93 लाख का गेहूं घोटाला : दो दिन में दो अफसर सस्पेंड, 6 पर मामला दर्ज

मध्‍य प्रदेश के सतना में 93 लाख के गेहूं घोटाले में दो अफसरों को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही ऑपरेटर, ट्रांसपोर्ट मैनेजर और नान के ऑपरेटरों समेत 6 पर मुकदमा दर्ज किया गया है। हालांकि, इस खेल में शामिल कई खिलाड़ी अभी भी बचे हुए हैं...

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Jitendra Shrivastava
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शुभम शुक्ला, SATNA. 93 लाख का गेहूं घोटाला : सतना जिले में हुए 93 लाख रुपए के गेहूं उपार्जन घोटाले में दो दिन में दो अफसर सस्पेंड कर दिए गए हैं। तत्कालीन प्रभारी डीएसओ नागेंद्र सिंह को भी सस्पेंड कर दिया है। इसके पहले डीएम नान अमित गोंड को निलंबित किया गया था। वहीं दोषी पाए गए 6 लोगों के खिलाफ प्रशासन ने प्राथमिकी दर्ज करा दी है। समूह अध्यक्ष, ऑपरेटर, बिचौलिया, ट्रांसपोर्टर के मैनेजर और नान के ऑपरेटरों के खिलाफ धारकुंडी थाना में आधी रात जांच दल ने एफआईआर कराई। 

नागेंद्र सिंह को संचालनालय में अटैच किया गया है

सतना में समर्थन मूल्य पर उपार्जन के दौरान हुए 93 लाख रुपए के गेहूं घोटाले में एक और अफसर पर कार्रवाई हुई है। डीएम नान के बाद अब राज्य शासन ने सतना के तत्कालीन प्रभारी डीएसओ नागेंद्र सिंह को भी निलंबित कर दिया है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता संरक्षण आयुक्त मप्र शासन ने सतना के तत्कालीन प्रभारी डीएसओ (जिला आपूर्ति अधिकारी) नागेंद्र सिंह को निलंबित किया है। निलंबन अवधि में इन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता के साथ संचालनालय में अटैच किया गया है। नागेंद्र का हाल ही में सतना से तबादला कर प्रभारी डीएसओ के तौर पर आलीराजपुर में पदस्थ किया गया था। चार दिन पहले ही वे सतना से रिलीव किए गए थे। यह कार्रवाई कलेक्टर सतना अनुराग वर्मा के 21 मई को प्रेषित प्रतिवेदन के आधार पर की गई।

6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई 

सतना में हुए 93 लाख रुपए के गेहूं घोटाले के मामले में एडीएम स्विप्नल वानखेड़े के निर्देश पर गठित जांच टीम ने धारकुंडी थाना में 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। उनमें जयतमाल बाबा स्व सहायता समूह की अध्यक्ष सीता गिरी, ऑपरेटर अभिलाषा सिंह, शिवा सिंह पटेल, ट्रांसपोर्ट का मैनेजर सम्राट सिंह, नागरिक आपूर्ति निगम का ऑपरेटर नरेंद्र पांडेय और धनंजय द्विवेदी शामिल है। प्राथमिक जांच में इस पूरे घोटाले में जांच दल को इनकी भागीदारी मिली है। इसके लिए धारकुंडी थाना पुलिस ने इनके खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है। इस खेल में अभी डीएम नान अमित गौड़, उनके नजदीकी दोस्त राजा राजपूत और संजय तिवारी नाम के बिचौलिए के नाम भी सुर्खियों में आए। हालांकि, उस समय इन पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है क्योंकि जांच चल रही थी अब पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद जांच का दायरा और बढ़ गया है। 

गाड़ियों का मूवमेंट दिखाना भी डीएसओ की जानकारी में नहीं

आयुक्त ने माना है कि प्रभारी डीएसओ के तौर पर नागेंद्र सिंह ने अपने दायित्व के प्रति लापरवाही बरती है। पर्यवेक्षण व मॉनिटरिंग का दायित्व डीएसओ का होता है। लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में गेहूं उपार्जन में फर्जीवाड़ा हो जाने और रैक पॉइंट न होने के बावजूद गाड़ियों का रैक पॉइंट पर मूवमेंट दिखाया जाना भी डीएसओ की जानकारी में न आना, बड़ी लापरवाही है। इससे यह भी प्रतीत होता है कि इस घोटाले में तत्कालीन प्रभारी डीएसओ की भी संलिप्तता है। निलंबन आदेश में जायतमाल बाबा स्व सहायता समूह को कारीगोही में उपार्जन कार्य दिए जाने पर भी प्रश्न खड़े करते हुए उल्लेख किया गया है कि जायतमाल समूह को वहां कार्य डीएसओ ने दिया था जबकि इसके पूर्व वहां किन्हीं अन्य संस्थाओं से कार्य कराया जाता था। गौरतलब है कि मंगलवार को 93 लाख रुपए के गेहूं उपार्जन घोटाले के मामले में राज्य शासन ने नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबन्धक सतना अमित गौड़ को भी निलंबित कर दिया है। उनके स्थान पर डिप्टी कलेक्टर लच्छराम जांगड़े को डीएम नान का प्रभार सौंपा गया है। जांगड़े के पास प्रभारी डीएसओ का भी प्रभार है। इस मामले में धारकुंडी थाना में एफआईआर दर्ज कराई जा चुकी है।

कलेक्टर ने भेजा था प्रतिवेदन

खरीदी केंद्र जयतमाल जो 93 लाख के घोटाले का केंद्र है। इस मामले में फूड की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। कलेक्टर सतना अनुराग वर्मा ने इस मामले में एसीएस को प्रस्ताव भेजा था। जिसमें बताया गया था कि शिकायतों के आधार पर जिन व्यक्तियों का नाम आ रहे हैं उनका लगातार खाद्य विभाग में आना-जाना बना रहता है, जिससे कि तत्कालीन डीएसओ की भी भूमिका संदेहास्पद होने से इंकार नहीं किया जा सकता। तत्कालीन डीएसओ नागेन्द्र सिंह द्वारा जायतमाल बाबा महिला स्व सहायता समूह कारीगोही नवीन केन्द्र की स्थापना कर गेहूं खरीदी का कार्य दिया गया है। जबकि निर्धारित स्थल कारीगोही में पूर्व में अन्य समूह/समितियो द्वारा खरीदी का कार्य किया गया है। इतना बड़ा गेहूँ बिकी फर्जीवाडा व उपार्जन घोटाला हो गया व तत्कालीन डीएसओ नागेन्द्र सिंह को जानकारी में नहीं आना उनकी भूमिका को संदिग्ध करता है।

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