विधानसभा चुनाव 2008 के समय खास तौर पर आईपीएस संजीव शमी ( IPS Sanjeev Shami ) को इंदौर पुलिस की कमान दी गई थी। उनके छोटे से कार्यकाल में कानून का डंडा जमकर चला और इसमें कई बीजेपी नेता लपेटे में आए। इस दौरान बीजेपी नेताओं, जिसमें तब के कई पार्षद शामिल थे, उन्होंने बिना मंजूरी ही आंदोलन कर डाला और बदले में शमी ने एक-दो नहीं पूरे 265 बीजेपी नेताओं पर ही केस कर दिया। इसमें अब 72 नेताओं को 16 साल बाद राहत मिली है।
यह था केस
विधानसभा चुनाव 2008 के समय विधानसभा दो में बीजेपी नेताओं ने पुलिस पर मनमर्जी कानून चलाने के आरोप लगाए, फिर शांति मार्च का आह्वान किया गया। इसे पुलिस ने मंजूरी नहीं दी। मालवा मिल क्षेत्र में यह बिना मंजूरी निकाला गया और एसपी शमी के खिलाफ नारे लगाए। पुलिस ने लाठीचार्ज कर आंदोलन तितर-बितर किया और फिर इसमें शामिल सभी नेताओं की लिस्ट बनाकर बलवा, शासकीय काम में बाधा, आचार संहिता उल्लंघन इन सभी धाराओं में केस दर्ज कर दिया।
यह सभी नेता बने आरोपी
इसमें वर्तमान एमआईसी मेंबर राजेंद्र राठौर, पूर्व पार्षद चंदू शिंदे, कल्याण देवांग के साथ ही पूजा पाटीदार, हरिशंकर पटेल, मांगीलाल रेडवाल, हरिनारायण यादव, सूरज कैरो आदि कई नेता शामिल थे। लंबे चले इस केस में फरियादी की ओर से अभी तक अधिवक्ता संदीप चौधरी, उमेश यादव, राजेंद्र शर्मा, श्रीराम भदौरिया पैरवी कर रहे थे।
अभी 72 ही हुए बरी
हालांकि इस केस से अभी केवल 72 नेता ही बरी हुए हैं। इन्हें कोर्ट ने इसलिए बरी किया, क्योंकि यह हर पेशी में मौजूद रहे। बाकी नेता कभी-कभार ही कोर्ट में मौजूद रहे। इसके चलते इन नेताओं को ही अभी बरी किया है, बाकी पर केस चलता रहेगा।
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