में फर्जी चालान के मामले में उलझे पुलिस अधिकारियों को राहत मिलने की शुरूआत बुधवार से हो गई है। लसूडिया टीआई तारेश सोनी पर एफआईआर दर्ज करने पर हाईकोर्ट इंदौर ने सुनवाई के बाद स्टे दे दिया है।

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Ravi Singh
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Taresh Soni Case
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ड्रिंक एंड ड्राइव केस में फर्जी चालान के मामले में उलझे पुलिस अधिकारियों को राहत मिलने की शुरूआत बुधवार से हो गई है। लसूडिया टीआई तारेश सोनी पर एफआईआर दर्ज करने पर हाईकोर्ट इंदौर ने सुनवाई के बाद स्टे दे दिया है। अब मामला डीसीपी जोन टू आईपीएस अभिनव विश्वकर्मा के साथ सात अन्य पुलिस अधिकारियों का बचा है। हालांकि टीआई सोनी मामले में स्टे आर्डर के बाद यह औपचारिकता ही है। एसआई राहुल डाबर को छोड़कर बाकी छह अधिकारियों की याचिका सुनवाई के लिए गुरुवार (4 जुलाई) को लिस्टेड हो गई है।

इन सभी की याचिका पर गुरुवार को होगी सुनवाई

गुरुवार को डीसीपी आईपीएस अभिनव विश्वकर्मा के साथ ही एसआई कैलाश मार्सकाले, एसआई नरेंद्र जैसवार व महेंद्र मकाले, एएसआई राजेश जैन, आरक्षक बेनू धनगर की याचिका पर सुनवाई होगी। इन सभी की याचिका लिस्टेड हो गई है। हालांकि अभी एसआई राहुल डाबर जिनके बयान के बाद ही पूरी कहानी जिला कोर्ट में उलझी थी, उनका केस लिस्ट नहीं हुआ है।

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हाईकोर्ट ने आर्डर में यह लिखा

टीआई सोनी की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने इस संबंध में यह आदेश जारी किया है। इसमें है कि- सभी तथ्यों को देखने के बाद 29 जून को जिला कोर्ट से जारी आदेश और इस संबंध में एमजी रोड पुलिस थाने को एफआईआर के संबंध में लिखे गए आदेश को अगली सुनवाई तक स्टे किया जाता है। इस मामले में 6 अगस्त को अगली सुनवाई होगी। 

टीआई की ओर से यह रखी गई  थी यह बात

इसके पहले टीआई की ओर से अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल ने इस मामले में पक्ष रखा। उन्होंने चालान में गलती को लेकर इसे मानवीय त्रुटि और टाइप एरर बताया। तीन चालान में बताया कि इसमें संबंधित व्यक्ति ने ही पकड़े जाने पर गलता नाम बताया और जब वह थाने पर आया तो सही नाम बताया, इसलिए इसे ठीक किया गया। वहीं एक अन्य मामले में बताया कि इसमें टाइप एरर से पिता का नाम गलत बता दिया गया।

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अधिवक्ता खंडेलवाल ने नियम 197 का भी हवाला दिया औऱ् कहा कि इस मामले में अधिकारियों पर सीधे केस दर्ज करने के आदेश दिए गए, जबकि बिना राज्य शासन की मंजूरी के आदेश हो ही नहीं सकता है। कोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार के परे जाकर यह आर्डर किया है। वैसै भी इस मामले में टीआई की सीधे भूमिका नहीं है और टीआई व उच्च अधिकारी (डीसीपी) को केवल इस मामले में आरोपी बनाने के आदेश हुए क्योंकि वह जांच अधिकारी एसआई लसूडिया थाने के थे।

इन अधिकारियों पर इस धाराओं में केस दर्ज करने के थे आदेश

कोर्ट में गलत दस्तावेज पेश करने, न्याय को प्रभावित करने वाला अपराध करने, कूटरचित दस्तावेज बनाने और पेश करने के चलते न्यायाधीश जय कुमार जैन ने एमजी रोड थाना को आदेश दिया था। डीसीपी 2 (अभिनव विश्वकर्मा), संबंधित थाना प्रभारी टीआई (तारेश सोनी) के साथ ही एसआई राहुल डाबर, नरेंद्र जैसवार महेंद्र मकाले, सहायक उपनिरीक्षक राजेश जैन, कैलाश मार्सकोले, आरक्षक बेनू धनगर पर केस दर्ज किया जाए।

इसमें धारा 200, 203, 467, 468, 465, 471 औऱ् 34 धाराएं लगाई जाए। न्यायाधीश जय कुमार जैन ने इस केस में स्पष्टीकरण मांगने पर भी जवाब नहीं देने पर पुलिस आयुक्त (राकेश गुप्ता) पर भी नाराजगी जाहिर की थी। जांच के भी आदेश दिए और साथ ही एमजी रोड थाने को कहा था कि वह जल्द इस मामले में रिपोर्ट पेश करें और साथ ही एफआईआर दर्ज कर कोर्ट को जल्द सूचित करें। अब इस आदेश पर और न्यायाधीश द्वारा लिखे गए पत्र दोनों पर स्टे हो गया है।

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