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INDORE. पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन के परिवार पर हमले के मुख्य आरोपी बीजेपी नेता प्रताप करोसिया के भतीजे सहित सभी पांचों आरोपियों की जमानत एक झटके में हो गई। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान इनकी जमानत को लेकर कोई आपत्ति ही नहीं लगी, सरकार की ओर से आपत्ति लेने वाला ही कोई नहीं था। टीआई नीरज मेढा जिनकी कार्रवाई को लेकर शुरू से सवाल उठे वह कोर्ट में पीछे बैंच पर बैठे रहे और कोई विरोध नहीं हुआ। अब सवाल यही है कि पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह ने जो इस मामले में नजर रखने के लिए लिए स्पेशल टीम एसआईटी बनाई थी वह कहां पर है और क्या कर रही थी।
क्या हुआ कोर्ट में
आरोपी सौरभ करोसिया, मोहित पिता महेश, साहिल पिता बछराज, तरुण पिता घीसालाल, अभय पिता रंजीत की जमानत जिला कोर्ट में शनिवार को लगी। यहां से जमानत की उम्मीद कम थी इसलिए आरोपियों ने सैशन में भी अपील की तैयारी कर ली थी। आरोपियों की ओर से अधिवक्ता जयेश गुरनानी और आमिर खोकर ने तर्क रखते हुए कहा कि पुलिस द्वारा जो धाराएं पहले लगाई गई थी वह सभी जमानती थी लेकिन बाद में दबाव में पुलिस ने बिना किसी साक्ष्य और बयान के धारा 308(5) पांच शोषण की लगा दी जो गैर जमानती थी और इसी आधार पर इनकी गिरफ्तारी ली गई, लेकिन इसके लिए कोई बयान ही पुलिस ने नहीं लिए फिर धाराएं लगाने का आधार ही नहीं बनता है। ऐसे में जमानत होना चाहिए। उधर इस तर्क का विरोध पुलिस की ओर से टीआई ने नहीं किया और न ही कोई सरकारी अधिवक्ता उपस्थित था। इस पर न्यायाधीश ने पुलिस प्रक्रिया में खामी मानते हुए सभी की जमानत मंजूर कर ली।
पुलिस कमिश्नर ने बनाई थी एसआईटी
6 दिसंबर को ताई के बेटे मिलिंद महाजन के शोरूम पर गाड़ी के सर्विस चार्ज दिए बिना सौरभ करोसिया व अन्य द्वारा गाड़ी ले जाने की जिद की गई और इस दौरान उन्होंने ताई के पोते सिद्धार्थ महाजन को पीटा। साथ ही शोरूम के कांच फोड़े और मैनेजर भूषण दीक्षित के साथ मारपीट की। गार्ड गणेश दुबे पर भी गाड़ी चढ़ाकर निकालने की कोशिश की गई। इसमें आजादनगर पुलिस ने मामूली धाराओं में केस किया और टालमटोली की। इसके बाद ताई समर्थकों ने विरोध किया और सीपी संतोष सिंह से मुलाकात की। जिसमें सिंह ने डीसीपी विनोद मीना को इस पूरे केस की मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी दी और साथ ही केस में मजबूत चालान पेश कराने और अंत तक कोर्ट में सजा होने तक इसे मजबूती से रखने के लिए एसआईटी बनाने की बात कही। एसआईटी गठित भी की गई। लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि वह एसआईटी कहां है, जो जमानत भी नहीं रोक पाई और कोर्ट में जमानत का विरोध करने के लिए सरकारी अधिवक्ता तक खड़ा नहीं कर सकी।
पूरे मामले में ही पुलिस का रवैया ढीला
शुरू से ही पुलिस इस मामले में ढील बरतती दिखी है। पहले आजादनगर पुलिस ने केस नहीं किया, बाद में मामूली धाराएं लगाई। इसके बाद गिरफ्तार की और बात जुलूस की निकली तो करोसिया समर्थक के दबाव में यह जुलूस राजमोहल्ला में 42 कदम चलाकर रोक दिया गया।
इधर... करोसिया परिवार को मंत्री का सपोर्ट
इधर जिला कोर्ट से बीजेपी नेता प्रताप करोसिया के भतीजे सौरव की जमानत हुई। वहीं कैबिनेट मंत्री पहलाद पटेल करोसिया परिवार के निवास पर पहुंचे और प्रताप के भाई राजेश करोसिया की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर अपने श्रद्धांजलि व्यक्त की। परिवार के साथ भी वह काफी देर बैठे।
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