राघौगढ़ राजपरिवार में पड़ी दरार, छोटा भाई बड़े भाई पर कर रहा वार

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ऊपर उनके छोटे भाई पूर्व विधायक लक्ष्मण सिंह निशाना साधते रहते हैं। उन्होंने EVM के डेमो को लेकर सवाल उठाए थे। लोकसभा चुनाव में युवाओं को टिकट देने के कांग्रेस के फैसले पर लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट किया।

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Rahul Garhwal
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Digvijay Singh and Laxman Singh
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BHOPAL. मध्यप्रदेश की सियासत में राघौगढ़ रियासत का दबदबा माना जाता है। दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अब वे राज्यसभा सांसद हैं। दिग्विजय के बेटे जयवर्धन सिंह राघौगढ़ से विधायक हैं और छोटे भाई लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा से विधायक रहे हैं। राघौगढ़ राजपरिवार में दरार पड़ती दिखाई दे रही है, क्योंकि दिग्विजय सिंह को उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह (Laxman Singh) लगातार घेर रहे हैं।

लक्ष्मण सिंह का ट्वीट

जब कांग्रेस ने युवाओं को लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया तो लक्ष्मण सिंह ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि कांग्रेस का युवाओं को लोकसभा में लड़ाने का निर्णय स्वागत योग्य है। शुभकामनाएं!! "डुकरों" को भी कम मेहनत करनी पड़ेगी। अब उन्हें वैसे भी केवल मार्ग दर्शन देना चाहिए। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उनका ये ट्वीट दिग्विजय सिंह पर तंज की तरह है।

पहली बार नहीं जब दिग्विजय सिंह पर किया हो कटाक्ष

ये पहला मौका नहीं है जब लक्ष्मण सिंह ने बड़े भाई दिग्विजय सिंह पर कटाक्ष किया हो। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक वे इस तरह की तीखी प्रतिक्रिया देते रहे हैं। वे EVM के डेमो को लेकर भी दिग्विजय सिंह को घेर चुके हैं। लक्ष्मण सिंह ने दिग्विजय सिंह की राज्यसभा निधि पर भी सवाल उठाए थे। बंटाधार टैग को लेकर भी लक्ष्मण सिंह ने बयान दिया था।

दिग्विजय को क्यों घेर रहे लक्ष्मण ?

अक्सर कहा जाता है कि मध्यप्रदेश में जितनी तवज्जो दिग्विजय सिंह के परिवार को मिली। उतनी लक्ष्मण सिंह के परिवार को नहीं मिली। दिग्विजय सिंह को घेरने के पीछे पारिवारिक कलह भी एक वजह हो सकती है।

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लक्ष्मण बोले- दिग्विजय सुनते नहीं हैं

लक्ष्मण सिंह कहते हैं कि दिग्विजय को कोई आईना नहीं दिखा सकता, हम घर वाले ही दिखा सकते हैं। जब-जब समय आया तो हमने उनको आईना दिखाया। लोग तरह-तरह की बातें करते हैं, लेकिन सच्चाई कोई तो बोलेगा। मैं भाई होकर नहीं कहूंगा तो कर्तव्य में नाकाम साबित हो जाऊंगा। ये मेरा काम है। इस तरह की बात करने में उन्हें बुरा जरूर लगता है, लेकिन बोलना जरूरी है। हम लोग उन्हें व्यक्तिगत रूप से कई साल से कह रहे हैं, लेकिन वे सुनते ही नहीं है। मजबूरी में सार्वजनिक रूप से बोलना पड़ता है।

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