MP की 7 seat पर इन दलों ने बिगाड़ा BJP का गणित,निमाड़ की 3 सीटें शामिल

मध्यप्रदेश लोकसभा चुनाव में जहां-जहां बीजेपी मजबूत है वहां छोटे दलों से नुकसान सीधे बीजेपी को ही हो सकता है। ऐसी एक दो नहीं करीब सात सीटे हैं जहां छोटे दल बीजेपी को कुछ एक्स्ट्रा एफर्ट्स लगाने पर मजबूर कर रहे हैं। आइए जानते हैं कौन सी हैं ये सीटें...

Advertisment
author-image
Jitendra Shrivastava
New Update
News Strike

MP की 7 सीटों पर इन दलों ने बिगाड़ा BJP का गणित।

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

BHOPAL. आने वाले लोकसभा चुनाव में बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां भी सुभानअल्ला होने वाले हैं। अब आप पूछेंगे कि ये क्या चुनावी दिनों में मैं फिल्मी बातें लेकर बैठ गया हूं। तो बता दूं कि मैं कोई अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की बात नहीं कर रहा। बल्कि, मैं चुनावी मैदान के छोटे मियां और बड़े मियां का जिक्र कर रहा हूं। अब छोटों की फितरत तो होती ही है अपनी शरारत से बड़ों को परेशान करने की तो। इस चुनाव में भी छोटे मियां कुछ धमाका तो कर नहीं रहे, लेकिन चुनावी मैदान में आकर बड़े मियां की नाक में दम जरूर कर रहे हैं। 

छोटे मियां ने कुछ सीटों का समीकरण जरूर गड़बड़ा दिया

ये बड़े मियां और छोटे मियां फिल्मी नहीं है, लेकिन चुनावी बॉक्स ऑफिस पर दोनों हिट होने वाले हैं। ये बड़े मियां तो हैं कुछ बड़े और राष्ट्रीय दल। जैसे बीजेपी ( BJP ) और कांग्रेस फिलहाल वापस बड़ा कद हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन खेल से पूरी तरह बाहर नहीं है इसलिए उसे भी चुनावी खेल का बड़े मियां ही मानते हैं। छोटे मियां है वो क्षेत्रीय दल जो पहले विधानसभा चुनाव में बहुत उछल कूद करते रहे। हाथ तो कुछ लगा नहीं, लेकिन कुछ सीटों का समीकरण जरूर गड़बड़ करवा दिया। अब वही हाल लोकसभा चुनाव में भी होने जा रहा है। इस चुनाव में भी कुछ सीटों पर क्षेत्रीय दल या छोटे दल आगे आ गए हैं। विधानसभा चुनाव के हालात और समीकरण कुछ अलग होते हैं और वैसे भी क्षेत्रीय दल इतनी तादाद में और इतनी सक्रियता के साथ पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे थे। इसलिए वो किसे फायदा पहुंचाएंगे और किसे नुकसान इसका आकलन चुनावी नतीजों से ही हो सका, लेकिन लोकसभा में तो तस्वीर एकदम क्लियर है।

छोटे दल हार-जीत का फासला जरूर कम कर सकते हैं

मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 28 सीटों पर तो बीजेपी के ही खाते में है। इसमें भी कुछ सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी कई चुनावों से नहीं हारी हैं या यूं कहें कि वो बीजेपी की सेफ सीटें हैं। जिसे देखते हुए ये कहा जा सकता है कि जहां-जहां बीजेपी मजबूत है वहां ये छोटे दल आकर वोट काटते हैं तो उसका नुकसान सीधे-सीधे बीजेपी को ही हो सकता है। ऐसी एक दो नहीं करीब सात सीटे हैं ( 7 seat ) जहां छोटे दल बीजेपी को कुछ एक्स्ट्रा एफर्ट्स लगाने पर मजबूर कर रहे हैं। मैं ये नहीं कहता कि ये छोटे दल बीजेपी की हार का कारण बन सकते हैं या बीजेपी के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं। ये तो बात तो नामुमकिन ही है, लेकिन ये हार और जीत का फासला जरूर कम कर सकते हैं। कांग्रेस ने इस साल इसी उम्मीद के साथ धुरंधरों को चुनावी मैदान सौंपा है कि वो जीत नहीं भी सके तो कम से कम सीट दर सीट हार और जीत में वोटों का अंतर तो कुछ कम  करेंगे। ये काम करने में छोटे दल कांग्रेस के मददगार भी साबित हो सकते हैं।

तीन सीटों पर बीजेपी की उम्मीद से ज्यादा मेहनत

निमाड़ इलाके की ऐसी तीन सीटें हैं जहां बीजेपी को उम्मीद से ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है। इसकी वजह है इन सीटों पर जयस और भारतीय आदिवासी पार्टी यानी बाप के प्रत्याशी। ये तीन सीटे हैं धार, झाबुआ और रतलाम। धार और झाबुआ में जयस अपनी प्रेजेंस जताने में लगी हुई तो रतलाम की सैलाना सीट पर बाप पार्टी के कमलेश्वर डोडियार जीत दर्ज कर चुके हैं। एक नए विकल्प की एंट्री से बीजेपी के कान खड़े हो गए हैं। सैलाना सीट इस बात का संकेत दे रही है कि वहां लोग विकल्प चुन सकते हैं। इसलिए बीजेपी इन सीटों पर ज्यादा मेहनत करने पर मजबूर हो गई है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी बैठक में इन सीटों पर ज्यादा ध्यान देने के निर्देश दे चुके हैं। इन लोकसभा सीटों से मंत्री, चुनाव प्रभारी और पार्टी उम्मीदवारों से बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अलग से चर्चा भी की है। इस बैठक में उन दोनों सांसदों को भी बुलाया गया था, जिनका हाल ही में टिकट काटा गया है। नड्डा ने इन सीटों को लेकर इशारों में ये भी कहा है कि जहां हम कमजोर रहे, उसकी असली वजह पता होना चाहिए। इसके साथ ही इन सीटों के बूथों पर 16 घंटे का समय देने के निर्देश भी दिए हैं। 

इन सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी के सामने तीसरे दल चुनौती...

पहले चरण की चार सीटें छिंदवाड़ा, सीधी, मंडला और बालाघाट भी बीजेपी की नींद उड़ा रहे हैं। इन सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों दलों के सामने तीसरे दलों की चुनौती बनी हुई है। इन सीटों पर अगर तीसरे दलों ने जरा से भी ज्यादा ताकत दिखा दी तो हार जीत का गणित गड़बड़ाते देर नहीं लगेगी। कांग्रेस को अगर घाटा हुआ तो भी वो कुछ खोने की स्थिति में नहीं है, लेकिन बीजेपी के लिए हर बात साख का सवाल है। फिर चाहें वो सीट पर हार जीत हो, वोट या वोट प्रतिशत घटना ही क्यों न हो। इसकी एक वजह ये भी है कि जहां पर बीते चुनाव में भी तीसरी ताकत अपना प्रभाव दिखा चुकी है। हालांकि, तब फायदा बीजेपी को ही मिला था। इसकी वजह रही थी प्रदेश में मोदी की लहर होना।

1. छिंदवाड़ा 

छिंदवाड़ा ऐसी सीट है जहां पर मोदी की सुनामी भी बीते चुनाव में नाकाम साबित हुई थी। तब बीजेपी प्रत्याशी नत्थन शाह कवरेती की हार में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी ने अहम भूमिका निभाई थी। दरअसल कवरेती आदिवासी समाज से आते हैं तो गोंडवाना पार्टी के प्रत्याशी मनमोहन शाह बट्टी भी इसी वर्ग से आते हैं, उनकी वजह से ही 37 हजार मतों से हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी गोंगपा ने देवीराम भलावी को प्रत्याशी बनाया है। भलावी अमरवाड़ा से पिछला विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। भलावी को विस चुनाव में 18 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। यह क्षेत्र गोंगपा का प्रभाव वाला है। ऐसे में भलावी इस बार किसे नुकसान पहुंचाएंगे, इसके गुणा-भाग में बीजेपी और कांग्रेस दोनों उलझे हुए हैं।

2.मंडला

मंडला में भी गोंगपा की मौजूदगी दोनों दलों को खटक रही है। बीजेपी ने यहां से मौजूदा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते पर फिर से तब दांव लगाया है, जबकि वो तीन माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। अब वो फिर दम-खम से मैदान में हैं। उनके सामने कांग्रेस ने पूर्व मंत्री और विधायक ओंकार सिंह मरकाम को उतारा है। आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर गोंगपा ने महेश कुमार बट्टी को टिकट दिया है। महेश बट्टी आदिवासी समाज का जाना पहचाना चेहरा है। वो गोंडी साहित्यकार भी हैं और शंकर शाह, रघुनाथ शाह के चरित्र पर बनी लघु फिल्मों में काम भी कर चुके हैं। सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए महेश ने मुकाबले को त्रिकोणीय कर दिया है।

3.सीधी

सीधी में बीजेपी ने डॉक्टर राजेश मिश्रा को टिकट दिया है। यहां पर बीजेपी के ही पूर्व राज्यसभा सदस्य अजय सिंह बागी होकर गोंगपा से मैदान में उतर गए हैं। उनकी वजह से बीजेपी के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। इस सीट पर 32 फीसदी आदिवासी मतदाता है, इसके साथ ही 11 प्रतिशत दलित है। ओबीसी पटेल की भी संख्या खासी है, इसके बाद ठाकुर मतदाता है। अजय प्रताप ठाकुर और आदिवासी मतों के सहारे ही चुनाव मैदान में उतरे है। उनको मिलने वाले वोट बीजेपी के ही खाते से कटने की संभावना है।

4.बालाघाट

बालाघाट में बीजेपी ने मौजूदा सांसद की जगह भारती पारधी पर दांव लगाया है। भारती अभी पार्षद हैं। वे पिछड़ा वर्ग, बिसेन समाज से आती है। वहीं कांग्रेस ने सम्राट सरस्वार को टिकट दिया है। सम्राट राजपूत वर्ग से आते हैं। दोनों ही प्रत्याशी यहां से पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरकर कंकर मुंजारे ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। मुंजारे पहले भी एक बार सांसद और दो बार विधायक रह चुके है। उनकी पत्नी अनुभा मुंजारे कांग्रेस से विधायक हैं। मुंजारे पिछली बार भी बसपा से चुनाव लड़े थे। उन्होंने पिछली बार 85 हजार 177 मत हासिल किए थे। तब बीजेपी को फायदा हुआ था और कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था।

कुछ समय पहले तक लग रहा था कि प्रदेश की लोकसभा सीटों से कांग्रेस गायब ही हो जाएगी, लेकिन कांग्रेस के कैंडिडेट सिलेक्शन ने फिर कुछ सीटों पर मुकाबले को ट्विस्ट दे दिया है। अब तीसरे दलों की मौजूदगी भी चुनावी अखाड़े के दांव पेंचों को दिलचस्प बना रही है।

BJP 7 seat