जबलपुर हाईकोर्ट में आधा अधूरा चालान पेश करने के मामले में कोर्ट ने आदेश दिया है। आदेश के बाद पुलिस अधीक्षक ने कार्यवाही करते हुए दोषी पाए गए अधारताल TI विजय विश्वकर्मा को लाइन अटैच किया है। सोमवार, 24 जून को जस्टिस विवेक अग्रवाल की वेकेशन बेंच में एक हत्या के मामले में जमानत आवेदन दिया गया था। इस आवेदन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट के सामने पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई थी। जिसमें विवेचना अधिकारी ने बिना 161 के बयान के ही चालान कोर्ट में पेश कर दिया था। द सूत्र ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
कार्यवाही की रिपोर्ट एसपी को कोर्ट में पेश करनी है
आज जबलपुर के पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह के द्वारा आदेश जारी कर अधारताल के थाना प्रभारी विजय विश्वकर्मा को लाइन अटैच कर दिया गया है। जबलपुर पुलिस अधीक्षक से इस मामले में जब पत्रकारों के द्वारा प्रश्न किए गए तो उन्होंने बताया कि दो थाना प्रभारी के ट्रांसफर और अधारताल थाना प्रभारी को लाइन अटैच करने की कार्यवाही सामान्य प्रशासनिक फेरबदल है पर अधारताल थाना प्रभारी को लाइन अटैच करने के पीछे कोर्ट के द्वारा दिए गए आदेश पर कुछ भी कहने से वह बचते हुए नजर आए। आपको बता दें की कोर्ट के आदेश के अनुसार जिम्मेदार अधिकारी पर की गई कार्यवाही की रिपोर्ट भी पुलिस अधीक्षक को कोर्ट में पेश करनी है।
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SP हुए थे कोर्ट में हाजिर
जबलपुर के पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह को कोर्ट ने उपस्थित होकर इस लापरवाही का जवाब देने के लिए आदेशित किया था जिसके बाद पुलिस अधीक्षक के द्वारा विवेचना में की गई गलती को स्वीकारते हुए जिम्मेदार अधिकारी पर कार्यवाही का आश्वासन दिया था। कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक को आदेशित किया था की जिम्मेदार अधिकारी पर कार्यवाही करने के बाद इसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की जाए। कोर्ट के आदेश के चलते इस विवेचना के जिम्मेदार आधारताल के थाना प्रभारी विजय कुमार विश्वकर्मा पर कार्यवाही की गई है।
हत्या के आरोपी के जमानत मामले में सामने आई थी लापरवाही
प्रेम सागर निवासी अभिषेक भारती की हत्या उसके ही भाई विनोद भारती के द्वारा अनुकंपा नियुक्ति और मकान के लालच में कर दी गई थी इस हत्या को दुर्घटना का रूप देने के लिए अधारताल क्षेत्र में उसकी हत्या कर उसके शब्द के ऊपर स्कूटी गिरा दी थी। इस मामले में आरोपी विनोद भारती के द्वारा हाई कोर्ट की वेकेशनल बेंच में जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ में जमानत आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिसमें आवेदक पक्ष के वकील की ओर से यह तथ्य रखे गए थे कि पुलिस के द्वारा चलन में 161 के बयान ही नहीं लगाए गए हैं। इसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर गंभीरता जताते हुए पुलिस अधीक्षक को कार्यवाही के निर्देश दिए थे।