नफीस खान@सीहोर
MP News: सीहोर जिले के इछावर और बुधनी विधानसभा क्षेत्र में प्रस्तावित सरदार वल्लभ भाई पटेल अभ्यारण्य का क्षेत्र के आदिवासी विरोध कर रहे हैं। वन भूमि बेदखली के विरोध में हजारों की संख्या में आदिवासी शनिवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे। जहां कलेक्ट्रेट का घेराव कर प्रदर्शन किया और सड़क को जाम कर दिया। इस दौरान कलेक्ट्रेट में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान दिशा की बैठक ले रहे थे।
बैठक छोड़कर वे प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और मंच से उनकी मांगों का ज्ञापन लिया। शिवराज सिंह ने कहा कि किसी का हक नहीं छिनने दिया जाएगा, मैं तुम्हारे साथ हूं। मैं आपके प्रतिनिधि मंडल के साथ मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलेंगे और उन्हें बताएंगे कि हमें कोई अभ्यारण की जरूरत नहीं हैं।
आदिवासियों को किया समझाने का प्रयास
इस दौरान, केन्द्रीय कृषि मंत्री चौहान ने कलेक्टर का घेराव करने पहुंचे ग्रामीणों से कहा, 'नए कब्जे की बात हम नहीं कर रहे हैं, लेकिन पुरानी जमीन हमारी है और वह हमारी ही रहेगी। अब इसलिए कोई इस तरह का प्रयास न करें। अभ्यारण के संबंध में बैठके हैं, उसमें सर्व सम्मति से प्रस्ताव करेंगे। पारित किया जाएगा कि हमें इछावर बुधनी में अभ्यारण की कोई जरूरत नहीं है।
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क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि बुधनी-इछावर विधानसभा से हजारों की संख्या में पहुंचे आदिवासियों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर प्रदर्शन किया। इस बीच, दिशा की बैठक छोड़कर केन्द्रीय कृषि मंत्री उनके बीच पहुंचे, जहां आदिवासियों ने उनसे कहा कि हम सभी आदिवासी समाज के लोग, हमारे जनजाति समाज के लगभग 200 गांव में दो लाख जनसंख्या निवास करती हैं।
पूरा समाज वनपरिक्षेत्र में रहकर वन भूमि पर कृषि काम कर अपना जीवन यापन करते हैं और वन भूमि पर वर्षों से खेती की जाती रही है। कुछ किसानों को आपके द्वारा वन अधिकार पत्र बना दिए गए हैं और शेष बचे हमारे जनजाति आदिवासी के वन अधिकार नहीं बन पाए हैं। इससे आए दिन वन विभाग एवं वन विकास निगम द्वारा 25 से 30 वर्ष पुरानी कृषि भूमि पर नया अतिक्रमण बताकर कार्रवाई की जा रही है
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क्या है आदिवासियों की मांग
आदिवासियों की मांग है कि 19 मई के पत्र में वन परिक्षेत्र इछावर एवं लाड़कुई में आरक्षित वनों को सरदार बल्लभ भाई पटेल अभ्यारण बनाने का प्रस्ताव अधिसूचित किया है। वह तत्काल प्रभार से शासन स्तर पर लिखित में निरस्त किया जाए।
वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत सीहोर जिले के जितने भी वन मित्र पोर्टल पर आवेदन किए गए है, जल्द ही उनका निराकरण कर उनका अधिकार पत्र बनाया जाए। वन विभाग और वन विकास निगम द्वारा आए दिन हमारी कृषि भूमि को अतिक्रमण में बताया जाता है, जिसे तुरंत बंद किया जाए।
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