ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट में रोज हो रही 300 से ज्यादा कोचों की धुलाई, जानें यह प्लांट कैसे करता है पर्यावरण का सुरक्षा

पश्चिम मध्य रेलवे में अत्याधुनिक सुविधाओं में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। अब जबलपुर, रानी कमलापति एवं कोटा के स्टेशनों के कोचिंग डिपो में रेल कोच की बाहरी धुलाई के लिए ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट स्थापित किया गया है।

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Vikram Jain
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BHOPAL. भारतीय रेलवे का ट्रेनों की धुलाई करने वाला ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट इन दिनों चर्चा में है। हो भी क्यूं न, क्योंकि इसकी खासियतें इसे अलग बनाती हैं। इस प्लांट की मदद से मानवश्रम को काफी हद तक तो कम किया ही जा सकता है। बल्कि पर्यावरण का संरक्षण के लिए भी यह काफी महत्वपूर्ण है।  

पश्चिम मध्य रेल प्राइमरी मेंटेनेंस के लिए पर्यावरण संरक्षण के हिसाब से आधुनिक मशीनों के इस्तेमाल में हमेशा आगे रहा है। पश्चिम मध्य रेल द्वारा अत्याधुनिक सुविधाओं को बढ़ावा देते हुए लाभदायक कदम उठाये जा रहे हैं। इस क्रम में पश्चिम मध्य रेल पर जबलपुर, रानी कमलापति एवं कोटा के स्टेशनों के कोचिंग डिपो में प्राथमिक रखरखाव के दौरान कोचों की बाहरी धुलाई के लिए "ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट" स्थापित किया गया है। इस प्लांट से रेलवे को कई फायदे भी है इसमें मैन पॉवर टाइम और पानी की बचत प्रमुख है।  

हर दिन लगभग 333 कोचों की धुलाई

इस ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट से जबलपुर में 186 कोचों, रानी कमलापति में 50 कोचों और कोटा में 97 कोचों सहित पश्चिम मध्य रेलवे के तीनों कोचिंग डिपो में हर दिन लगभग 333 कोचों की बाहरी धुलाई की जा रही है। इन संयंत्रों में पानी की औसत खपत लगभग 65 लीटर/कोच, बिजली की खपत लगभग 1.33 यूनिट/कोच और रासायनिक खपत 150 मिली/कोच है।

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बहुस्तरीय बाहरी सफाई प्रणाली

ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट में अत्याधुनिक तरीके से कोचों की धुलाई की जा रही है। ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट में प्रेसर वाले वॉटर जेट है जो कि हॉरिजॉन्टल एवं वर्टिकल रोटेटिंग नायलॉन और कॉटन कॉम्बिनेशन ब्रश का उपयोग करके कोचों धुलाई करता है। यह ट्रेनों के लिए एक बहुस्तरीय बाहरी सफाई प्रणाली है। जबलपुर, रानी कमलापति एवं कोटा कोचिंग डिपों में दोनों तरफ से रेकों की धुलाई एवं सफाई होती है।  दरअसल, कोच की मैनुअल तरीकों से सफाई करना मुश्किल होता था, लेकिन अब ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट के तैयार होने से यह परेशान खत्म हो गई है। इस प्रकार की आधुनिक धुलाई की सुविधा ट्रेनों के कोच बहुत अच्छे साफ और चमकदार दिखते हैं।

प्लांट से रेलवे को कई तरह के फायदे 

* ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट में पानी बचाने की क्षमता लगभग 1 लाख किलोलीटर प्रति वर्ष है।
* स्वचालित कोच वाशिंग प्लांट को मैन्युअल धुलाई की तुलना में 66 प्रतिशत कम मानव शक्ति की आवश्यकता होती है। 
* धुलाई के टाइम की बचत, मैनुअल कोच धुलाई में 3 से 4 घंटे लगते हैं जबकि इस प्लांट में केवल 6-15 मिनट लगते हैं।
* कम समय के भीतर प्रभावी ढंग से और कुशलता से कोचों को धोने की क्षमता को स्वचालित करता है बल्कि यह पानी की बचत करके पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।
* यह कोच वॉशिंग प्लांट शौचालय के नीचे कोच/बोगी के क्षेत्र को साफ करने में सक्षम है।
* प्लांट पर्यावरण के अनुकूल तैयार किए गया। जहां पानी कम लगता है। साथ ही कम ऊर्जा और कम साबुन लगती है। 
* कोचों की धुलाई के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी को 'एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट' के माध्यम से ट्रीट किया जा सकता है जिसे रिसाइकिल और फिर से उपयोग किया जाता है। इससे जल संरक्षण में मदद मिलती है।

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रेलवे की ऑटोमैटिक कोच वाशिंग प्लांट पर्यावरण के अनुकूल दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इसके आलावा ऑटोमेटिक कोच वॉशिंग प्लांट से यात्रियों को सुरक्षित और विश्वसनीय सेवा प्रदान करने के साथ-साथ रेलवे के लिए यात्रियों को साफ-सुथरे कोचों की सुविधा प्रदान करना है।

 

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