मध्य प्रदेश का 6 सीटों पर वोटिंग आज, कौन कितने पानी में, क्या-क्या हैं मुद्दे, यहां जानिए सबकुछ

BJP को मोदी और मंदिर से आस है तो कांग्रेस महंगाई के भरोसे। छिंदवाड़ा सीट बीजेपी के लिए साख का सवाल बनी हुई है। मंडला में दोनों पार्टियों के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। कांग्रेस 4 सीटों पर कमजोर... और क्या है खास...!

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Rahul Garhwal
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Voting on 6 Lok Sabha seats of Madhya Pradesh on April 19
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रविकांत दीक्षित, BHOPAL. पार्टियों का प्रचार धुआंधार। नेताओं के दौरे ताबड़तोड़। अब बारी आ गई है वोटर्स की। जी हां, मध्यप्रदेश की 6 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा। कुल 29 सीटों में से पहले चरण में 6 सीटें छिंदवाड़ा, मंडला, बालाघाट, सीधी, शहडोल और जबलपुर में वोटिंग होगी। 'द सूत्र' अपने पाठकों के लिए लेकर आया है इन सीटों का पूरा विश्लेषण। किस पार्टी ने कितनी ताकत झोंकी? जातिगत समीकरण क्या कहते हैं? मुद्दे क्या हैं? कहां, किसका पलड़ा भारी है? पढ़िए पहले चरण की इन 6 सीटों का पूरा लेखा-जोखा...

छिंदवाड़ा सीट : बीजेपी-कांग्रेस में सीधी टक्कर

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बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए छिंदवाड़ा सीट साख का सवाल है। कांग्रेस के सामने यहां अपना किला बचाने की चुनौती है। बीजेपी जीत दर्ज करके अपना सूखा खत्म करने की तलाश में है। छिंदवाड़ा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र और मौजूदा सांसद नकुल नाथ कांग्रेस से ताल ठोक रहे हैं। बीजेपी ने विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की 75 फीसदी आबादी गांवों में निवास करती है। यहां आदिवासियों के वोट निर्णायक होते हैं। 

BJP : शाह का रोड शो, सीएम 10 दिन रहे

इस सीट को ​जीतने के लिए बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी ने ताकत झोंक दी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छिंदवाड़ा में रोड शो किया। सीएम डॉ. मोहन यादव 10 दिन रहे। दो रात उन्होंने छिंदवाड़ा में ही गुजारीं। कैलाश विजयवर्गीय शुरुआत से डेरा डाले हुए हैं। बीजेपी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कमलनाथ के विश्वास पात्र रहे दीपक सक्सेना, महापौर विक्रम अहाके और विधायक शाह को अपने पाले में कर रणनीतिक तौर पर कांग्रेस को कमजोर किया है।  

Congress : क्या काम आएंगे पुराने संबंध?

1997 के उपचुनाव को दिया छोड़ दिया जाए तो 44 साल में कांग्रेस छिंदवाड़ा सीट कभी नहीं हारी। कमलनाथ जनता के बीच अपने काम का हवाला दे रहे हैं। वे बता रहे हैं कि चार दशक में उन्होंने कैसे जनता की सेवा की है। दूसरा, छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में कुल 1934 बूथ हैं, इनमें से 497 बूथ ऐसे हैं, जहां पिछले पांच चुनाव में कांग्रेस कभी नहीं हारी है। कांग्रेस में पक्ष में एक बात ये भी जाती है कि विधानसभा चुनाव में यहां पार्टी ने सभी 8 सीटें जीती थी। 

मंडला : बीजेपी के खिलाफ नाराजगी की खबरें

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मंडला सीट पर सांसद और विधायक के बीच सीधी टक्कर है। यानी बीजेपी ने मौजूदा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को टिकट दिया है। कांग्रेस ने डिंडोरी विधायक ओमकार सिंह मरकाम को मैदान में उतारा है। इस सीट पर सबसे ज्यादा संख्या गोंड आदिवासियों की है। लोकसभा की 8 में से 5 सीटें कांग्रेस के पास हैं। बीजेपी के लिए चिंता की बात ये भी है कि यहां फग्गन सिंह विधानसभा चुनाव हार गए थे।  

BJP : कुलस्ते के खिलाफ नाराजगी, राम मंदिर पर भरोसा

मंडला आदिवासी बहुल सीट है। यहां से बीजेपी प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते 6 बार के सांसद हैं। हालांकि कुलस्ते नवम्बर 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में निवास विधानसभा सीट से हार गए थे। उनके खिलाफ जनता में नाराजगी देखने को मिल रही है। इसके उलट कुलस्ते को पीएम मोदी और राम मंदिर फैक्टर पर भरोसा है। अब ये भरोसा वोट में किस तरह से कन्वर्ट होता है, ये परिणाम ही बताएंगे। 

Congress : कुलस्ते के विरोध का कांग्रेस को कितना लाभ?

कांग्रेस विधायक और मंडला से लोकसभा उम्मीदवार ओमकार सिंह मरकाम ने पूरी ताकत झोंक दी है। जमीनी रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में निवास विधानसभा क्षेत्र के बीजाडांडी, नारायण गंज और बकोरी में कांग्रेस फिलहाल बीजेपी से आगे दिखाई पड़ती है। बसनिया बांध के डूब क्षेत्र में आने वाले मंडला और डिंडोरी के 13 गांव के लोग कुलस्ते का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में ये फैक्टर भी कांग्रेस के पक्ष में जाता दिखाई पड़ रहा है। 

बालाघाट : बसपा बिगाड़ेगी बीजेपी-कांग्रेस का गणित

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बालाघाट लोकसभा क्षेत्र इन दिनों कुछ अलग ही वजह से देशभर में लोकप्रिय है। दरअसल, यहां से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कंकर मुंजारे और उनकी पत्नी कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे के बीच विचारधारा की लड़ाई चल रही है। अनुभा कांग्रेस का प्रचार कर रही हैं। ऐसे में कंकर ने घर छोड़ दिया है। वे टपरे में रहकर चुनाव लड़ रहे हैं। अंबेडकर जयंती के दिन कंकर मुंजारे ने बड़ी रैली कर बीजेपी-कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है। यानी वे सीधे तौर पर दोनों पार्टियों के टिकट काटेंगे। बालाघाट लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी और 4 पर कांग्रेस का कब्जा है। 

BJP : पंवार वोटर्स क्या जाएंगे पारधी के साथ?

बीजेपी ने बालाघाट में भारती पारधी को टिकट दिया है। पार्टी के बड़े नेता लगातार उनके पक्ष में सभाएं कर रहे हैं। पिछले दिनों मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने यहां कार्यकर्ताओं में जोश भरा था। दूसरा, स्थानीय बीजेपी नेता यहां एकजुट नजर आ रहे हैं। इन फैक्टर्स का भारती को फायदा मिल सकता है। वहीं, भारती को करीब 24 फीसदी पंवार वोटों का लाभ भी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। 

Congress : आदिवासियों के बीच सक्रिय हैं सरसवार

बालाघाट सीट पर कांग्रेस ने जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सरसवार को टिकट दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी इस सीट पर तीन दौरे कर चुके हैं, लेकिन बीजेपी की तैयारी के आगे ये कुछ कम हैं। इस सीट पर करीब 22 प्रतिशत आदिवासी वोटर्स हैं। सरसवार इनके बीच सक्रिय हैं, ऐसे में उन्हें आदिवासी वोटों का लाभ मिल सकता है।

जबलपुर : मोदी-नड्डा का दौरा, आरएसएस भी सक्रिय

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संस्कारधानी जबलपुर का सियासी मिजाज कुछ अलग ही है। यहां सात बार से बीजेपी उम्मीदवार जीतते आ रहे हैं। इस सीट पर जीत के लिए बीजेपी पूरी ताकत लगा चुकी है। मोदी और नड्डा यहां का दौरा कर चुके हैं। सीएम मोहन यादव और बीजेपी के बाकी नेता भी सक्रिय रहे। ऐसे में कांग्रेस क्या यहां अपना झंडा लगा पाएगी, ये तो परिणाम ही बताएंगे। फिलवक्त तो जबलपुर लोकसभा क्षेत्र की 8 में से 7 सीटों पर बीजेपी काबिज है। 

BJP : क्या आठवीं बार जीतेगी पार्टी?

जबलपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने आशीष दुबे को अपना उम्मीदवार बनाया है। आशीष ढाई दशक से सक्रिय हैं। उन्हें पार्टी की परंपरागत सीट होने का फायदा मिल सकता है। दूसरा, मोदी लहर की भी उन्हें उम्मीद है। भाजपा शक्ति केंद्र के साथ बूथ तक की रणनीति भी कांग्रेस की तुलना में थोड़ी मजबूत नजर आती है। वहीं, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी यहां सक्रिय भूमिका निभा रहा है। 

Congress : ओबीसी वोटर्स से बंधी आस

कांग्रेस ने दिनेश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। प्रचार में उन्होंने खूब जोर लगाया है। उन्होंने लोगों से घर-घर जाकर वोट के साथ नोट भी मांगे। इसमें दावा किया कि पार्टी के पास फंड की कमी है। उनका ये सियासी नवाचार खूब चर्चा में आया था। दिनेश ग्रामीण जिला अध्यक्ष रहे हैं। महापौर का चुनाव भी लड़ चुके हैं। उन्हें ओबीसी वोटर्स से आस बंधी हुई है। 

सीधी : नया चेहरा बनाम पुराना चेहरा

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सीधी की सांसद रीति पाठक अब विधायक हैं। वे दो बार यहां से सांसद चुनी गईं थी। अब बीजेपी ने इस सीट पर डॉ. राजेश मिश्रा को टिकट दिया है। राजेश नया चेहरा हैं। उनके सामने कांग्रेस के बड़े नेता कमलेश्वर पटेल ताल ठोक रहे हैं। सीधी की लड़ाई को गोंगपा से चुनाव लड़ रहे पूर्व राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह ने रोचक बना दिया है। अजय प्रताप बीजेपी से नाराज होकर गोंगपा की तरफ से लड़ रहे हैं।  

BJP : ब्राह्मण के टिकट पर नया ब्राह्मण चेहरा

बीजेपी ने नए चेहरे डॉ. राजेश मिश्रा को टिकट दिया है। इस सीट पर जातिगत समीकरण बड़े अहम होते हैं। लिहाजा, बीजेपी ने ब्राह्मण नेता का टिकट दूसरे ब्राह्मण नेता को ही उतारा है। हालांकि ये जरूर है कि सीधी लोकसभा क्षेत्र की 8 विधानसभा सीटों में से 7 बीजेपी के पास हैं। इस लिहाज से ये फैक्टर जरूर बीजेपी के साथ जाता है, लेकिन क्या विधानसभा चुनाव का असर, लोकसभा चुनाव में दिखेगा, ये तो परिणाम ही बताएंगे। फिलहाल राजेश मिश्रा को मोदी लहर और राम मंदिर पर भरोसा है। 

Congress : क्या कमलेश्वर के साथ जाएंगे ओबीसी वोटर्स

सीधी में कांग्रेस ने कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे कमलेश्वर पटेल को टिकट दिया है। इस बार बीजेपी से राज्यसभा सांसद रहे अजय प्रताप सिंह गोंगपा से ताल ठोक रहे हैं। इस फैक्टर से कांग्रेस को उम्मीद है कि अजय उसकी जीत में मददगार साबित हो सकते हैं। यहां चुनाव ओबीसी बनाम ब्राह्मण भी हो गया है। दरअसल, सीधी में बड़ी संख्या में ओबीसी वोटर भी हैं। ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि कमलेश्वर को ओबीसी का साथ मिलेगा।

शहडोल : यहां भी सांसद और विधायक में सियासी जंग

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शहडोल में सियासी मुकाबला सांसद और विधायक के बीच है। बीजेपी ने अपनी मौजूदा सांसद हिमाद्री सिंह को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने विधायक फुंदेलाल मार्को को उतारा है। इस सीट पर आदिवासी वर्ग की सबसे ज्यादा संख्या है। इस चुनाव में आदिवासी वर्ग बीजेपी से नाराज है।  

BJP : कोर भाजपाई और आरएसएस की सक्रियता

शहडोल में बीजेपी ने सांसद रह चुकीं हिमाद्री सिंह को दोबारा मौका दिया है। वे राजघराने से आती हैं। लिहाजा, कांग्रेस इसी मुद्दे को भुनाना चाहती है कि हिमाद्री क्षेत्र में जनता के बीच नहीं पहुंचती हैं। इस सीट को साधने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पकरिया गांव में आदिवासियों से संवाद कर चुके हैं। बीजेपी की कोर टीम और आरएसएस भी यहां सक्रिय है। बीजेपी के लिए अच्छा संकेत ये है कि लोकसभा क्षेत्र की 8 में से 7 विधानसभा सीटें बीजेपी के पास हैं।

Congress : हिमाद्री की निष्क्रियता का मुद्दा भुनाने की कोशिश

कांग्रेस ने पुष्पराजगढ़ से तीन बार के विधायक फुंदेलाल मार्को को टिकट दिया है। उन्हें उम्मीद है कि सांसद की निष्क्रियता का मुद्दा जनता के बीच असर कर जाएगा। राहुल गांधी इस सीट पर सभा करके कांग्रेस के पक्ष में वोट मांग चुके हैं। शहडोल आदिवासी बहुल क्षेत्र है और मार्को उनके बीच भी सक्रिय हैं। जीत किसकी होगी, कौन हारेगा...ये तो परिणाम ही बताएंगे।

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पड़ताल का निचोड़ ये निकला

द सूत्र की पड़ताल में पहले चरण वाली सभी 6 सीटों पर दो कॉमन तथ्य जरूर निकलकर सामने आए। जैसे, राम मंदिर के मुद्दे पर लोग बीजेपी के साथ खड़े नजर आते हैं, लेकिन महंगाई की बात करते ही वोटर्स भड़क जाते हैं। दूसरा बीजेपी प्रत्याशी भी मोदी की लहर पर सवार हैं। कांग्रेस उम्मीदवार महंगाई के मसले पर चुनाव लड़ रहे हैं।

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