सीएम मोहन यादव के उज्जैन में PM मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट ईएनसी की मनमानी की भेंट चढ़ा

जल जीवन मिशन में काम करने के लिए पीएचई ने खर्च की सीमा बढ़ाने के लिए विभाग के प्रमुख अभियंता (ईएनसी) केके सोनगरिया (KK Sonagariya) को सात बार पत्र लिखा है, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान ही नहीं दिया ।

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Ravi Kant Dixit
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सीएम मोहन यादव के उज्जैन में PM मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट ईएनसी की मनमानी की भेंट चढ़ा
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मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन को लेकर अफसरशाही बेलगाम है। आप इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगा सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi ) के ड्रीम प्रोजेक्ट में भी लापरवाही बरती जा रही है। अधीनस्थ अधिकारी चिट्ठी ​पर चिट्ठी लिख रहे हैं, लेकिन मजाल है कि बड़े अधिकारियों के कान पर जू तक रेंग जाए। 

मामला जल जीवन मिशन से जुड़ा है। इस​ मिशन में काम करने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग यानी पीएचई ने खर्च की सीमा बढ़ाने के लिए विभाग के प्रमुख अभियंता (ईएनसी) केके सोनगरिया (KK Sonagariya) को सात बार पत्र लिखा है, लेकिन उनकी ओर से इस पर ध्यान ही नहीं दिया गया। परिणाम यह है कि उज्जैन अंचल में जल जीवन मिशन से जुड़े काम प्रभावित हो रहे हैं। इसके इतर मिशन का टारगेट भी नहीं बढ़ाया जा रहा है। पूरे मामले में ईएनसी सोनगरिया का पक्ष जानने के लिए 'द सूत्र' ने उन्हें फोन किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। बाद में मैसेज भी किया गया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया। 

पूरी कहानी समझिए इन पत्रों से 

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी उज्जैन खंड के कार्यपालन यंत्री यानी ईई की ओर से सबसे पहले 1 अप्रैल 2024 को प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया को पहली चिट्ठी लिखी गई। इसमें ईई ने काम के लिए खर्च की सीमा बढ़ाने की मांग की। इसके बाद 15 मई, 7 जून, 18 जून, 12 जुलाई और 24 जुलाई को पत्राचार किया गया। इसके बाद सभी पत्रों की तारीखों को मेंशन करते हुए ईई ने 7 अगस्त को भी एक चिट्ठी लिखी है। 

आखिरी चिट्ठी में क्या लिखा...?

प्रति,
प्रमुख ​अभियंता
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग
उपरोक्त विषयांतर्गत निवेदन है कर लेख है कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रगतिरत योजनाओं के लम्बित देयकों के भुगतान हेतु संदर्भित पत्रों के द्वारा समय-समय पर आवंटन का मांग पत्र प्रेषित किया गया था, लेकिन मांग पत्रों के अनुसार आवंटन राशि उपलब्ध नहीं होने से कार्यरत कार्य एजेंसी के द्वारा कार्य अत्यंत धीमी गति से किया जा रहा है, जिस कारण प्रगतिरत योजनाओं का कार्य प्रभावित हुआ है।

उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिला माननीय मुख्यमंत्री जी का गृह जिला एवं उज्जैन दक्षिण विधानसभा के कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही क्षेत्र के संबंधित जनप्रतिनिधियों माननीय विधायक महोदय एवं जिला पंचायत के सदस्यों द्वारा कार्य की समूचित प्रगति प्राप्त नहीं होने पर असंतोष व्यक्त किया जा रहा है, जिससे की छवि धूमिल हो रही है।

अतः अनुरोध है कि जल जीवन मिशन अंतर्गत एम.पी.317 में शीघ्र आवंटन उपलब्ध कराने का कष्ट करें, ताकि कार्यो का भुगतान किया जाकर योजनाओं के कार्यों में प्रगति प्राप्त की जा सके।

लापरवाही की वजह से काम अटके

सोनगरिया की ओर से ईई की मांग पर कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से जल जीवन मिशन के काम अटक गए हैं। ठेकेदार को राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है। नतीजतन, कहीं काम ठप पड़ा है तो कहीं काम की रफ्तार धीमी है। वहीं, बजट की कमी से स्थानीय स्तर पर योजना का दायरा भी नहीं बढ़ पा रहा है। जनप्रतिनिधि ​दबाव बना रहे हैं। 

क्या हो यदि सोनगरिया ध्यान दें तो...

राशि का आवंटन करने का कोई रॉकेट साइंस भी नहीं है। प्रमुख अभियंता यानी ईएनसी यदि ईई के पत्रों पर गौर कर कार्रवाई कर ओके रिपोर्ट दें तो बजट आवंटन हो जाएगा। संयुक्त संचालक वित्त की अनुशंसा पर उज्जैन जिले को जल जीवन मिशन के लिए राशि मिल जाएगी, लेकिन सोनगरिया की मनमानी से काम अटके पड़े हैं। 

उज्जैन को लेकर ही लापररवाही 

चूंकि सीएम डॉ.मोहन यादव स्वयं उज्जैन जिले से आते हैं। समझा जा सकता है कि यदि उनके जिले के कामों को लेकर अफसरशाही का ऐसा हाल है तो बाकी जिलों का क्या होगा? इसके उलट यदि मंडला जिले को देखें तो वहां टारगेट 100 फीसदी कर दिया गया है। वहीं, मंडला और देवास में भी आवंटन कर दिया गया है। सिर्फ उज्जैन को लेकर लापरवाही बरती जा रही है।  

शिवराज ने हटा ​दिया था सोनगरिया को 

केके सोनगरिया पीएचई के प्रमुख अभियंता हैं। ये अप्रैल 2024 में रिटायर्ड हो चुके हैं, लेकिन संविदा आधार पर इन्हें एक्सटेंशन दिया गया है। सोनगरिया हमेशा किसी न किसी बात को लेकर चर्चा में बने रहते हैं। दिसंबर 2022 में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जब जल जीवन मिशन की समीक्षा की थी, तब उन्होंने सोनगरिया पर नाराजगी जताते हुए उन्हें हटा दिया था।

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