वाटर टैंक, पाइप आदि बनाने वाली मप्र की सबसे बड़ी प्लास्टिक कंपनियों में से एक टेक्समो पाइप्स उलझ गई है। ED यानी प्रवर्तन निदेशालय इंदौर ने इसकी जांच शुरू कर दी है। वह भी फेमा एक्ट के तहत। इसके तहत कंपनी, व्यक्ति को मिलने वाली विदेशी राशि की जांच की जाती है।
इनके खिलाफ ईडी की जांच
द सूत्र को मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार ईडी ने कंपनी के प्रमुख संजय अग्रवाल के साथ ही उनकी पत्नी रश्मि अग्रवाल के खिलाफ फेमा में जांच शुरू की है। इसके लिए इंदौर सहित मप्र स्तिति उनकी संपत्तियों की जांच भी हो रही है।
इंदौर में इन संपत्तियों की खरीदी-बिक्री पर लगी रोक
ईडी ने फेमा के तहत जांच शुरू करने के साथ ही संजय अग्रवाल और रश्मि अग्रवाल की संपत्तियों की भी खरीदी-बिक्री पर रोक लगा दी है। इसमें एक गोदाम, एनआरके विला का फ्लैट, स्कीम 54 का विजयनगर का एक मकान के साथ ही एक ऑफिस भी है। इसमें कुछ प्रापर्टी संजय अग्रवाल के नाम है तो कुछ रश्मि अग्रवाल के और एक प्रॉपर्टी कंपनी टेक्समो पाइप्स एंड प्रॉडक्टस लिमिटेड के नाम है।
कौन है संजय अग्रवाल ?
संजय अग्रवाल मूल रूप से बुरहानपुर के हैं। इनकी फैक्टरी वहीं पर है। इनका 24 करोड़ रुपए का एलएंडटी कंपनी से लेन- देन का विवाद चल रहा है। इसके बाद इस फैक्टरी के बंद होने की भी खबरें चली। इस पर अप्रैल में ही अग्रवाल ने खंडन किया और कहा कि फैकटरी बंद नहीं होगी और हम तो पीथमपुर में भी एक फैक्टरी डाल रहे हैं।
उनकी कंपनी टीपीपीएल कई वर्षों से रिलायंस इंडस्ट्रीज, आइडिया सेलुलर, सीमेंस इंडिया, किर्लोस्कर, एलएंडटी, टाटा पावर, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और बीएसएनएल जैसी विभिन्न कंपनियों को भी माल देती है।
फेमा क्या होता है?
'फेमा' का पूरा नाम फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम) है। यह विदेशी मुद्रा प्रबंधन और विदेशी व्यापार एवं भुगतान संबंधी एक अधिनियम है। इसके तहत संस्था में हुए विदेशी लेन-देन की जांच की जाती है। हाल ही में बायजू पर भी ईडी ने इसी के तहत जांच कर प्रॉपर्टी अटैच की थी।
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