आज 21 दिसंबर को होगी साल की सबसे लंबी रात, जानिए क्या है इसके पीछे का विज्ञान

आज साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होगी। इससे दिन-रात के बीच 3 घंटे 23 मिनट का अंतर दर्ज किया जाएगा। विंटर सोलस्टाइस की इस खगोलीय घटना के बाद से सूर्य उत्तरायण की ओर मुड़ेगा और दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगेंगे।

author-image
Kaushiki
New Update
winter-solstice-2025
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

आज 21 दिसंबर 2025 को आसमान में एक अनोखा नजारा दिखेगा। आज सूर्योदय सुबह 7:14 पर हुआ है और सूर्यास्त शाम 5:40 पर होगा। खगोल विज्ञान के मुताबिक आज साल का सबसे छोटा दिन होने वाला है।

आज की रात वर्ष की सबसे लंबी और अंधेरी रात मानी जाएगी। इससे दिन-रात के बीच 3 घंटे 23 मिनट का बड़ा अंतर दिखेगा। वैज्ञानिक नजरिए से पृथ्वी के अक्षीय झुकाव के कारण आज सूर्य मकर रेखा के ठीक ऊपर है।

आध्यात्मिक रूप से मसीही और बौद्ध समाज इसे नई ऊर्जा और प्रकाश के आगमन का प्रतीक मानते हैं। आज के बाद रातें धीरे-धीरे छोटी होने लगेंगी। दिन की अवधि बढ़ने लगेगी। प्रकृति का यह अद्भुत चक्र हमें निरंतर बदलाव और संतुलन का संदेश देता है।

Chandra Darshan 2025: रविवार को साल की सबसे लंबी रात और सबसे छोटा दिन,  जानें चंद्र दर्शन का शुभ समय

क्या होता है विंटर सोलस्टाइस

हमारी धरती अपने अक्ष पर करीब 23.5 डिग्री तक झुकी हुई है। इस झुकाव के कारण ही मौसम में बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं। विंटर सोलस्टाइस के समय उत्तरी ध्रुव सूर्य से काफी दूर होता है।

इस स्थिति में सूर्य की किरणें मकर रेखा पर सीधी पड़ती हैं। उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की ऊंचाई साल में सबसे कम दर्ज होती है। इसी वजह से दिन छोटा और रात बहुत लंबी हो जाती है।

ये खबर भी पढ़ें...

अंबाजी मंदिर में बिना मूर्ती के होती है पूजा, इस जगह श्री कृष्ण का हुआ था मुंडन, जानें इसका रहस्य

22 दिसंबर को होती है साल की सबसे लम्बी रात और सबसे छोटा दिन, जाने इसके पीछे  का विज्ञान

भोपाल में समय का गणित

भोपाल में आज दिन की अवधि 10 घंटे 18 मिनट रहेगी। वहीं रात की अवधि बढ़कर 13 घंटे 41 मिनट हो जाएगी। दिन और रात के बीच 3 घंटे 23 मिनट का अंतर होगा।

वैज्ञानिक दृष्टि से ये पृथ्वी की ऑर्बिटल मोशन का एक अहम हिस्सा है। आज के बाद दिन धीरे-धीरे फिर से बड़े होने लगेंगे। रातें छोटी होंगी और ठंड का अहसास भी गहरा होने लगेगा।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

विंटर सोलस्टाइस केवल एक वैज्ञानिक घटना ही नहीं बल्कि उत्सव भी है। मसीही समाज इसे प्रकाश की वापसी का एक पवित्र दिन मानता है। बौद्ध धर्म में इसे नई ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं।

कई संस्कृतियों में इस दिन ध्यान और आत्मचिंतन किया जाता है। हिंदू धर्म में सायन मकर प्रवेश इसी समय से माना जाता है। यह प्रकृति के समय चक्र को समझने का एक शानदार अवसर है।

ये खबर भी पढ़ें...

Pradosh Vrat 2025: शिव भक्तों के लिए खास है साल का अंतिम प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Winter Solstice 2025: साल का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात आज, जानिए इसके  पीछे

खगोल विज्ञान के चार खास पड़ाव

पूरे साल में खगोल विज्ञान के चार मुख्य पड़ाव होते हैं। 21 मार्च और 23 सितंबर को दिन-रात बराबर होते हैं। 21 जून को साल का सबसे लंबा दिन माना जाता है।

21 दिसंबर को साल की सबसे लंबी रात दर्ज होती है। यह खगोलीय घटना (अद्भुत खगोलीय घटनाएं) पृथ्वी के जीवन चक्र को संतुलित रखती है। प्रकृति के इस अद्भुत बदलाव को महसूस करना बहुत रोमांचक है।

विंटर सोलस्टाइस का मानव जीवन पर असर

सूर्य की किरणों का कम समय तक रहना ऊर्जा को प्रभावित करता है। आज के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर मुड़ता है। इसे नई शुरुआत और अंधेरे पर जीत का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन सभ्यताओं में इस दिन को विशेष पूजा-पाठ से जोड़ा गया था। भोपाल का रीजनल साइंस सेंटर भी इस पर विशेष जानकारी देता है।

ये खबर भी पढ़ें...

नए साल 2026 के लिए महाकाल मंदिर में बदली दर्शन व्यवस्था, अब इस गेट से होगा प्रवेश, जानें पूरी व्यवस्था

मध्य प्रदेश के इन चमत्कारी मंदिर से करें नए साल की शुरुआत

भोपाल अद्भुत खगोलीय घटनाएं खगोलीय घटना सूर्य विंटर सोलस्टाइस
Advertisment