रणजीत हनुमान मंदिर पर नोटबंदी के बाद लगी करोड़ों की टैक्स पेनल्टी रद्द

इंदौर के बाबा रणजीत हनुमान मंदिर पर नोटबंदी के बाद इनकम टैक्स विभाग ने 3 करोड़ 50 लाख रुपए की पेनल्टी लगाई थी जिसे रद्द कर दिया गया है। मंदिर प्रबंधन ने अपील की थी कि ये राशि सरकार की है। इस पर इनकम टैक्स छूट लागू होती है।

Advertisment
author-image
Rahul Garhwal
New Update
ranjeet hanuman dham
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

संजय गुप्ता, INDORE. नोटबंदी के साल में बाबा रणजीत हनुमान मंदिर में आई नकदी के बैंक खाते में जमा कराने के बाद इनकम टैक्स इंदौर द्वारा जारी की गई ढाई करोड़ की टैक्स डिमांड, पेनल्टी को कमिश्नर आईटी अपील ने निरस्त कर दिया है। 8 साल पहले प्रसिद्ध रणजीत हनुमान मंदिर द्वारा बैंक में जमा कराए गए ढाई करोड़ रुपए के मामले में इनकम टैक्स विभाग द्वारा 3.50 करोड़ रुपए की पेनल्टी निकाली गई थी। मंदिर प्रबंधन द्वारा इस मामले में अपील की गई थी जिसमें माना गया कि ये ढाई करोड़ की राशि सरकार की है। इस पर इनकम टैक्स छूट लागू होती है।

ये है मामला

इस केस को मंदिर की ओर से आयकर विभाग में रखने वाले सीए अभय शर्मा ने बताया कि मामला नोटबंदी के दौरान का है। 2016 में मंदिर प्रबंधन द्वारा चढ़ावे में ढाई करोड़ रुपए बैंक में जमा कराए गए थे। इसे लेकर इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) ने नोटिस जारी किया था। इसके साथ ही इसमें ये राशि कहां से आई इसका सोर्स बताने के लिए कहा गया था। मंदिर प्रबंधन द्वारा बताया गया था कि ये राशि चढ़ावे की है। इस पर विभाग ने तर्क दिया था कि मंदिर का रजिस्ट्रेशन नहीं है और न ही ये चेरिटेबल ट्रस्ट है। ये आयकर विभाग की धारा 12-ए और 80-जी में भी रजिस्टर्ड नहीं है। इसके साथ ही 3.50 करोड़ रुपए की डिमांड निकाल दी।

इसलिए 3.50 करोड़ रुपए की हो गई राशि

इनकम टैक्स विभाग के नियमों के तहत डिमांड नोटिस से सुनवाई तक पीरियड का असेसमेंट किया गया। इसमें डेढ़ साल में ये ढाई करोड़ रुपए की राशि ब्याज सहित 3.50 करोड़ की आंकी गई। एक्सपर्ट के मुताबिक इनकम टैक्स द्वारा टैक्स के रूप में निकाली गई राशि को लेकर नियम है कि इसे तत्काल जमा कराना जरूरी है अन्यथा 3 साल में राशि ब्याज सहित दोगुनी हो जाती है। इस तरह इस केस में डेढ़ साल में राशि 3.50 करोड़ की हो गई।

राज्य सेवा परीक्षा मेंस की डेट पर नहीं निकला फैसला, कल फिर होगी बैठक

कमिश्नर अपील में ये बताए गए तर्क

तत्कालीन कलेक्टर लोकेश जाटव ने मंदिर प्रबंधन की ओर से सीए अभय शर्मा को केस की जिम्मेदारी सौंपी। अंतिम सुनवाई में सीए अभय शर्मा के साथ वरिष्ठ सीए शैलेंद्र सिंह सोलंकी ने भी ऑर्ग्यू किया। सीए शर्मा के मुताबिक तब इस मामले में पहले मंदिर प्रबंधन की ओर से अपील में स्टे लिया। 4 साल तक चली सुनवाई चली। फाइनल सुनवाई के दौरान मंदिर प्रबंधन की ओर से केंद्र सरकार के एक नोटिफिकेशन का हवाला दिया गया। इसमें बताया गया कि इस नियम में इंदौर के कई अन-रजिस्टर्ड मंदिर, मठ, गुरुद्वारे इसके तहत टैक्स से छूट के पात्र हैं। ये भी बताया कि ये मंदिर राशि सरकार की राशि है। मंदिर ट्रस्ट का अध्यक्ष कलेक्टर होता है और सारे वित्तीय काम लीगल प्रावधान के तहत होते हैं। सुनवाई के बाद आयकर विभाग द्वारा निकाली गई 3.50 करोड़ रुपए की डिमांड खारिज कर दी गई।

Income Tax Department Ranjit Hanuman Temple Ranjit Hanuman Temple Tax Penalty