/sootr/media/media_files/2025/05/19/9QbeS0DHVFmQg3n1WtSJ.jpg)
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ ने डॉ. सुधीर शर्मा के खिलाफ व्यापमंं (Vyapam) मामलों में दर्ज चारों FIR (एफआईआर) और चार्जशीट को क्वैश करने का बड़ा फैसला सुनाया है। डॉ शर्मा क्रिस्प के पूर्व चेयरमैन और संघ व विद्यार्थी परिषद जैसे संगठनों में विभिन्न शिक्षा संबंधी दायित्व निभा चुके हैं।
मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने सुनाया फैसला
यह अहम निर्णय एमपी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने सुनाया। इस मामले में डॉ. सुधीर शर्मा की तरफ से एडवोकेट कपिल शर्मा ने पैरवी की, जिनकी दलीलों को कोर्ट ने मंजूर किया। इस फैसले से डॉ. सुधीर शर्मा के खिलाफ व्यापमंं मामले में आरोपों की जांच और मुकदमेबाजी पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
व्यापमंं घोटाले से एमपी में मचा था बवाल
अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि कोर्ट ने किन आधारों पर FIR और चार्जशीट को क्वैश किया है, लेकिन यह फैसला उनके लिए राहत की खबर माना जा रहा है। व्यापमंं मामले ने मध्य प्रदेश में काफी राजनीतिक और सामाजिक हलचल मचाई थी, जिसमें कई अधिकारियों और शिक्षाविदों पर घोटाले के आरोप लगे थे। ऐसे में उच्च न्यायालय का यह निर्णय चर्चा का विषय बना हुआ है।
अदालती भाषा में क्या होता है क्वैश
क्वैशिंग का मतलब होता है किसी आपराधिक मामले को अदालत द्वारा ट्रायल या अंतिम फैसला सुनाए जाने से पहले ही समाप्त कर देना। जब किसी व्यक्ति के खिलाफ पुलिस या किसी अन्य द्वारा अदालत में आपराधिक मामला दर्ज कराया जाता है, तो उस शिकायतकर्ता को यह सिद्ध करना होता है कि आरोपी ने वास्तव में अपराध किया है।
वहीं, आरोपी को भी ट्रायल कोर्ट में खुद को निर्दोष साबित करने का अवसर दिया जाता है। लेकिन यदि अदालत को लगता है कि मामला प्रथम दृष्टया झूठा, दुर्भावनापूर्ण या कानूनन टिकाऊ नहीं है, तो वह उस केस को ट्रायल से पहले ही खत्म कर सकती है – इसी प्रक्रिया को क्वैशिंग कहा जाता है।
मामले की मुख्य बातें
व्यापमंं घोटाला: मध्य प्रदेश का एक प्रमुख घोटाला, जिसमें भर्ती प्रक्रिया में धांधली और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।
डॉ. सुधीर शर्मा: इस मामले में आरोपी, जिनके खिलाफ चार एफआईआर दर्ज की गई थीं।
क्या था व्यापमंं स्कैम
2013 में मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। इस घोटाले में व्यापमं द्वारा आयोजित परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर धांधली की गई, जिसमें अभ्यर्थियों की जगह दूसरे लोगों को बिठाना और नकल कराना शामिल था। इस मामले में अब तक 125 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
जांच के दौरान कई जांचकर्ता और आरोपी संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए। जांच में पता चला कि इस घोटाले के तार मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड और आंध्र प्रदेश जैसे कई राज्यों से थे।
सुधीर शर्मा का व्यापमंं से कनेक्शन क्या था
सुधीर शर्मा एक समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्कूल और विदिशा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षक थे, लेकिन 2006 में उन्होंने खनन व्यवसाय में किस्मत आजमाने के लिए नौकरी छोड़ दी। यह फैसला उनके लिए बेहद लाभदायक साबित हुआ और बाद में उन्होंने वीएनएस ग्रुप नामक कॉलेजों का एक समूह अपने अधीन ले लिया, जो इंजीनियरिंग और शैक्षणिक शिक्षा प्रदान करता था। वर्ष 2010 में उन्हें भाजपा की मध्य प्रदेश एजुकेशन सेल का प्रमुख बनाया गया।
यह भी पढ़ें...नर्सिंग स्कैम पर HC का सख्त रुख, छात्रों के भविष्य को लेकर जताई चिंता, दिया ये आदेश
2012 में व्यापमंं परीक्षा घोटाले में नाम जुड़ने के बाद वे विवादों में आए, जहां उनकी सिफारिश पर पंकज त्रिवेदी को परीक्षा नियंत्रक नियुक्त किया गया, जिससे परीक्षा गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार की जड़ मजबूत हुई। 2013 में उनके ठिकानों पर सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोपों में छापे पड़े थे, वहीं 2010 से 2013 के बीच उन्होंने भाजपा और संघ के शीर्ष नेताओं की यात्रा व टिकट खर्च भी वहन किए थे। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। अब कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज हुईं FIR और चार्जशीट क्वैश किया है।
thesootr links
mp vyapam | MP Vyapam Scam | पुलिस भर्ती घोटाला